इलायची उत्पादक देशों में भारत का नाम पहले नंबर पर आता है. भारत में इलायची का उत्पादन केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा किया जाता है. इलायची का पौधा पूरे साल हरा – भरा रहता है. इसकी पत्तियां एक से दो फिट लम्बाई की होती है. इलायची का इस्तेमाल मुखशुद्धि और मसाले के रूप में किया जाता है. इलायची की खुशबू की वजह से इसका इस्तेमाल मिठाइयों में भी किया जाता है.
Table of Contents
मसाले और खाने के अलावा इलायची का इस्तेमाल औषधियों में भी किया जाता है. आयुर्वेदिक चिकित्सकों के अनुसार इलायची के इस्तेमाल से वात, श्वास, खाँसी, बवासीर, क्षय, वस्तु पित्त जनित रोग, पथरी, सुजाक और खुजली जैसी बिमारी नही होती.
इलायची की खेती वर्तमान मे किसानों के लिए लाभदायक साबित हो रही है. इलायची का पौधा 5 से 10 फिट की ऊंचाई का पाया जाता है. इलायची की खेती उष्णकटिबंधीय जंगलों में की जाती है. इसकी खेती के लिए छाया और समुद्री हवा में नमी का होना जरूरी होता है. इसकी खेती लाल और दोमट मिट्टी में की जा सकती है. इलायची मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है. जिन्हें छोटी और बड़ी इलायची के नाम से जाना जाता है. बड़ी इलायची के बारें में सम्पूर्ण जानकारी हम आपको हमारे एक और आर्टिकल में बता देंगे.
अगर आप हरी इलाइची की खेती करने का मन बना रहे हैं तो आज हम आपको इसकी खेती के बारें में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले हैं.
उपयुक्त मिट्टी
इलायची की खेती के लिए मुख्य रूप से लाल दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. इसके अलावा उचित देखरेख कर और भी कई तरह की मिट्टी में इसकी खेती की जा सकती है. इलायची की खेती के लिए जमीन का पी.एच. मान 5 से 7.5 के बीच होना चाहिए.
जलवायु और तापमान
इलायची की खेती के लिए मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय जलवायु उपयुक्त होती है. लेकिन वर्तमान में भारत के कई हिस्सों में इसको उगाया जा रहा है. इलायची की खेती समुद्र ताल से 600 से 1500 मीटर की ऊंचाई वाली जगहों पर भी की जा सकती है. इसकी खेती के लिए 1500 मिलीमीटर बारिश का होना जरूरी है. इलायची की खेती के लिए हवा में नमी और छायादार जगह का होना जरूरी होता है.
इलायची की खेती के लिए सामान्य तापमान की जरूरत होती है. लेकिन सर्दियों में न्यूनतम 10 डिग्री और गर्मियों में अधिकतम 35 डिग्री तापमान पर भी पौधा अच्छे से विकास करता है.
उन्नत किस्में
इलायची की कई तरह की किस्में हैं जिन्हें अलग अलग नामों से जाना जाता है. लेकिन इलायची की मुख्य रूप से दो प्रजाति ही पाई जाती है. जिन्हें छोटी और बड़ी या हरी और काली इलायची के नाम से जाना जाता है.
हरी इलायची
हरी इलायची को छोटी इलायची के नाम से जाना जाता है. इसका इस्तेमाल कई तरह से खाने में किया जाता है. इसका इस्तेमाल मुखशुद्धि, औषधि, मिठाई और पूजा पाठ में किया जाता है. इसके पौधे 10 से 12 साल तक पैदावार देते हैं.
काली इलायची
काली इलायची को बड़ी इलायची के नाम से भी जाना जाता है. बड़ी इलायची का इस्तेमाल मसाले के रूप में किया जाता है. इसका आकार छोटी इलायची से काफी बड़ा होता है. इसका रंग हल्का लाल काला होता है. काली इलायची में कपूर के जैसी खुशबू पाई जाती है. बड़ी इलायची में भी दो श्रेणियां पाई जाती है. जिनके बारें में पुरी जानकारी काली इलायची वाले आर्टिकल में हम आपको बताने वाले हैं.
खेत की जुताई
इलायची की खेती के लिए पहले से की हुई फसल के अवशेष हटाकर और पलाऊ लगाकर गहरी जुताई करें. जुताई करने के बाद खेत में जल संरक्षण के लिए खेत में मेड बना दें. ताकि बारिश के पानी के कारण पौधों की सिंचाई की जरूरत कम हो. जल संरक्षण की जरूरत ढाल वाली भूमि और कम वर्षा वाले भागों में ज्यादा होती है. उसके बाद खेत में फिर से गहरी जुताई कर रोटावेटर चला दें. इससे खेत की मिट्टी समतल हो जायेगी.
