भारत एक कृषि प्रधान देश है. आज भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का एक महत्वपूर्ण स्थान है. लेकिन भारत में अभी भी आधी से ज्यादा कृषि योग्य भूमि ऐसी है, जो सिंचाई के अभाव के कारण अनुपयोगी है. इस आधी जमीन पर खेती करने वाले किसान भाई सिंचाई की उचित व्यवस्था नही होने के कारण आज भी बारिश पर ही आश्रित रहते हैं. इस परिस्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत की है.
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इसकी शुरुआत एक जुलाई, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. इस योजना के तहत अगले पांच वर्षों के लिए 50 हजार करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है. इस योजना के क्रियान्वयन के लिए राज्य कृषि नोडल विभाग को जिम्मेदारी दी गई है. जिसकी सभी सूचनाओं का आदान-प्रदान नोडल विभाग, कृषि मंत्रालय को करेगा. एआईबीपी, पीएमकेएसवाई, पीएमकेएसवाई और पीएमकेएसवाई (पनधारा विकास) जैसी इन घटक योजना को भी इसी में रखा गया है. इसकी सभी घटक योजनाओं के निगरानी योग्य लक्ष्यों को भारत सरकार के संबंधित मंत्रालय और विभाग ( नदी विकास और गंगा पुनरुद्धार मंत्रालय, कृषि एवं सहकारिता विभाग, जल संसाधन, भू संसाधन विभाग तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय ) दवारा निर्धारित किया जाएगा.
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना क्या है.
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना केंद्र और राज्य दोनों की सरकार के समन्वय से किसान भाइयों के लिए लागू की गई योजना है. जिसकी शुरुआत एक जुलाई 2015 को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. इस योजना के तहत पांच वर्ष का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. जिसके लिए 50 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा गया है. इस योजना को पानी की कमी को पूरा करने और सम्पूर्ण कृषि योग्य भूमि तक पानी पहुँचाने के लिए लाया गया है. इस योजना में जल के दुरुपयोग को कम कर अधिक उत्पादन हासिल करने के लिए इसकी मुख्य टैग लाइन “प्रति बूंद अधिक फसल” रखी गई है.
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के उद्देश्य
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना कई उद्देश्यों की पूर्ति के लिए लागू की गई है.
- देश में कृषि योग्य भूमि का विकास करना और उसका विस्तार करना.
- कृषि वाली भूमि में सिंचाई की व्यवस्था करना.
- पानी को अपव्यय ( पानी का गलत दोहन ) को कम कर उसका उपयोग खेत में बढ़ाना.
- खेतों में पानी की बचत करने वाली तकनीकी का विकास करना.
- टपक विधि से सिंचाई को बढ़ावा देकर पानी के कम इस्तेमाल से अधिक फसल का प्राप्त करना.
- जिला और राज्य स्तर पर सिंचाई योजना तैयार कर किसानों भाइयों के खेत तक पानी पहुंचाना.
- जलाशयों को फिर से भरना और बारिश के पानी को खराब जाने से बचाना ताकि जल स्तर कम किया जा सके.
- पुराने जल स्रोतों को पुनर्जीवित करना.
- जहाँ सिंचाई की कमी हो वहां पानी की उचित व्यवस्था करना.
कौन कौन किसान भाई हैं पात्र
इस योजना के अंतर्गत मिलने वाले लाभ का फायदा खुद की जमीन रखने वाले लगभग सभी किसान भाई ले सकते हैं. इस योजना के अंतर्गत भूमिगत पाइप, फवारा पाइप और ड्रिप सिस्टम शामिल किये गये हैं. जिससे पानी के दोहन को कम किया जा सके. और इन सभी पर सरकार की तरफ से 50 से 80 प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ दिया जाता है. जिसका 75 प्रतिशत अनुदान केंद्र सरकार और 25 प्रतिशत राज्य सरकार देती है. जबकि पर्वतीय क्षेत्रों में केंद्र सरकार 90 प्रतिशत तक अनुदान देती है. इनके अलावा मनरेगा के कई काम भी इसकी के आधार पर किये जाते हैं. जिसमें पुराने जलाशयों को पुनर्निर्माण शामिल है.
कैसे करें आवेदन
इस योजना के माध्यम से अगर कोई किसान भाई भूमिगत पाइप, फवारा पाइप और ड्रिप सिस्टम लगवाना चाहता है तो इसके लिए पहले उसे कृषि विभाग के पोर्टल पर जाकर इसकी किसी भी एक योज़ना का चयन कर उसके लिए ऑनलाईन आवेदन करना पड़ता है. इस योजना में पहले आओ पहले पाओ वाली नीति का इस्तेमाल किया जाता है.
आवश्यक दस्तावेज़
- ऑनलाइन भरे गए फॉर्म की प्रतिलिप
- आधार कार्ड
- बैंक पासबुक
- खतौनी
- दो पासपोर्ट साइज़ फोटो
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लाभ
इस योजना के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कई लाभ हैं.
- मनरेगा को इसके साथ जोड़ने से छोटे और बेरोजगार किसान भाइयों को रोजगार मिलता है.
- ड्रिप विधि से सिंचाई करने से पानी खराब नही जाएगा. क्योंकि इससे पौधों को पानी उनकी आवश्यकता के अनुसार मिलेगा.
- भूमिगत पाइप पर मिलने वाले अनुदान को देखते हुए किसान भाई अपनी अनुपयोगी जमीन पर भी खेती करने लगेंगे. जिससे सरकार की हर खेत को पानी की घटक योजना सफल होगी.
- कम पानी के दोहन से किसान भाइयों को अधिक फसल प्राप्त होगी.
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का खासकर किसान भाइयों की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष परेशानियों को दूर करने के लिए लाई गई योजना है. इस योजना के माध्यम से सरकार किसान को सब्सीडी के माध्यम से सिंचाई के साधन उपलब्ध करवाती है. और जलाशयों के पुनर्निर्माण के कारण जल स्तर को सामान्य करने में लगी है. जिससे आने वाले समय में किसान भाइयों को पानी की समस्या का सामना ना करना पड़े. इससे उन किसान भाइयों को रोजगार मिलता है जिनके पास खेती के लिए उपयुक्त भूमि की कमी है.
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