गेंदे की खेती व्यावसायिक तौर पर की जाती है. इसकी खेती से कम समय में अच्छी खासी कमाई की जा सकती हैं. आजकल गेंदे के फूलों का उपयोग लगातार बढता जा रहा है. लोग गेंदे के फूल का इस्तेमाल कार्यक्रम में सजावट के रूप में लेते हैं.
गेंदे के फूल को घर, बगीचे में सजावट और खेतों में व्यापर के तौर पर उगाया जाता हैं. इसके फूल की खासियत है कि ये अन्य फूलों की अपेक्षा ज्यादा टाइम तक ताज़ा दिखाई देता है. गेंदे के फूल की खेती पूरे साल की जा सकती है. और ये हर मौसम में एक समान पैदावार देता है.
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गेंदे के पौधे को किसी ख़ास जलवायु की जरूरत नही होती. अलग अलग जगहों पर इसे अलग अलग मौसम में उगाया जाता है. लेकिन सर्दी के मौसम में पड़ने वाले पाले की वजह से इसकी पैदावार पर हल्का फर्क देखने को मिलता है. गेंदे की खेती के लिए बलुई मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है.
अगर आप भी इसकी खेती करना चाहते है तो आज हम इसकी खेती के बारें में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले हैं.
उपयुक्त मिट्टी
गेंदे की खेती के लिए बलुई दोमट मिटटी सबसे ज्यादा फायदेमंद होती है. इसके अलावा इसे उचित जल निकासी वाली किसी भी तरह की मिट्टी में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है. इसके लिए मिट्टी का पी.एच. मान 7 के आसपास रहना चाहिए.
जलवायु और तापमान
गेंदा को भारत में अलग अलग जगहों पर अलग अलग ऋतुओं में उगाया जाता है. लेकिन शरद ऋतू में इसे उगाना सबसे अच्छा माना जाता है. इसका पौधा वैसे तो एक बार लगाने के बाद साल भर तक पैदावार दे सकता हैं. लेकिन व्यापारिक तौर पर लोग इसे सिर्फ एक बार पैदावार लेने के लिए ही उगाते हैं.
इसके पौधे के लिए किसी विशेष तापमान की जरूरत नही होती. इसके पौधे के लिए सामान्य तापमान काफी होता है. सामान्य तापमान पर इसकी पैदावार काफी अच्छी होती है.
गेंदे की किस्में
गेंदे की कई तरह की किस्में पाई जाती है. जिन्हें मुख्य रूप से चार प्रजातियों में बाँटा गया है.
अफ्रीकन प्रजाति
गेंदे की इस प्रजाति को टेगेट्स भी कहा जाता है. इसके पौधों की ऊंचाई तीन फिट तक पाई जाती है. जबकि इसके फूल की लम्बाई 5 से 7 सेंटीमीटर तक पाई जाती है. इसके फूल आकार में बड़े होते हैं. जिनका रंग पीला, नारंगी पीला, सफ़ेद, नारंगी और चमकीला पीला होता है. इस प्रजाति में क्लाइमेक्स, कोलेगेट, क्राउन आफ गोल्ड, क्यूट येलो, जुबली, मन इन द मून, येलो सुप्रीम, मैमोथ मम, रिवर साइड ब्यूटी और स्पन गोल्ड जैसी और भी कई किस्में पाई जाती हैं. इन्हें व्यापारिक लाभ के लिए सबसे ज्यादा उगाया जाता है.
फ्रांसीसी गेंदा
इनको कई जगह फ्रेंच गेंदा के नाम से भी जाना जाता है. इस प्रजाति के पौधों की लम्बाई एक फिट के आसपास पाई जाती है. लेकिन इसके पौधे में शाखाएं ज्यादा निकलती है. जिन पर फूल भी ज्यादा आते हैं. इसका पौधा कम लम्बाई का होने के बाद भी पूरी तरह फूलों से ढका रहता है. इस प्रजाति में गोल्डन जिम, रेड कोट, डेनटी मैरिएट, रेड हेड, गोल्डन बाल, रेड ब्रैकेट, कपिड येलो, बोलेरो और बटर स्कॉच जैसी कई और किस्में पाई जाती हैं.
मैक्सन गेंदा
इस प्रजाति का गेंदा सामान्य लम्बाई का होता है. जिस पर फूल काफी ज्यादा आते हैं. इसके फूल पीले और नारंगी कलर के होते हैं. इस प्रजाति में गेट्स ल्यूसीडा, गेट्स लेमोनी और गेट्स मैन्यूटा मुख्य किस्में है.
संकर प्रजाति
इस प्रजाति की किस्मों को संकरण के माध्यम से तैयार किया गया है. इस प्रजाति की नगेट रेट, शेफर्ड, पूसा नारंगी गेंदा और पूसा बसन्ती मुख्य किस्में है.