मिट्टी के समतल हो जाने के बाद उसमें अगर पौधे मेड पर लगाना चाहते हैं तो लगभग डेढ़ से दो फिट की दूरी पर मेड बना दे. और समतल में लगाने के लिए खेत में दो से ढाई फिट की दूरी रखते हुए गड्डे तैयार कर लें. इन गड्डों और मेड पर गोबर की खाद और रासायनिक खाद डालकर मिट्टी में मिला दें. खेत की तैयारी पौधे के लगाने के लगभग एक 15 दिन पहले की जाती है.
पौध तैयार करना
इलायची की खेती के लिए शुरुआत में नर्सरी में पौधे तैयार किये जाते हैं. पौधों को तैयार करने के लिए नर्सरी में 10 सेंटीमीटर की दूरी पर बीजों को लगाना चाहिए. बीजों को खेत में लगाने से पहले गोमूत्र या ट्राइकोडर्मा की उचित मात्रा से उपचारित कर लगाना चाहिए. एक हेक्टेयर के लिए एक से सवा किलो बीज काफी होता है.
बीज लगाने के लिए क्यारियों तैयार करते वक्त प्रत्येक क्यारियों में 20 से 25 किलो खाद डालकर उसे अच्छे से मिट्टी में मिला दें. क्यारियों में बीज लगाने के बाद उनकी सिंचाई हजारे के माध्यम से कर दें. और सिंचाई करने के बाद क्यारियों को बीज अंकुरित होने तक पुलाव या सुखी घास से ढक दें. जब पौधा पूरी तरह तैयार हो जाता है तब उन्हें खेत में लगाया जाता है. इलायची का पौधा जब लगभग एक फिट की लम्बाई का बनकर तैयार हो जाता है तब इसे खेत में लगा देना चाहिए.
पौध रोपण का टाइम और तरीका
इलायची की खेती के लिए पौध रोपण का काम एक से दो महीने पहले किया जाता है. उसके बाद इन पौधों को बारिश के मौसम में जुलाई माह के दौरान खेतों में उगाना चाहिए, जिससे पौधों को सिंचाई की भी जरूरत नही होती. और पौधा अच्छे से विकास भी करता है. इलायची के पौधे को छायादार जगह की ज्यादा आवश्यकता होती है. इसके लिए पौधे को छायादार जगह पर ही लगाना चाहिए.
इलायची के पौधे को खेत में लगाते वक्त उन्हें तैयार किये गए गड्डों या मेड पर लगभग 60 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाना चाहिए. मेड पर जिगजैग तरीके से पौधे की रोपाई करनी चाहिए.
पौधों की सिंचाई
इलायची के पौधे को खेत में लगाने के बाद उनकी पहली सिंचाई तुरंत कर देनी चाहिए. बारिश के मौसम में इसके पौधे को पानी की आवश्यकता नही होती. लेकिन गर्मी के मौसम में इसके पौधे को ज्यादा पानी की जरूरत होती है. इस दौरान नमी बनाए रखने के लिए पौधों में उचित टाइम पर पानी देना चाहिए. और सर्दियों के मौसम में इसके पौधों को 10 से 15 दिन के अन्तराल में पानी देना चाहिए.
उर्वरक की मात्रा
इलायची के पौधों को खेत में लगाने से पहले गड्डों में या मेड पर प्रत्येक पौधों को 10 किलो के हिसाब से पुरानी गोबर की खाद और एक किली वर्मी कम्पोस्ट देना चाहिए. इसके अलावा इसके पौधों को नीम की खली और मुर्गी की खाद दो से तीन साल तक देनी चाहिए. जिससे पौधा अच्छे से विकास करता है.
खरपतवार नियंत्रण
इलायची के पौधों में खरपतवार नियंत्रण नीलाई गुड़ाई में माध्यम से करनी चाहिए. खरपतवार नियंत्रण करने से पौधे को जमीन से पोषक तत्व भी उचित मात्रा में मिलते हैं. जिससे पौधा अच्छे से विकास करता है. नीलाई गुड़ाई करने से पौधे की जड़ों को हवा की उचित मात्रा भी मिलती रहेगी. और जड़ों की मिट्टी नर्म होने की वजह से पौधा अच्छे से विकास भी करेगा.
पौधों को लगने वाले रोग
इलायची के पौधे पर कुछ ही रोग देखने को मिलते हैं. जिस कारण इसकी पैदावार को काफी कम नुक्सान पहुँचता है.
