मूली की उन्नत किस्में और पैदावार

मूली की खेती जड़ वाली सब्जी फसल के रूप में की जाती है. मूली का इस्तेमाल सब्जी और सलाद दोनों रूप में किया जाता है. मूली के खाने से पेट संबंधित कई तरह की बिमारियों से छुटकारा मिटा है. मूली की तासीर ठंडी होती है. मूली की खेती किसानो के लिए लाभकारी फसल है, क्योंकि मूली की खेती से किसानो को कम खर्च में अधिक उत्पादन प्राप्त होता है.

मूली की उन्नत किस्में

मूली की खेती सम्पूर्ण भारत में अलग अलग जगहों पर समय और मौसम के आधार पर किया जाता है. लेकिन व्यापारिक तौर पर इसका सबसे ज्यादा उत्पादन मैदानी भागों में सर्दी के मौसम में रबी की फसलों के साथ ही किया जाता है. जबकि पहाड़ी प्रदेश जहां अधिक तेज़ सर्दी पड़ती हैं वहां इसकी खेती मार्च के बाद अगस्त माह तक की जाती है. वर्तमान में अब कई ऐसी किस्में भी तैयार कर ली गई हैं, जिन्हें हल्की गर्मी के मौसम में भी उगाया जा सकता है.

आज हम आपको मूली की सबसे उन्नत किस्मों के बारें में बताने वाले हैं. जिनके इस्तेमाल से किसान भाई अपनी फसल से अधिक उत्पादन हासिल कर सकता है.

जापानी व्हाइट (जापानी सफ़ेद)

मूली की ये एक विदेशी किस्म है जिसको पर्वतीय क्षेत्रों में उगाया जाता है. इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग दो महीने बाद ही खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधों की जड़ें बिलकुल सफ़ेद रंग की होती हैं. और जड़ों की लम्बाई एक फिट के आसपास पाई जाती हैं. जिनका आकार बेलनाकार दिखाई देता है. इस किस्म की जड़ें स्वाद में कम तीखी होती हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 25 से 30 टन तक पाया जाता हैं.

पूसा चेतकी

मूली की इस किस्म को सम्पूर्ण भारत में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधों को बरसात और गर्मी के मौसम में आसानी से उगाया जा सकता है. इसकी जड़ें गर्मी के मौसम में अधिक तीखी नही होती. इस किस्म के पौधों की जड़ें सफ़ेद पाई जाती हैं. जिनकी लम्बाई 15 से 35 सेंटीमीटर के बीच पाई जाती है. इसके कंद मोटे आकार के होते है. जो बीज रोपाई के लगभग 45 से 50 दिन बाद ही पककर तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 25 टन के आसपास पाया जाता है. इस किस्म के पौधों की रोपाई का सबसे उपयुक्त टाइम गर्मियों में अप्रैल और बरसात में अगस्त का महीना होता है.

पंजाब पसंद

मूली की इस किस्म को कम समय में अधिक उत्पादन देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे की रोपाई पूरे सालभर की जा सकती है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 45 दिन बाद ही खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 60 टन के आसपास पाया जाता है. इस किस्म का उत्पादन पंजाब में अधिक मात्रा में किया जाता है.  इस किस्म के पौधे बेमौसम में पैदावार देने के लिए जाने जाते हैं. जिनकी जड़ें सफ़ेद और बाल रहित दिखाई देती हैं. इसकी जड़ों की लम्बाई 30 सेंटीमीटर के आसपास पाई जाती है.

पूसा गुलाबी

पूसा गुलाबी मूली की एक उन्नत किस्म है. जिसको दिल्ली के आसपास के क्षेत्र में अधिक उगाया जाता है. मूली की इस किस्म के पौधे सदियों के मौसम में अधिक पैदावार देने के लिए उगाये जाते हैं. इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग 50 से 60 दिन में खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 60 टन के आसपास पाया जाता है. इस किस्म के पौधे की सम्पूर्ण जड़ें गुलाबी रंग की पाई जाती हैं. जिनकी लम्बाई एक फिट से ज्यादा होती हैं. और आकार बेलनाकर दिखाई देती हैं.