खेत की जुताई
गेंदे की खेती के लिए खेत की पहले अच्छे से जुताई करें. उसके बाद खेत में गोबर की खाद डालकर उसे खेत में अच्छे से मिला दें. फिर खेत में पानी छोड़ दें. पानी देने के बाद जब खरपतवार बाहर निकल आयें तब फिर से खेत की अच्छे से जुताई कर उसे समतल बना दे. ताकि खेत में पानी का भराव ना हो सके. समतल बनाने के बाद खेत में एक फिट की दूरी पर मेड बना दें.
पौध तैयार करना
गेंदे के बीज को खेत में सीधा बीज से उगने की बजाय उसे पौध लगाकर उगाना सबसे बेहतर माना जाता है. इसके बीज को खेत में लगाने से पहले घर या नर्सरी में इसकी पौध तैयार की जाती है. गेंदे की पौध बनाने के लिए संकर किस्म का 700 से 800 ग्राम बीज एक हेक्टेयर में काफी होता है. जबकि बाकी अन्य किस्मों के लिए एक से सवा किलो बीज लगता है.
हमने बताया की गेंदे की पैदावार अलग अलग जगहों के अनुसार सालभर की जा सकती है. पौध को खेत में लगाने के एक महीने पहले तैयार किया जाता है. और जब पौध एक महीने की हो जाती है तब उन्हें खेत में लगाने के लिए पानी देकर उखाड़ लेते हैं.
नर्सरी में पौध तैयार करने के लिए पहले क्यारियों में पुरानी गोबर की खाद डालकर उसे अच्छे से मिला लें. उसके बाद मिट्टी में लिन्डेन धूल डालकर उसे उपचारित कर लें. फिर बीज को मिट्टी में डालकर अच्छे से मिला दें. और उसकी हल्की हल्की सिंचाई कर दें.
पौध को खेत में लगाने का टाइम और तरीका
गेंदे की खेती तीनों ऋतुओं में की जाती है. खरीफ की प्रजातियों को जून या जुलाई में खेत में उगाना चाहिए. जबकि रबी की प्रजाति को सितम्बर – अक्टूबर में और जायद की फसल को फरवरी – मार्च में लगाना चाहिए.
पौधों को खेत में लगाते टाइम ध्यान रखना चाहिए कि पौधों को हमेशा शाम के टाइम में ही खेतों में लगाए. क्योंकि शाम को पौध लगाने से पौध के नष्ट होने के चांस बहुत कम होते है.
खेत में पौध लगते टाइम उसे एक फिट की दूरी पर मेड़ों पर लगाये. इससे पौधे को फैलने और विकास करने में मदद मिलती है. जबकि कुछ किसान भाई इसे समतल क्यारियों में लगते है. समतल क्यारियों में इसे गर्मियों में 2 फिट की दूरी पर लगाये जबकि बाकी दोनो मौसम में इसे एक से सवा फिट की दूरी पर लगाएं.
पौधे की सिंचाई
गेंदे के पौधे को खेत में लगाने के तुरंत बाद उसकी सिंचाई कर देनी चाहिए. उसके बाद पौध के जड़ पकड़ने तक खेत में नमी बनाए रखनी चाहिए. जब पौध जड़ जाये तब सप्ताह में एक बार पानी ज़रुर देना चाहिए. लेकिन जब पौधे में शाखाएं बनने लगे तब खेत में नमी की मात्रा बनाए रखने के लिए खेत में पानी आवश्यकता के अनुसार देना चाहिए.
खरपतवार नियन्त्रण
गेंदे की खेती में खरपतवार नियंत्रण के लिए पौधे की नीलाई गुड़ाई जरूरी होती है. पौध के लगाने के 25 दिन बाद खेत में नीलाई गुड़ाई कर देनी चाहिए. और इस दौरान पौधे की मुख्य शाखा को उपर से तोड़ देना चाहिए. इससे पौधे में और शाखाएं निकल आती हैं. जिससे पौधे से ज्यादा पैदावार मिलती है.
पहली गुड़ाई के बाद दूसरी गुड़ाई 15 दिन बाद कर देनी चाहिए. जबकि रसायानिक तरीके से खरपतवार के नियंत्रण के लिए खेत में रेडोमिल या कार्बेन्डाजिम का छिडकाव पौधे को खेत में लगाने से पहले करना चाहिए. हर बार गुड़ाई करते टाइम पौधों की जड़ों पर मिट्टी चढ़ा दें. ऐसा करने से जब पौधों पर फूल खिलते हैं तब ज्यादा वजन होने की वजह से पौधा नीचे नही झुकता.
उर्वरक की मात्रा
गेंदे की खेती करने के लिए पहले खेत में 10 से 15 गाडी प्रति एकड़ के हिसाब से गोबर की पुरानी खाद डालकर उसे मिट्टी में मिला दें. उसके बाद एन.पी.के. की उचित मात्रा को खेत में आखिरी जुताई के साथ छिड़क दें. पौध लगाने के एक महीने बाद खेत में 20 किलो नाइट्रोजन प्रति एकड़ के हिसाब से दें. इसी तरह दूसरे महीने भी 20 किलो नाइट्रोजन और दें.
