ग्राम पंचायत कई प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र को मिलाकर बनाई जाती है. एक ग्राम पंचायत के गठन के लिए 200 से लेकर अधिकतम 7 हज़ार की जनसंख्या होती है. एक ग्राम पंचायत में एक से अधिक गाँव या वार्ड हो सकते हैं. ग्राम पंचायत का चुनाव 5 साल में एक बार होता है. जिसमें पंचायत के ग्राम प्रधान ( सरपंच ) को सभी लोग वोटिंग के आधार पर चुनते हैं.
ग्राम प्रधान के चुनाव और उसके कार्यों के बारें में अधिक जानकारी आप हमारे इस आर्टिकल से जान सकते हैं.
ग्राम पंचायत में एक निर्धारित जनसंख्या अनुपात के आधार पर ग्राम पंचायत के सदस्य का चुनाव किया जाता है. जिसकों भी 5 साल के लिए वोटिंग प्रक्रिया से चुना जाता है. जिसे पंच के नाम से जाना जाता है. जिसका काम लोगों को ग्राम पंचयत के कार्यों के बारें में अवगत कराना होता है. ग्राम पंचायत के सभी पंच मिलकर उप प्रधान का चुनाव करते हैं. लेकिन अगर किसी भी व्यक्ति को सर्व सम्मति से उप प्रधान नही चुना जाता है तो नियत अधिकारी किसी भी एक सदस्य को उप प्रधान नामित कर सकता है.
ग्राम प्रधान और उप प्रधान को पद मुक्त करना
अगर ग्राम प्रधान या उप प्रधान गाँव के विकास के लिए ठीक ढंग से काम नहीं करते हैं तो ग्राम पंचायत उन्हें पद मुक्त करने का अधिकार रखती है. इसके लिए पहले जिला पंचायत राज अधिकारी को उन्हें हटाने की सूचना दी जाती है. जिला पंचायत राज अधिकारी को दी जाने वाली सूचना पर ग्राम पंचायत के लगभग आधे सदस्यों का हस्ताक्षर होने ज़रूरी होते हैं. इसके अलावा सूचना में पद मुक्त करने के सभी कारणों का उल्लेख भी किया जाना जरूरी है.
जिला पंचायत राज अधिकारी को पद मुक्त करने की सूचना देते वक्त हस्ताक्षर करने वाले आधे सदस्यों में से तीन सदस्यों का सूचना देते वक्त साथ होना जरूरी हैं. सूचना प्राप्त होने के बाद जिला पंचायत राज अधिकारी 30 दिन के अंदर सभी ग्राम पंचायत के सदस्य गावों की एक बैठक बुलाएगा. जिसकी सूचना जिला पंचायत राज अधिकारी कम से कम 15 दिन पहले ग्राम पंचायत के लोगों को देगा. जिसके बाद बैठक में मौजूद वोट देने वाले सदस्यों के 2/3 वोट हटाने के पक्ष में पड़ने पर जिला पंचायत राज अधिकारी प्रधान और उप प्रधान दोनों को पद मुक्त कर देता हैं.
ग्राम पंचायत के कार्य
ग्राम पंचायत अपने अधिकार में आने वाले क्षेत्र (सभी गाँव या वार्ड) के विकास कार्यों को देखती है. इसके अलावा सरकार द्वारा चलाई जा रही सभी योजनाओं की जानकारी ग्राम पंचायत के सदस्यों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाती है.
- गावों में पक्की सड़कों का निर्माण करवाना और उनकी देखभाल करना.
- पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए चरागाहों, दुग्ध वितरण केन्द्रों की स्थापना करना और पशुओं के लिए पीने के पानी की व्यवस्था करना.
- गावों को स्वच्छ बनाए रखने के लिए पानी की निकासी का इंतज़ाम करवाना.
- खेल कूद को बढ़ावा देने के लिए गावों में सार्वजनिक जगहों पर मैदान का निर्माण करवाना.
- खेती संबंधित विकास कार्यों को बढ़ावा देना.
- गावों में ग्रामीणों के बीच होने वाले छोटे विवादों का निपटारा करवाना.
- गावों में गरीबी उन्मूलन के लिए कार्यक्रमों का संचालन करवाना.
- लोगों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए चिकित्सा स्वास्थ्य संबंधित कार्यक्रमों को गावों में लागू करवाना.
- शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए लोगों को जागरूक करना और शिक्षा संबंधित विकास कार्यों को बढ़ावा देना.
- लोगों की समस्याओं को सुनना और उनका निदान करना.
- राशन की दुकानों का आवंटन करना.
- गावों में पीने के पानी की उचित व्यवस्था के लिए नलकूपों का निर्माण करवाना और उनकी देखरेख करना.
- सार्वजनिक स्थलों पर विकास कार्य करवाना.
- इनके अलावा सरकार द्वारा पंचायत राज अधिनियम 1947 के तहत निर्धारित सभी कार्यों का निष्पादन करना.
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