भारत में मौसम के आधार पर तीन तरह की फसल उगाई जाती हैं. जिन्हें रबी, खरीफ और जायद के नाम से जाना जाता है. इन सभी फसलों को किसान भाई अलग अलग मौसम के आधार पर उगाकर अच्छी पैदावार हासिल करते हैं. रबी की फसलों की बुवाई सामान्य तौर पर तो अक्टूबर से शुरू होकर नवम्बर तक की जाती हैं. लेकिन अब कई ऐसी किस्में तैयार कर ली गई हैं जिन्हें पछेती फसल के रूप में दिसम्बर माह के शुरुआत में भी आसानी से लगा सकते हैं.
Table of Contents
वहीँ बात करें खरीफ की फसलों के बारें में तो इन्हें जून, जुलाई में लगाकर सितम्बर, अक्टूबर में काट लिया जाता हैं. इस दौरान कुछ रबी और खरीफ की फसलों की कटाई और रोपाई के बीच लगभग 40 से 50 दिन का टाइम किसान भाइयों को मिलता हैं. इस टाइम में किसान भाई कुछ फसलों को उगाकर अच्छी कमाई कर सकता हैं. आज हम आपको कुछ ऐसी ही फसलों के बारें में बताने वाले हैं, जिन्हें रबी और खरीफ दोनों फसलों के बीच के समय में किसान भाई आसानी से उगा सकते हैं.
मूली
मूली की फसल मुख्य रूप से तो अक्टूबर के बाद ही उगाई जाती हैं. लेकिन वर्तमान में रेपिड रेड व्हाइट टिप्ड, पूसा चेतकी और पंजाब पसंद जैसी और कई किस्में हैं, जिन्हें खरीफ की फसल कटने के तुरंत बाद उगाकर किसान भाई अच्छा लाभ कमा सकते हैं. क्योंकि इन फसलों के पकने की अवधि एक से डेढ़ महीने के आसपास होती हैं. जिनका उत्पादन भी 100 से 150 क्विंटल तक पाया जाता है. जिससे किसान भाइयों की एक लाख के आसपास कमाई हो जाती हैं. जिसके बाद किसान भाई उसी खेत में रबी के मौसम में उगाई जाने वाली गेहूँ की पछेती किस्मों को टाइम पर उगाकर अच्छी पैदावार हासिल कर सकता हैं. या फिर रबी के समय उगाई जाने वाली सब्जी फसल और हरे चारे वाली फसलों को उगा सकता है.
शलजम
शलजम की खेती मुख्य तौर से रबी की फसल के साथ ही की जाती है. लेकिन वर्तमान इसकी कई किस्में हैं, जिन्हें किसान भाई खरीफ की फसल कटने के तुरंत बाद उगाकर अच्छी कमाई कर सकते हैं. इनमें सफेद-4 और पूसा-स्वेती जैसी किस्में शामिल हैं. इन किस्मों को अगेती फसल के रूप में सितम्बर माह के आसानी से उगाया जा सकता है. जो 40 दिन के आसपास पककर तैयार हो जाती हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 100 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. जिसके बाद किसान भाई गेहूँ की फसल को आसानी से उगा सकता हैं. या फिर वापस से शलजम या अन्य सब्जी फसलों को उगाकर अच्छी कमाई कर सकता हैं.
पालक
पालक की खेती सर्दी के मौसम में की जाती हैं. जिसका इस्तेमाल सब्जी के रूप में किया जाता है. पालक की अगेती पैदावार जो किसान भाई ज्वार की खेती हरे चारे के रूप में करते हैं, वो आसानी से ले सकते हैं. क्योंकि ज्वार की फसल दो से तीन कटाई देती हैं. जो अगस्त माह के आखिर तक पूर्ण हो जाती है. जिसके बाद पालक की जल्दी तैयार होने वाली आल ग्रीन और हिसार सिलेक्शन 23 जैसी किस्मों को उगाकर तीन से चार कटाई आसानी से ले सकता है. जिससे किसान भाई को हरे पालक की अच्छी उपज हासिल हो जाती है. जिसे बाज़ार में बेचकर किसान भाई अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकता हैं. इसकी उपज लेने के बाद किसान भाई रबी के समय में अनाज फसलों को आसानी से उगा सकता हैं. या हरे चारे या कंद वाली सब्जी फसलों को उगा सकता है.
धनिया
धनिया की खेती रबी की फसल के रूप में की जाती है. धनिये की खेती बीज और हरे धनिये के रूप में की जाती है. जिसे मध्य अक्टूबर में उगाया जाता है. इसके पौधे 120 से 130 दिन में पककर तैयार हो जाते हैं. लेकिन किसान भाई इसकी रोपाई अगेती फसल के रूप में कर पहले इसकी दो से तीन बार हरे धनिये के रूप में कटाई कर सकता हैं. और उसके बाद इसी से पैदावार ले सकता है. या फिर तीन से चार कटाई के बाद मूली, शलजम और हरे चारे की फसल को उगा सकता है. जिससे किसान भाइयों को एक मौसम में दो फसलों का लाभ आसानी से मिल जाता है.
मेथी
मेथी की खेती भी हरी मेथी और इसके दानो के रूप में की जाती है. मेथी से दोनों तरह की उपज किसान भाई एक बार उगाकर ही ले सकता हैं. इसके लिए किसान भाई मेथी को अगेती फसल के रूप में उगाकर उसकी एक बार कटाई करने के बाद दानो की पैदावार के लिए छोड़ सकता है. जिससे किसान भाई को एक बार उगाने से मेथी को दो बार उपज मिलती है. इसके अलावा किसान भाई मेथी के साथ मूली उगाकर सह फसल के रूप में पैदावार ले सकता है. जिससे एक बार में खेत से किसान भाई तीन फसल की उपज लेकर अच्छीखासी कमाई कर सकता हैं. इसके अलावा किसान भाई हरी मेथी की कटाई के बाद अन्य रबी फसलों को भी आसानी से उगा सकता हैं.
7906825937