गेंदे के पौधे को लगने वाले रोग
गेंदे के पौधे को कई तरह के रोग लगते हैं. जो कवक और कीटों के माध्यम से लगते हैं.
झुलसा रोग
पौधे पर ये रोग अल्टरनेरिया टेगेटिका तथा सरकोस्पोरा फफूंद की वजह से लगता है. इसके लगने पर पौधे की पत्तियों पर सफ़ेद धब्बे बनने लगते हैं. जिसके बाद पत्तियां जल जाती है. पौधे पर जब इस रोग के लक्षण दिखाई दे तो ब्लाइटाक्स या वेवस्टीन दवाई की उचित मात्रा का छिडकाव पौधे पर करना चाहिए.
पौध गलन
पौधों पर ये रोग शुरूआती अवस्था में लगता है. इसके लगने पर पौधे की जड़ें सड़ने लगती है. जिससे पौधा जल्दी ही मुरझाने लगता और पतीयाँ पीली होकर झड जाती हैं. जिससे पूरा पौधा नष्ट हो जाता हैं. पौधों में ये रोग ज्यादा पानी भराव और फफूंदी की वजह से लगता है. इसके लिए बीज को लगाते वक्त फ़ार्मल्डिहाइट से उपचारित कर लेना चाहिए. या फिर जब पौधे को खेत में लगाये तब कॉपर आक्सीक्लोराइड का छिडकाव पौधों पर करना चाहिए.
रेड स्पाइडर माइट
पौधों पर ये रोग फूल खिलने के टाइम लगता है. जो एक कीट की वजह से फैलता है. इसके लगने पर पत्तियों पर भूरे दाग दिखाई देने लगते है. और फूल भी सुखा हुआ दिखाई देते है. इसकी रोकथाम के लिए पौधों पर डाइकोफाल में गोंद मिलाकर छिड़कना चाहिए.
माहू
पौधों पर ये रोग कीटों की वजह से फैलता है. जिससे पौधे पर कुकुम्बर मोजेक और एस्टर यलो वायरस का प्रकोप बढ़ जाता है. इसके लग जाने पर पौधे पर मेलाथियान का छिडकाव करना चाहिए. या पौधे को खेत से उखाडकर जला देना चाहिए.
पाउडरी मिल्ड्यू
पौधों पर ये रोग ओडियम स्पेसीज फफूंद की वजह से लगता हैं. इससे पौधों पर सफ़ेद पाउडर दिखाई देने लगता है. इसकी रोकथाम के लिए पौधों पर सल्फेक्स दवा का छिडकाव करना चाहिए.
रोयेंदार कीड़ा
पौधों पे लगने वाला ये कीड़ा एक सेंटीमीटर लम्बा होता है. जो पौधे की पत्तियों और फूल को खाता है. इससे पैदावार के साथ साथ बाज़ार में कीमत पर भी असर देखने को मिलता है. इसकी रोकथाम के लिए इकाल्कस दवा की उचित मात्रा को पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़कना चाहिए.
फूलों की तुड़ाई
गेंदे के फूल पौधे के खेत में लगाने के लगभग तीन महीने बाद तोड़ने लायक हो जाते हैं. जब फूल को पौधों से अलग करें तो उसे एक से दो सेंटीमीटर नीचे से तोड़े. फूल को हमेशा सुबह या शाम के वक्त ही तोड़ें. जब फूल को तोड़ें तो उस वक्त खेत में नमी बनी रहनी चाहिए. इससे फूल ज्यादा देर तक ताज़ा दिखाई देंगे.
पैदावार और लाभ
गेंदे की पैदावार दो तरीके से की जा सकती है. पहले इसके ताज़ा फूल बाज़ार में बेचकर अच्छी खासी कमाई की जाती है. इसके ताज़ा फूलों का बाज़ार भाव 70 से 100 रूपये प्रति किलो का होता है. और एक एकड़ में 300 से 400 किलो तक फूल पैदा हो सकते हैं. जिससे किसान भाई एक बार में 40 हज़ार तक कमाई कर लेते हैं.
दूसरी तरीके मे इसकी पैदावार से बीज निकालकर उन्हें सुखाने के बाद बाज़ार में बेचकर अच्छी कमाई कर सकते हैं. इसके लिए फूलों को पौधे पर सुखाकर तोडना चाहिए. जिससे बीज अच्छी तरह से पक जाता हैं. एक एकड़ से सूखे हुए गेंदे के बीज 35 से 40 किलो तक प्राप्त होते है. एक किलो सूखे हुए बीज का बाज़ार भाव लगभग 1300 रूपये तक होता है. जिसे बेचने पर 40 से 50 हज़ार तक की कमाई हो जाती है.
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