Kheti Gyan

  • होम
  • मंडी भाव
  • मेरा गाँव
  • फल
  • फूल
  • सब्ज़ी
  • मसाले
  • योजना
  • अन्य
  • Social Groups

फसलों में लगने वाले प्रमुख कीट रोगों के लिए जैविक कीटनाशक

2019-09-13T10:26:44+05:30Updated on 2019-09-13 2019-09-13T10:26:44+05:30 by bishamber 4 Comments

फसलों में लगने वाले रोग पौधों को कई तरह से नुक्सान पहुँचाते हैं. पौधों में लगने वाले ये रोग जीवाणु, फफूंद, बीज, मृदा और कीट जनित होते हैं. जो पौधे को जमीन के बाहर और भीतर दोनों जगह ही नुक्सान पहुँचाते हैं. रोगग्रस्त पौधों का विकास रुक जाता है. और रोग बढ़ने पर पौधे नष्ट भी हो जाते है. जिससे किसान भाइयों को उनकी फसल से उचित लाभ नही मिल पाता है. आज हम आपकों फसलों में लगने वाले कुछ प्रमुख कीट रोगों के लिए आवश्यक जैविक कीट नाशकों के बारें में बताने वाले हैं.

Table of Contents

  • फसलों में लगने वाले कुछ प्रमुख कीट रोग और उनके जैविक उपचार
    • मिली बग
    • सफ़ेद मक्खी
    • सूत्रकृमि
    • दीमक
    • हरा तेला
    • बिटलबाईन बग
    • फली छेदक
    • माहू
    • कमलिया कीट
    • हरे रंग की इल्ली
    • सब्जी फसलों में सामान्य कीट
प्रमुख कीट रोग और उनके जैविक कीटनाशक

इन जैविक कीटनाशकों को किसान भाई अपने घर पर आसानी से तैयार कर सकता है. और इन्हें तैयार करने के लिए किसान भाइयों को रूपये खर्च करने की भी जरूरत नही होती. वर्तमान में सरकार द्वारा भी जैविक खेती की तरफ ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है. जैविक खेती के लिए सरकार की तरफ से कई योजनाएँ भी चलाई जा रही हैं.

फसलों में लगने वाले कुछ प्रमुख कीट रोग और उनके जैविक उपचार

मिली बग

मिली बग रोग का प्रभाव पौधों पर बारिश के मौसम में अधिक देखने को मिलता है. इस रोग के कीट सफ़ेद रूई के जैसे दिखाई देते हैं. जो पौधे की पत्ती, फल, तने और फूलों की निचली सतह पर पाए जाते हैं. इस रोग के कीट पौधों की पत्तियों का रस चूसकर पौधों का विकास रोक देते हैं. जिससे पौधे की पत्तियां समय से पहले पीली होकर गिर जाती है, या सिकुड़ने लगती है.

रोकथाम – इस रोग की जैविक तरीके से रोकथाम कई तरह से की जा सकती है.

  1. नीम के तेल को पानी में मिलाकर पौधों पर 10 दिन के अंतराल में दो बार छिडकाव कर दें.
  2. बारिश के वक्त खेत में पानी हल्की मात्रा में देना चाहिए.
  3. इसकी रोकथाम के लिए पौधों पर सर्फ और मिट्टी तेल के घोल का छिडकाव भी लाभदायक होता है.
  4. नीम की पत्ती, लहसुन, हरी मिर्च और गुड को 1:1:1:3 के अनुपात में लेकर उसमें आधा लीटर पानी मिलाकर तीन महीने के लिए रख दें. उसके बाद प्राप्त घोल की 10 मिलीलीटर मात्र को 15 लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर 10 दिन के अंतराल में दो से तीन बार छिडकाव करें .

सफ़ेद मक्खी

सफ़ेद मक्खी का रोग लगभग सभी तरह की चौड़ी पत्तियों वाली फसलों ( सब्जी, कपास, अनाज ) पर देखने को मिलता है. इस रोग के कीट सफ़ेद रंग के दिखाई देते हैं. जिनका आकार छोटा होता है. इस रोग के कीट पौधे की पत्तियों की निचली सतह पर देखने को मिलते है. जो पौधे की पत्तियों का रस चूसकर पौधों को नुक्सान पहुँचाते है. इन कीटों के रस चूसने की वजह से पौधों की पत्तियां पीली की पड़ जाती है. और पौधों का विकास रुक जाता हैं.

