आज हर ग्रामीण किसान अपनी आजीविका के लिए पशुओं पर काफी ज्यादा निर्भर है. क्योंकि पशुपालन के माध्यम से किसान भाइयों को अच्छी आमदनी प्राप्त हो जाती है. लेकिन कभी कभी पशुओं की अकाल मृत्यु हो जाने पर किसान भाइयों को काफी आर्थिक दिक्कतें आती हैं. जिनसे बचाने के लिए सरकार की तरफ से पशुधन बीमा योजना की शुरुआत की गई. जिसके बारें में आज हम आपको बताने वाले हैं.
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पशुधन बीमा योजना का क्रियान्वयन केंद्र और राज्य सरकार मिलकर करती हैं. जिसमें 50 प्रतिशत प्रीमियम केंद्र सरकार और 25 प्रतिशत प्रीमियम राज्य सरकार देती हैं. जबकि बाकी का 25 प्रतिशत खुद लाभार्थी को देना होता है. पहली बार इस योजना का क्रियान्वयन 10वीं पंचवर्षीय योजना में किया गया था.
पशुधन बीमा योजना क्या है?
पशुधन बिमा योजना किसान और पशुपालकों के लिए लाई गई योजना है. जिसका मुख्य उद्देश्य पशुपालकों और किसानों के पशुओं की मृत्यु होने के बाद होने वाले नुक्सान की भरपाई करना है. इस योजना के माध्यम से सभी देशी और संकर किस्म के दुधारू पशु और भैंसों का बीमा उनके वर्तमान बाजार मूल्य पर किया जाता है. जिसमे अनुदान राशि की पूरी लागत केंद्र सरकार वहन करती है.
योजना के लिए पशुओं का चयन और राशि निर्धारण
अलग अलग राज्यों में पशुओं के चयन और बीमा राशि के निर्धारण के प्रावधान अलग है.
- पशुधन बीमा योजना का लाभ सभी देशी और संकर किस्म के दुधारू पशुओं पर मिलता है.
- हरियाणा सरकार के अनुसार ऐसे गर्भवती पशु जिसने एक बछड़े को जन्म दिया हो वो भी इसके लिए योग्य होता है.
- हरियाणा सरकार के अनुसार अनुदान का लाभार्थी अधिकतम दो पशुओं पर योजना का लाभ ले सकता है. जबकि राजस्थान में इसकी सीमा 5 है.
- किसी अन्य योजना में शामिल पशुओं को इसमें शामिल नही किया जा सकता.
- किसानों को इस योजना में 3 साल की पॉलिसी लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता हैं. लेकिन अगर किसान नही मानता है तो उसे कम वक्त की पॉलिसी भी दे दी जाती है.
- पशुओं की बीमा राशि का निर्धारण वर्तमान में बाज़ार मूल्यों के आधार पर अधिकतम मूल्यों पर किया जाता है. जिसका निर्धारण संबंधित अधिकारी करते हैं.
बीमा पर लगने वाली प्रीमियम राशि
पशुधन बीमा योजना के अंतर्गत लगने वाली प्रीमियम राशि अलग अलग राज्यों में अलग अलग रखी गई हैं. जिनका लाभ पशुओं के मरने के बाद किसान भाइयों को बीमा राशि के रूप में मिलता हैं. जैसे हरियाणा में गाय, भैंस, ऊंट और बैल के लिए 100 रूपये बीमा राशि के रूप में लिए जाते हैं. और भेड़, बकरी और सुअर के लिए मात्रा 25 रुपये बीमा राशि के लिए पशुधारक से लिये जाते हैं. जबकि अनुसूचित जाती वाले लोगों को इसका कोई भुगतान नही करना पड़ता. उनके लिए ये योजना बिलकुल फ्री है.
बीमा के लिए आवश्यक दस्तावेज़
- पशु का स्वास्थ्य प्रमाण पत्र.
- कान पर लगे टैग सहित पशुपालक की एक फोटो.