कल्याणपुर 1

मूली की इस किस्म को सर्दियों के मौसम में उगाने के लिए उपयुक्त माना जाता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 45 दिन के आसपास खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 30 टन के आसपास पाया जाता है. इस किस्म के पौधे की जड़ें सामान्य लम्बाई की होती है. इसकी जड़ें सफ़ेद और मुलायम चिकनी होती हैं. इस किस्म के पौधों की जड़ें स्वाद में हल्की मीठी पाई जाती है.

पूसा विधु

मूली की इस किस्म को सम्पूर्ण भारत में सर्दी के मौसम में उगाया जा सकता हैं. लेकिन इसका सबसे ज्यादा उत्पादन दिल्ली के आसपास के राज्यों में होता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 50 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधों की जड़ सामान्य लम्बाई की पाई जाती हैं. जिनका रंग अधिक सफ़ेद और आकार बेलनाकार दिखाई देता है. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 40 से 45 तन के बीच पाया जाता है.

हिसार मूली नं. 1

मूली की इस किस्म को चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 50 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 25 से 30 टन के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधे की जड़ें सीधी और लम्बी पाई पाई जाती हैं. जिनका रंग चमकीला सफ़ेद दिखाई देता हैं. इस किस्म के पौधों की रोपाई सितम्बर और अक्टूबर माह में करने से उत्पादन अच्छा प्राप्त होता है.

पूसा हिमानी

मूली की इस किस्म को पछेती रोपाई के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 50 से 60 दिन में पककर खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 30 से 35 टन के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधे की जड़ों की लम्बाई 30 से 35 सेंटीमीटर के आसपास पाई जाती है. इस किस्म के पौधे की जड़ें सफ़ेद, मोटी, लम्बी और नीचे से नुकीली होती हैं. इसकी जड़ों के ऊपर का सिरा हल्के हरे रंग का होता है. इसका स्वाद हल्का तीखा होता है.

पूसा रेशमी

मूली की इस किस्म को मध्यम समय में पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे की जड़ें एक फिट से ज्यादा लम्बाई की पाई जाती हैं. जो आकार में सामान्य मोटाई की होती हैं. इसकी जड़ों का रंग सफ़ेद चमकीला और स्वाद तीखा होता है. इस किस्म के पौधे की पत्तियां हल्के हरे रंग की कटावदार होती हैं. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 31 से 35 टन के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 55 से 60 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं.

पूसा देशी

मूली की इस किस्म को रबी के मौसम में अगेती पैदावार के रूप में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधों की रोपाई मध्य अगस्त से अक्टूबर तक कर सकते हैं. इस किस्म के पौधों की जड़ों का निचला सिरा नुकीला होता है. इसकी जड़ों की लम्बाई एक फिट के आसपास पाई जाती है. इस किस्म के पौधे की जड़ें सफ़ेद और मध्यम मोटाई की होती हैं. जिनका स्वाद बहुत तीखा पाया जाता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 40 से 50 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 30 टन के आसपास पाया जाता है.

आर्क निशांत

मूली की इस किस्म को सर्दी के मौसम में अगेती और पछेती दोनों तरीके की रोपाई के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधों की जड़ों की लम्बाई डेढ़ फिट के आसपास पाई जाती है. जिनका रंग गुलाबी दिखाई देता है. इसकी जड़ें सामान्य मोटाई की पाई जाती हैं. जिनका स्वाद हल्का तीखापन लिए मीठा होता है. इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग 50 से 55 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन 25 से 30 टन के बीच पाया जाता है. लेकिन उचित देखभाल के द्वारा उत्पादन को और अधिक बढ़ाया जा सकता है.