रोकथाम – इस रोग की रोकथाम के लिए कई तरह के जैविक तरीके किसान भाई अपना सकता है.

  1. यलो स्टिकी ट्रेप को खेत में लगा दें. यलो स्टिकी ट्रेप एक चिपचिपी टेप होती है. जिस पर सफ़ेद मक्खी के कीट आकर्षित होते हैं. और उससे चिपककर नष्ट हो जाते हैं.
  2. नीम के तेल की उचित मात्रा को पानी में मिलकर उसका छिडकाव पौधों पर सप्ताह में एक बार करना चाहिए.
  3. नीम की पत्ती, लहसुन, हरी मिर्च और गुड को 1:1:1:3 के अनुपात में लेकर उसमें आधा लीटर पानी मिलाकर तीन महीने के लिए रख दें. उसके बाद प्राप्त घोल की 10 मिलीलीटर मात्र को 15 लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर 10 दिन के अंतराल में तीन बार छिडकाव करें.

सूत्रकृमि

सूत्रकृमि, गोल कृमि या नेमैटोड सभी एक ही कीट के नाम है. इस रोग के कीट पौधों को जमीन के अंदर रहकर नुक्सान पहुँचाते हैं. इस रोग के कीट का लार्वा पौधे की जड़ों को खाकर पौधों को नष्ट कर देता है. जिससे फसल को काफी ज्यादा नुक्सान पहुँचता हैं.

रोकथाम

  1. इस रोग की रोकथाम के लिए गर्मियों के मौसम में खेत की गहरी जुताई कर कुछ दिन के लिए खेत को खुला छोड़ दें.
  2. फसल को रोगग्रस्त होने से बचाने के लिए खेत में फसल चक्र को अपनाएं.
  3. खेत में जलभराव अधिक ना होने दें.
  4. नीम की खली का छिडकाव खेत की तैयारी के दौरान खेत में करना चाहिए.

दीमक

दीमक का रोग पौधों को जमीन के अंदर और बाहर दोनों तरह से नुक्सान पहुँचाता हैं. इस रोग के कीट जमीन में पौधे की जड़ को काटकर नुक्सान पहुँचाते हैं, तो जमीन के बाहर जमीन की सतह से पौधे के तने को काटकर उन्हें नष्ट कर देते हैं. इस रोग के लगने पर शुरुआत में पौधा मुरझा जाता है. और कुछ दिन बाद पौधा पूरी तरह से सुख जाता है.

रोकथाम – दीमक की रोकथाम के लिए किसान भाई कई जैविक तरीकों को अपना सकते हैं.

  1. दीमक के प्रकोप वाले खेतों में गोबर की खाद नही डालनी चाहिए.
  2. फसल रोपाई के बाद खेत में खाली मटकों में मुख से 10 सेंटीमीटर नीचे छिद्र बना लें. उसके बाद मटकों में पानी भरकर उसमें मक्के के भुट्टों को डाल दें. और खेत में 60 से 80 फिट की दूरी में दबा दें. जब उनमें दीमक के कीट आ जाए तब उन्हें खेत से बाहर ले जाकर फेंक दें.
  3. खेत की जुताई के वक्त नीम या करंजी की खल का छिडकाव खेत में कर दें.

हरा तेला

हरा तेला का रोग ज्यादातर गन्ना, चावल और कपास जैसी और भी कई फसलों में देखा जाता है. इस रोग के कीट पौधे की पत्तियों पर अपने अंडे देते हैं. जिनका लार्वा पौधे को काफी नुक्सान पहुँचाता हैं. इस रोग के कीट हरे रंग के होते हैं. जिनके पीछे काला धब्बा दिखाई देता हैं. इस रोग के कीट पौधे की पत्तियों का रस चूसकर और लार्वा पत्तियों को खाकर नुक्सान पहुँचाते हैं. जिससे पौधे विकास करना बंद कर देते हैं.