- पहचान का कोई भी एक सरकारी दस्तावेज़ जैसे आधार कार्ड, भामाशाह कार्ड.
- SC, ST संबंधित दस्तावेज
- लाभार्थी का बैंक खाता और शाखा का IFSC कोड
योजना में आवेदन कैसे करें
पशुधन बीमा योजना का लाभ लेने के लिए किसान भाइयों को पहले अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय में पशुओं के बीमा के लिए जानकारी देनी होगी. उसके बाद पशु चिकित्सक और संबंधित बीमा कंपनी के अधिकारी योजना के इच्छुक किसान या पशुपालक के घर आयेंगे. जिसके बाद वो पशु का स्वास्थ्य परीक्षण कर उसे प्रमाण पत्र देंगे. और वहीं बीमा फॉर्म को भरने के बाद पशुओं के कान पर बीमा कम्पनी द्वारा टैग लगाया जाएगा. जो बीमा की अवधि तक पशु के कान पर लगा रहना चाहिए. पशु के साथ खींचने वाली फोटो और टैग की राशि का भुगतान खुद बीमा कम्पनी करेंगी.
बीमा होने के बाद ध्यान रखने योग्य बातें
- योजना के मध्यम से बीमा होने के बाद पशुओं के कान पर लगने वाला टैग काफी अहम होता है. अगर किसी भी परिस्थिति में टैग गिर जाता है तो उसकी सूचना तुरंत बीमा कम्पनी के अधिकारियों को दें. और दूसरा टैग तुरंत लगवा लें.
- पशु की मृत्यु होने के तुरंत बाद संबंधित कंपनी के प्रतिनिधि को तुरंत सूचित करें.
- प्रतिनिधि को सूचित करने के 6 घंटे में पशु का सर्वे किया जाएगा और उसका पोस्टमार्टम कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी.
- पशु का पोस्टमार्टम और कान से टैग निकालते समय पशु की फोटो ली जानी आवश्यक है.
पशु की मौत के बाद बीमा कवर का लाभ प्राप्त करने के लिए क्या करें
- पशु की मौत संबंधित जानकारी देने के बाद बीमा पॉलिसी की प्रति बीमा कम्पनी को प्रदान करना.
- पशु की मौत के बाद क्लेम लेने के लिए क्लेम फॉर्म भरकर संबंधित बीमा कम्पनी को दे.
- पोस्टमार्टम के बाद दिए गए मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रति बीमा कम्पनी को देना.
- पोस्टमार्टम के वक्त खींची गई फोटो और कान से निकाला गया टैग बीमा कम्पनी को दें.
लाभ मिलने और नहीं मिलने वाली परिस्थिति
योजना के माध्यम से बीमा कवर राशि के भुगतान के दौरान कई संबंधित परिस्थितियों को भी देखा जाता है. जिसके बाद ही बीमा राशि का भुगतान किया जाता है.
लाभ मिलने की स्थिति
- जब पशु की मौत हड़ताल, दंगा या आतंकवादी कार्यवाही में हुई हो.
- किसी भी प्राकृतिक ( बाढ़, चक्रवात, अकाल, भूकंप ) दुर्घटना में पशु की मौत होने पर.
- किसी भी तरह की बिमारी के चलते पशु की मौत होने की स्थिति में.
- सर्जिकल ऑपरेशन के दौरान मौत होने पर.
लाभ नही मिलने की स्थिति
- जान बूझकर खुद के द्वारा पशु की मौत होने पर. जिनमे कार्य में लापरवाही, भारी लदान और अकुशल उपचार शामिल हैं.
- बीमा करवाने के बाद 15 दिन के अंदर पशु की मौत होने पर.
- पशु की चोरी होने और गोपनीय बिक्री करने पर.
- रेल द्वारा पशु की मौत होने पर.
- युद्ध की स्थिति में पशु की मौत होने पर.
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jankari bhout achi h