जौनपुर मूली

मूली की इस किस्म को अगेती और पछेती फसल के रूप में सर्दी के मौसम में उगाया जाता है. इस किस्म के पौधे की जड़ें काफी ज्यादा लम्बी पाई जाती हैं. इसकी जड़ें तीन फिट से भी ज्यादा लम्बाई और 10 सेंटीमीटर से ज्यादा मोटाई की पाई जाती हैं. इसकी जड़ें नुकीली, सफ़ेद और मुलायम पाई जाती है. जिनका स्वाद मीठा होता है. इस किस्म के एक पौधे की जड़ का वजन 5 किलो के आसपास पाया जाता है. मूली की इस किस्म का उत्पादन ज्यादातर उत्तर प्रदेश में ही किया जाता है. इस किस्म को पूरी दुनिया में एक विचित्र प्रजाति माना जाता हैं. क्योंकि इसके कुछ पौधे की जड़ें तो 10 फिट तक की लम्बाई की हो जाती हैं.

व्हाईट आइसीकिल

मूली की ये एक यूरोपियन किस्म है. जिसको ठंडे प्रदेशों में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे की जड़ें नुकीली पाई जाती हैं. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग एक महीने बाद ही खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधों की जड़ें सीधी बढ़ने वाली होती हैं. जिनका रंग सफ़ेद और स्वाद में हल्की मीठी पाई जाती हैं. मूली की यह किस्म एक मौसम में कई बार पैदावार दे सकती है. इस किस्म के पौधों की जड़ें बीज रोपाई के लगभग 30 दिन बाद ही खुदाई के लिए तैयार हो जाती हैं.

हिसार स्वेती

मूली की इस किस्म को अगेती पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. जिसको उत्तर भारत के मैदानी भागों में उगाया जाता है. इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग 40 से 45 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति एकड़ औसतन उत्पादन 12 से 14 टन के बीच पाया जाता है. इस किस्म की जड़ों के उपरी सिरे जमीन से बाहर होने के बाद भी हरे नही पड़ते. इसकी जड़ें सफ़ेद रंग की होती हैं. जिनका स्वाद हल्का मीठा तीखा पाया जाता है. इस किस्म के पौधों की पत्तियां मध्यम चौड़ाई की होती हैं.

काशी हंस

मूली की इस किस्म को एन एस सी द्वारा तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधों को सर्दियों के मौसम में अगेती और पछेती किस्म के रूप में आसानी से उगाया जा सकता है. इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग 45 से 60 दिन के बीच खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके पौधों की जड़ें नीचे से नुकीली होती हैं. जिनका स्वाद हल्का मीठा होता है. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 40 से 45 टन के बीच पाया जाता है.

एफ -1 स्पार्कल व्हाइट मूली

मूली की ये एक संकर किस्म हैं. जिसके पौधे रोपाई के लगभग 55 दिन के आसपास खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधे की जड़ों की लम्बाई एक फिट से ज्यादा पाई जाती है. इस किस्म के पौधे का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 40 टन से ज्यादा पाया जाता है. इसके पौधों की जड़ों का स्वाद मीठा पाया जाता है. और जड़ों का रंग सफ़ेद और गुदा मुलायम होता है.

काशी श्वेता

मूली की इस किस्म को मध्यम समय में अधिक पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग 50 से 60 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 45 से 47 टन तक पाया जाता है. इस किस्म के पौधे की जड़ें सफ़ेद और एक फिट से अधिक लम्बाई की होती हैं. जिनका स्वाद हल्का मीठा होता है. मूली की इस किस्म को उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में अधिक उगाया जाता है.

रेपिड रेड व्हाइट टिप्ड

मूली की इस किस्म को सर्दी के मौसम ही उगाया जा सकता है. इस किस्म के पौधों की जड़ों का रंग लाल और सफ़ेद पाया जाता है. इसकी जड़ें छोटे आकार की पाई जाती हैं. मूली की इस किस्म के पौधे बहुत जल्द पककर तैयार हो जाते हैं. इसकी जड़ें बीज रोपाई के लगभग 25 से 30 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाती हैं. इस किस्म के पौधों की जड़ों का स्वाद मीठा पाया जाता है. मूली की इस किस्म को एक ही मौसम में कई बार उगाया जा सकता है.

चाइनीज पिंक

मूली की ये एक विदेशी किस्म है. इस किस्म के पौधे की जड़ें गुलाबी होती हैं. जबकि इसके गुदे का रंग सफ़ेद पाया जाता है. इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग 45 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 टन के आसपास पाया जाता है.

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