रोकथाम – इस रोग की रोकथाम के लिए नीम की पत्ती, लहसुन, हरी मिर्च और गुड को 1:1:1:3 के अनुपात में लेकर उसमें आधा लीटर पानी मिलाकर तीन महीने के लिए रख दें. उसके बाद प्राप्त घोल की 10 मिलीलीटर मात्र को 15 लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर 10 दिन के अंतराल में तीन बार छिडकाव करें.

बिटलबाईन बग

बिटलबाईन बग का रोग मुख्य रूप से पान की पत्तियों पर दिखाई देता है. इस रोग के कीट पतियों में छिद्र बना देते हैं. और शिराओं के बीच के उतक को खा जाते हैं. जिससे पत्तियों में सिकुडन आ जाती है. रोग बढ़ने पर सम्पूर्ण पौधा सूखकर नष्ट हो जाता है.

रोकथाम – इस रोग की रोकथाम के लिए के लिए पौधों पर एक लीटर तम्बाकू की जड़ों के घोल को 20 लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर छिडकाव करना चाहिए.

फली छेदक

फली छेदक रोग का प्रभाव फली वाली फसलों पर ही देखने को मिलता है. इस रोग के कीट का लार्वा फलियों को अंदर से खाकर नष्ट कर देते हैं. जिसका सीधा असर फसल की पैदावार पर देखने को मिलता है.

रोकथाम – इस रोग की रोकथाम के लिए नीम के तेल या पंचगव्य का छिडकाव पौधों पर करना चाहिए.

माहू

माहू का रोग फसल के पकने के दौरान मौसम परिवर्तन के समय देखने को मिलता है. इस रोग के कीट पौधों के कोमल भागों का रस चूसकर पौधे के विकास को प्रभावित करते हैं. इस रोग के कीटों का आकार बहुत छोटा होता है. जो पौधे पर समूह में पाए जाते हैं.

रोकथाम – इसकी रोकथाम के लिए कई तरह के जैविक कीटनाशकों का किसान भाई इस्तेमाल कर सकते हैं.

  1. लगभग नीम की 5 किलो पत्तियों को ढाई लीटर पानी में मिलाकर एक रात तक भिगों दें. उसके बाद उस पानी को उबाकर ठंडा कर छान लें. इस तरह प्राप्त घोल को 50 से 60 लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर छिडकाव करें.
  2. रोगग्रस्त पौधों पर नीम के तेल की 2 प्रतिशत मात्रा को पानी में मिलाकर छिडकाव करना अच्छा होता हैं.
  3. 1 किलो गोबर को 10 लीटर पानी में मिलकर उसे टाट के कपड़े से छानकर पौधों पर छिडकने से लाभ मिलता हैं.

कमलिया कीट

इस रोग का प्रभाव पौधों पर बारिश के बाद दिखाई देता है. इस रोग के कीट बारिश के बाद अपने लार्वा की जन्म देता हैं. जो पौधे की पत्तियों की खाकर उन्हें नुक्सान पहुँचाते हैं. इस रोग के लार्वा के पूरे शरीर पर काले बाल दिखाई देते हैं

रोकथाम – इस रोग की जैविक तरीके से रोकथाम के कई तरीके मौजूद हैं.

  1. 75 लीटर पानी में 15 मिलीलीटर नीम का तेल मिलाकर पौधों पर छिडकाव करना चाहिए.
  2. 5 लीटर मठे मे एक किलो नीम और धतूरे के पत्ते डालकर 10 दिन तक सडाने के बाद उसे पानी में मिलाकर पौधों पर 10 दिन के अंतराल में दो बार छिडकाव करें.
  3. 5 किलो नीम पत्तियों को तीन लीटर पानी में मिलाकर एक रात तक भिगों दें. उसके बाद उस पानी को इतना उबालें की मिश्रण आधा रहा जाएँ. और जब मिश्रण ठंडा हो जाएँ तब उसे छानकर अलग कर लें. इस तरह प्राप्त घोल को 150 से 160 लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर छिडकाव करें.

हरे रंग की इल्ली

हरे रंग की इल्ली पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर उनके विकास को प्रभावित करती है. फलस्वरूप पौधों पर लगने वाले फलों का आकार छोटा रहा जाता है. और पैदावार काफी कम प्राप्त होती हैं.

