दुनिया में बढती तकनीकी ने हर क्षेत्र में विकास किया है. आज तकनीकी एक ऐसा जरिया बन चुकी है जिसके माध्यम से किसान भाई भी वर्तमान में कई अलग अलग तरीकों से खेती कर रहा हैं. लेकिन ज्यादातर किसान भाई आज भी साधारण रूप अपने खेतों में मौसम के आधार पर फसलों को उगाकर ही खेती करते हैं. जबकि कुछ जागरूक किसान भाई तकनीकी का इस्तेमाल कर खेती करते हैं. जिसमें पॉलीहाउस खेती भी तकनीकी का ही एक हिस्सा हैं. जिसमें अलग अलग प्रकार की फसलों को किसान भाई विपरीत मौसम में उगा सकते हैं.
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इन सभी तरीकों से खेती करने के लिए भूमि की जरूरत होती हैं. जिसमें किसान भाई अपनी फसल को उगाता हैं. लेकिन अब तकनीकी के बढ़ते प्रभाव ने भूमि की कमी को पूरा करने के लिए भी एक तकनीकी का इजाद कर लिया हैं. जिसके अनुसार खेती करने पर भूमि की जरूरत नही होती हैं. जिसे हाइड्रोपोनिक खेती कहा जाता हैं. जिसके बारें में आज हम आपको बताने वाले हैं.
हाइड्रोपोनिक खेती क्या हैं
हाइड्रोपोनिक खेती बिना मिट्टी के की जाने वाली खेती हैं. हाइड्रोपोनिक खेती की तकनीकी मुख्य रूप से इजराइल की तकनीक हैं. जिसके माध्यम से कम भू-भाग पर अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता हैं. इस तकनीकी से खेती करने के लिए खाद और पानी की जरूरत होती हैं. इसमें मिट्टी की जगह नारियल का बुरादा रोड़ी और कंकड़ का इस्तेमाल किया जाता हैं. इस तकनीकी में पौधों को पोषक तत्व पानी के माध्यम से ही दिए जाते हैं. इस तकनीकी से खेती कर किसान भाई 90 प्रतिशत तक जल का बचाव कर सकता हैं. इस विधि से खेती के दौरान तापमान और जलवायु को नियंत्रित कर किसी भी समय की फसल को किसान भाई उगा सकता हैं.
हाइड्रोपोनिक खेती के लिए आवश्यक चीजें
हाइड्रोपोनिक खेती करने के लिए कुछ चीजों की जरूरत होती हैं. जिनके बिना हाइड्रोपोनिक खेती नही की जा सकती.
पी.वी.सी. पाइप
हाइड्रोपोनिक खेती के लिए पी.वी.सी. पाइप मुख्य रूप से काम करती हैं. इन पी.वी.सी. पाइपों में ही फसलों को उगाया जाता हैं. जिनमें पानी का प्रवाह भी बना रहता हैं. इसके लिए पी.वी.सी. पाइप का आकार सामान्य रखा जाता हैं.
मोटर
पाइपों में पानी की सप्लाई के लिए मोटर का इस्तेमाल किया जाता हैं. इसके लिए मोटर का आकार अलग अलग तरह का हो सकता हैं. छोटे भाग में लगाने के लिए कूलर में इस्तेमाल होने वाली पानी की मोटर का भी किसान भाई इस्तेमाल कर सकता हैं.
सप्लाई पाइप
सप्लाई पाइप को कनेक्टिंग पाइप के नाम से भी जाना जाता हैं. सप्लाई पाइप के रूप में घरों में इस्तेमाल होने वाली पानी की पाइपो या लचीली रबर पाइपों का इस्तेमाल भी किसान भाई कर सकते हैं.
पानी का टैंक
पानी के टैंक का इस्तेमाल पौधों को दिए जाने वाले पानी को एकत्रित करने के लिए किया जाता हैं. जिसमें पोषक तत्वों को पानी में मिलाया जाता है, जिसकी सप्लाई पौधों में की जाती हैं.
कोकोपीट
कोकोपीट का इस्तेमाल मिट्टी की जगह किया जाता हैं. कोकोपीट की जगह रोड़ी और कंकडों का इस्तेमाल भी किसान भाई कर सकते हैं. ये सभी चीजें पौधे को स्थिर खड़ा रहने में मदद करती हैं.
जालीदार कप
जालीदार कप का इस्तेमाल पौधों को लगाने के लिए किया जाता हैं. जालीदार कप की जगह किसान भाई पॉलीथीन के बने अच्छी क्वालिटी के गिलासों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. जिनका इस्तेमाल शादी या अन्य समारोह में किया जाता हैं.
