नकदी फसलों की श्रेणी में उन फसलों को शामिल किया गया है, जिन्हें खेतों से निकालकर सीधे बाज़ार में बेचा जाता है. या फिर ये कहे की जिन्हें अधिक समय तक भंडारित नहीं किया जा सकता. और जिन फसलों के माध्यम से किसान भाई को प्रत्यक्ष रूप से ज्यादा लाभ मिलाता है. जिससे किसान भाइयों की आर्थिक स्थिति में काफी ज्यादा सुधार भी आता है. नकदी फसलों से कम जगह पर भी अधिक उत्पादन लिया जा सकता है. नकदी फसलों में वो व्यापारिक फसलें भी आती है. जिनके माध्यम से उद्योंगों को कच्चा माल प्राप्त होता है.
शुरुआत में नकदी फसलों की खेती बहुत कम होती थी. लेकिन इनके उत्पाद को बेचने पर मिलने वाले अधिक लाभ को देखते हुए किसान भाइयों की रूचि अब इन फसलों की तरफ ज्यादा होने लगी है. जिस कारण अब नकदी फसलों का भारतीय कृषि में योगदान बढ़ता जा रहा है.
भारत जैसे कृषि प्रधान देश में नकदी फसलों की उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी होने की वजह से देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होती है. क्योंकि इन्हें बहार विदेशों में बेचने पर सरकार को अधिक राजस्व की प्राप्ति होती है. नकदी फसलों के रूप में तिलहन, सब्जी, जूट, कॉफी, कोको, गन्ना, केला, संतरा और कपास जैसी फसलें शामिल हैं. इन सभी के अलावा तम्बाकू भी एक मुख्य नकदी फसल है. जिसका उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है. लेकिन इसकी पैदावार की तरफ लोगों का ध्यान अभी कम है.
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