रोकथाम – इस रोग की रोकथाम के लिए 300 ग्राम हीराकासी, 250 ग्राम तम्बाकू, 50 ग्राम नींबू के रस को 2 लीटर पानी डालकर अच्छे से उबाल लें. उसके बाद प्राप्त मिश्रण की आधा लीटर मात्रा को 30 से 35 लीटर पानी में मिलकर पौधों पर छिड़क दें. इसके अलावा नीम के आर्क का छिडकाव भी किसान भाई पौधों पर कर सकते हैं. नीम का आर्क बनाने के लिए नीम की पत्तियों को 1:3 के अनुपात में पानी में मिलकर उबाल लें.

सब्जी फसलों में सामान्य कीट

सब्जी फसलों में वैसे तो कई कीट रोग पाए जाते हैं. लेकिन कुछ ऐसे कीट रोग होते हैं जो लगभग सभी फसलों में दिखाई देते हैं. जिनमें फल छेदक, सुंडी और कतरा जैसे रोग सामान्य रूप से दिखाई देते हैं. जो पौधों के फल और पत्तियों को खाकर काफी ज्यादा नुकसान पहुँचाते हैं.

रोकथाम – इन रोगों की रोकथाम के लिए 100 ग्राम तंबाकू, 100 ग्राम नमक, 20 ग्राम साबुन का घोल और 20 ग्राम बुझे हुए चुने को 5 लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर सुबह के वक्त छिड़कना चाहिए. इसके अलावा नीम के तेल और शेम्पू को पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़कने से लाभ मिलता हैं.

तो ये वो कुछ कीट रोग थे जो फसलों पर सामान्य रूप से दिखाई देते हैं. इन सभी कीटों को बिना रूपये खर्च किये जैविक तरीके से रोका या नष्ट किया जा सकता हैं. इनके अलावा अगर आप और भी किसी रोग के बारें में या उसके जैविक नियंत्रण के बारें में जानकारी चाहते हैं तो आप अपनी राय कमेंट बॉक्स में हमारे साथ साझा कर सकते हैं.

Filed Under: जैविक खेती, रोग एवं रोकथाम

Comments

  1. Bablu Kumbhkar says

    March 29, 2020 at 8:45 am

    bablu

    Reply
  2. gajananad says

    June 29, 2020 at 1:12 am

    karela ki sabhi patta sikud raha hai kya Dale

    Reply
  3. Lalit Verma says

    November 21, 2020 at 2:41 am

    sar lal makdi ke prabhav ko kese kam kare jo ki podho ko bhora kar khrab kar deti he

    Reply
  4. Jasbir says

    February 9, 2021 at 3:55 pm

    nice information

    Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts

  • भेड़ पालन कैसे शुरू करें 
  • प्रमुख तिलहनी फसलों में लगने वाले रोग और उनकी रोकथाम
  • बरसीम की खेती कैसे करें
  • बायोगैस क्या हैं? पशुओं के अपशिष्ट से बायोगैस बनाने की पूरी जानकारी
  • सूअर पालन कैसे शुरू करें? Pig Farming Information

Categories

  • All
  • अनाज
  • अन्य
  • उन्नत किस्में
  • उर्वरक
  • औषधि
  • जैविक खेती
  • पौधे
  • फल
  • फूल
  • मसाले
  • मेरा गाँव
  • योजना
  • रोग एवं रोकथाम
  • सब्ज़ी
  • स्माल बिज़नेस

Follow Us

facebookyoutube

About

खेती ज्ञान(www.khetigyan.in) के माध्यम से हमारा मुख्य उद्देश्य किसानों को खेती के बारें में सम्पूर्ण जानकारियां देना है. अगर आप खेती संबंधित कोई भी जानकारी देना या लेना चाहते है. तो आप इस ईमेल पर सम्पर्क कर सकते है.

Email – khetigyan4777[@]gmail.com

Important Links

  • About Us – हमारे बारे में!
  • Contact Us (सम्पर्क करें)
  • Disclaimer (अस्वीकरण)
  • Privacy Policy

Follow Us

facebookyoutube

All Rights Reserved © 2017-2022. Powered by Wordpress.