गन्ना की खेती ज्यादातर उत्तर और मध्य भारत में की जाती है. जिसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पंजाब प्रमुख उत्पादक राज्य हैं. गन्ना की खेती पूरे साल भर की जाती है. इसकी खेती किसान भाई नगदी फसल के रूप में करता है. परम्परागत तरीके से इसकी खेती करने से किसानों को पैदावार से बहुत कम लाभ मिल पता है. क्योंकि परम्परागत तरीके से खेती करने में किसान भाइयों को कई तरह की सम्स्यानों का सामना करना पड़ता हैं. और फसल से पैदावार भी कम प्राप्त होती है.
वर्तमान में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा कई नई नई तकनीकियों का विकास कर लिए गया हैं. गन्ने की फसल से उत्तम पैदावार लेने के लिए ट्रेंच विधि का निर्माण किया गया है. जिसके माध्यम से खेती कर किसान भाई अपनी फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकता हैं. आज हम आपको गन्ना रोपाई की इस ट्रेंच विधि के बारें में बताने वाले हैं.
ट्रेंच विधि क्या है ?
ट्रेंच विधि गन्ना रोपाई की एक वैज्ञानिक तकनीकी है, जिसके माध्यम से गन्ने की रोपाई कर किसान भाइयों गन्ने की फसल से कम खर्च में अधिक पैदावार हासिल कर सकता है. इस विधि से गन्ने की रोपाई अक्टूबर माह में की जाती है. ताकि गर्मियों के मौसम में फसल से अच्छा उत्पादन मिल सके. इस विधि से खेती करने पर किसान भाई को अधिक मेहनत करने की भी जरूरत नही होती.
ट्रेंच विधि से खेती कैसे करें?
ट्रेंच विधि से खेती करने के लिए शुरुआत में खेत की अच्छे से जुताई कर खेत को तैयार कर लें. उसके बाद खेत में चार फिट की दूरी छोड़ते हुए जमीन में एक फीट के आसपास चौड़ाई वाली नाली तैयार कर लें. नालियों के अलावा जो किसान भाई इन्हें गड्डों के रूप में उगाना चाहता है वो इसके लिए चार फिट की दूरी रखते हुए आधा फिट गहरा और दो फिट चौड़ा गोलाकार गड्डा तैयार कर लें. गड्डे तैयार करने के बाद उनमें उचित मात्रा में जैविक और रासायनिक खाद को डालकर अच्छे से मिट्टी में मिला दें.
उसके बाद तैयार किये गए गड्डे और नालियों में कम से कम दो आँख वाली डंडी ( बीज / कल्ले ) की रोपाई 8 सेंटीमीटर की दूरी रखते हुए करते हैं. कल्लों की रोपाई से पहले उन्हें उपचारित कर लेना चाहिए. कल्लों को उपचारित करने के लिए बाविस्टीन की उचित मात्रा के घोल का इस्तेमाल करना चाहिये. गन्ने के कल्लों को लगाने के बाद उन्हें 4 से 5 सेंटीमीटर तक मिट्टी में दबा दें. इस तरह से गन्ने की रोपाई करने पर प्रति हेक्टेयर 70 से 80 किवंटल गन्ने के कल्लों की जरूरत होती है.
ट्रेंच विधि से खेती करने के लाभ
- ट्रेंच विधि से गन्ने की रोपाई करने से उर्वरकों पर होने वाला ज्यादा खर्च कम हो जाता है. क्योंकि इसमें उर्वरक पूरे खेत में ना देकर, पौधों की जड़ों में दिया जाता हैं.
- इस विधि से खेत करने पर पौधों के बीच उचित दूरी होने की वजह से पौधों के बीच सूर्य की धूप आसानी से प्रवेश कर जाती है. जिससे पौधे अच्छे से विकास करते हैं. और उनकी लम्बाई भी ज्यादा पाई जाती है.
- इस विधि से खेती करने पर पौधों के बीच उचित दूरी होने के कारण पौधों की जड़ों पर मिट्टी चढाने और पौधों की बंधाई करने में भी ज्यादा मेहनत नही करनी पड़ती.
- इस विधि से गन्ने की रोपाई करने से गन्नों का अंकुरण या प्रजनन एक सप्ताह में शुरू हो जाता है. जिसकी मात्रा साधारण तरीके से दोगुनी ( 80 – 85 % ) होती है.
- इस विधि से गन्ने की रोपाई करने पर पौधों को पानी नालियों से दिया जाता है. जिसकी वजह से पौधों में पानी की काफी कम जरूरत होती है. जिससे पानी की लगभग 50 से 60 प्रतिशत तक बचत हो जाती है.
- इस विधि में हम गन्ने के साथ चना, लहसुन, आलू और कम समय की सब्जी फसलों को भी आसानी से उगा सकते हैं.
- इस विधि में गन्ने की रोपाई गहराई में की जाती है. इस लिए गन्ने काफी कम मात्रा में गिरते हैं.
- गन्नों में उचित मात्रा में सूर्य का प्रकाश और हवा मिलने की वजह से पौधों में रोग काफी कम लगते हैं.
- इस विधि से गन्ने की खेती करने पर गन्ना की मोटाई अधिक पाई जाती है. जिससे प्रति इकाई चीनी की मात्रा में वृद्धि देखने को मिलती है.
इसके अलावा इस विधि से खेती करने संम्बधी किसी अन्य जानकारी या गन्ने की खेती सम्बन्धित किसी भी तरह की जानकारी के लिए अपनी राय कमेंट बॉक्स में हमारे साथ साझा कर सकते हैं.
bahut achcha sar
Sir ganna ke bare me puree jankaree de
palan karne ke liye