पेड़ों की झुरमुट और फंगल रोग
इलायची के पौधे पर लगने वाले पेड़ो की झुरमुट और फंगल रोग इसके पौधे को बहुत ज्यादा नुक्सान पहुँचाते हैं. इस रोग के लगने पर पौधा पूरी तरह से बेकार हो जाता है. इस रोग के लगने से पौधे की पत्तियां सिकुड़कर नष्ट हो जाती हैं. इस रोग की रोकथाम के लिए बीज को ट्राइकोडर्मा से उपचारित कर खेत में लगाना चाहिए. इसके अलावा अगर ये रोग पौधों पर लग जाए तो पौधे को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए.
सफेद मक्खी
सफेद मक्खी का रोग पौधे की वृद्धि को रोक देता है. इस रोग के कीट पौधे की पत्तियों पर आक्रमण करते हैं. इस रोग के लगने पर पौधे की पत्तियों के नीचे की तरफ सफ़ेद रंग की मक्खियां दिखाई देती हैं, जो पतीयों का रस चूसकर उन्हें नष्ट कर देती है. इस रोग की रोकथाम के लिए पौधे पर कास्टिक सोडा और नीम के पानी को मिलाकर छिडकाव करना चाहिए.
ब्रिंग लार्वा
इलायची के पौधे पर लगने वाला ब्रिंग लार्वा का रोग एक किट जनित रोग हैं. इस रोग का कीड़ा पौधे के नर्म भागों पर आक्रमण कर उन्हें नष्ट कर देता है. इस रोग से बचाव के लिए पौधे पर बेसिलस का छिडकाव करना चाहिए.
पौधों की कटाई और सफाई
इलायची के बीज की कटाई उसके पूरी तरह से पकने से कुछ पहले कर लेनी चाहिए. बीज की कटाई के बाद उसकी सफाई की जाती है. उसके बाद इसके बीज के कैप्सूल को 8 से 12 डिग्री तापमान पर सुखाकर तैयार किया जाता है. इसके बीजों को धुप में सुखाकर और पारम्परिक तरीके से तैयार किये जाते हैं.
पैदावार और लाभ
इलाइची का पौधा तीन साल बाद पैदावार देना शुरू करता है. एक हेक्टेयर से सुखी हुई इलायची की पैदावार लगभग 130 से 150 किलो के आसपास हो जाती है. जबकि इसका बाज़ार भाव 2000 रूपये प्रति किलो होता है. जिससे किसान भाई एक बार ने दो से तीन लाख तक की कमाई आसानी से कर लेता है.
Dear sir
I belong to Agra. I want small cardamom plantation in my land.
Pl. Help me here is possible and it’s per acre year expenses.
आप इसकी जानकारी आपके नज़दीकी किसान सहायता केंद्र या कृषि परिवेक्षक से ले सकते हैं. वो आपको इसके बारें में सम्पूर्ण जानकारी और इसकी पौध के बारें में भी बता देंगे
Plz Sir nagaur Rajasthan me ilaychi ki khety ho sakti h Kya plz reply
Cardamom ke seeds kha se milega
Rajasthan me kheti karni h district Bikaner me jaha par balu ret h
इसका बीज कहा पर मिलेगा
You have not given the information of preparing the nursery of cardamom pants. I.e. how can it be prepared & how can it be planted so to have optimum land utilization in terms of fertilizers. Can it be possible to make this agriculture under multi layer farming?
बीज कहा मिलेंगे
नमो नमः महोदय
इलायची की खेती मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में हो सकती है क्या और इसका बीज कैसे उपलब्ध होगा कृपया मार्गदर्शन करें ।
मैं समुद्री किनारे बंगाल की खाड़ी दक्षिण बंगाल ओडिशा तटीय छेत्र के पास समुद्री किनारे दीघा बीच के पास खेती करना चाहता हु। कृपा पूरी जानकारी email पर दे [email protected]
Haryana me b ho skti h kya
मै मद्दयप्रदेश का रहने वाला हूं मेरे खेत में काली मिट्टी है क्या यहां इलायची की खेती की जा सकती है जानकारी दें
इलायची के पोधे नरशरी पता मु.नबंर भैजो
Uttarakhand m kha ho skti h eski kheti I am from aslmora
Bahit achchi jankari di hai aapne
Sir Odisha ki dakhini purbi. Samundrn
se. 60km. Duri. Par. Jamin. He yaha. Ilaichi. Ki. Kheti. Hosakta. Kya?
Nmskar ji
Himachal me dholadhar shikar me uga sakte h es bij ko
Hii sir chatisgath se hu elachi ki kheti karni hai ho sakat hai ki nhi
बीज कहा मिलेगा महाराष्ट् मे बताये
If any want large cardemom tissue culture plants. Plz contact us.
8668483253.
Sir kya ye normal jagha me ho sakta h kya
Hamare Jharkhand me Bokaro Steel City
Me sir reply kare