हाइड्रोपोनिक लगाने की जगह
इन सभी चीजों को एक व्यवस्थित तरीके से लगाने के लिए जगह की जरूरत होती हैं. जिसे घर की छत या खेत में पॉलीहाउस जैसा ढाँचा बनाकर लगा सकता हैं. जो फसल को लगाने के क्षेत्रफल के आधार पर तैयार किया जाता हैं. हाइड्रोपोनिक सिस्टम को कई लेयर में बनाया जा सकता हैं.
एन.टी.ऍफ़. ( NTF ) सिस्टम बनाना
एन.टी.ऍफ़ सिस्टम को लगाने की जगह के आधार पर तैयार किया जाता हैं. लेकिन इसको तैयार करने के दौरान ध्यान रखे की इसमें पानी का ठराव ना होने दें. इस तकनीकी में पानी एक स्तर तक ही पाइपो में भरा रहता हैं. जो लगातार परिवर्तित होता रहता हैं. इसके सभी पाइपो को आपस में लेयर के रूप में नालियों से जोड़ दिया जाता हैं. जिसमें सबसे उपर वाली लेयर की पाइप के एक नोड में पानी देने के बाद वो पानी बाकी की सभी पाइपो से होता हुआ बाहर निकल जाता हैं. जिसको फिर से पोषक तत्व मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं.
किन किन फसलों को हाइड्रोपोनिक तरीके से उगा सकते हैं.
हाइड्रोपोनिक तरीके से मुख्य रूप से तो सब्जी फसलों को ही उगाया जाता हैं. लेकिन इसके माध्यम से किसान भाई पशुओं के चारे के रूप में मक्का और बरसीम जैसी फसलों को उगा सकते हैं. इस विधि से पशुओं को हरी घास के साथ साथ उनके लिए जरूरी पोषक तत्व भी मिल जाते हैं. वर्तमान में चारा फसलों फसलों को बड़ी मात्रा में उगाया जा रहा हैं. इसके अलावा कुछ पश्चिमी देशों में हाइड्रोपोनिक के माध्यम से अनाज फसलों की खेती भी होने लगी है.
हाइड्रोपोनिक तरीके से खेती के लाभ
हाइड्रोपोनिक तरीके से खेती करने से कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ किसान भाई को मिलते हैं.
- हाइड्रोपोनिक तरीके से वो लोग भी खेती कर सकते हैं, जिनके पास या तो कम जमीन हो या खेती योग्य जमीन बिलकुल भी ना हो. इसकी खेती घर की छत या बालकनी में भी की जा सकती हैं.
- हाइड्रोपोनिक तरीके से खेती करने पर जल की काफी ज्यादा बचत होती हैं. एक अनुमान के मुताबिक इस तरह से खेती करने पर 80 से 90 प्रतिशत तक जल की बचत हो जाती हैं. इस कारण इसकी खेती सूखे प्रदेशों में आसानी से की जा सकती हैं.
- हाइड्रोपोनिक तरीके से की जाने वाली खेती पूरी तरह से जैविक रूप से की जाती हैं. इसलिए इस तरीके से उगाई गई फसल अधिक पौष्टिक होती हैं.
- हाइड्रोपोनिक खेती पूरी तरह वातावरण के अनुकूल होती हैं. इस तरह से खेती करने से जल और मृदा प्रदूषण दोनों नही होते. जिससे भूमि में जल स्तर बना रहता हैं.
- इस तरीके से खेती करने में काफी कम खर्च आता है. या ये कहें की एक पौधे पर एक रूपये से भी कम का खर्च होता है.
- हाइड्रोपोनिक तरीके से खेती करने पर पौधों में अधिक मेहनत करने की जरूरत नही होती हैं. क्योंकि इस तरीके से खेती करने पर पौधों में किसी तरह की खरपतवार पैदा नही होती.
- हाइड्रोपोनिक तरीके से खेती करने पर पौधों में रोग भी काफी कम देखने को मिलते हैं. जिससे पौधों पर रोगों की रोकथाम के लिए होने वाला खर्च काफी कम होता है.
- इस तरीके से खेती कर विपरीत समय की फसलों को उगाकर उनसे अधिक उत्पादन हासिल किया जा सकता हैं. जिससे किसान भाइयों को अपनी फसल से अधिक मुनाफा मिल जाता हैं.
- इस तरीके से खेती करने पर हरे चारे वाली फसल काफी जल्दी तैयार हो जाती हैं. जिससे दुधारू पशुओं को गर्मी के मौसम में भी ताजा हरा चारा मिलता रहता हैं.
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mihe aise parkar ki kheti krne me interest rakhta hu mjhe bataye kaise kar sakte hai Mera Number hai 9990928139
पोषक वस्तुयें कौन से हैं जो पानी में मिलायें जाते हैं तथा किस Concentration में मिलायें जाते हैं ।
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