भारतीय किसान अपने खेतो से फसल का अधिक उत्पादन हासिल करने के लिए रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक दोहन करने में लगे हुए हैं. जिस कारण भूमि की उर्वरक क्षमता में लगातार कमी होती जा रही है. जिसको देखते हुए सरकार की तरफ से परम्परागत कृषि विकास योजना की शुरुआत की गई है. ताकि किसान भाई अधिक उत्पादन लेने के लिए रासायनिक चीजों की जगह जैविक चीजों का इस्तेमाल कर अधिक उत्पादन ले सके. इसके लिए सरकार की तरफ से कई कार्यक्रम भी बनाए गए हैं. आज हम आपको रासायनिक तरीके से कई तरह की जैविक तरल खाद बनाने के बारें में बताने वाले हैं.
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विभिन्न तरह के जैविक खादों को बनाने के तरीके
हम जिन जैविक खाद के बारें में बताने वाले हैं, उनको तैयार करने के लिए रासायनिक खाद की तरह ना ही तो अधिक धन राशि की जरूरत होती है. और ना ही बड़ी बड़ी मशीनों की जरूरत नही होती है. इन जैविक खादों को तरल रूप में तैयार किया जाता है. जिसे किसान भाई पौधों को सिंचाई और छिडकाव के माध्यम से दे सकता है.
संजीवक
संजीवक जैविक तरल खाद बनाने के लिए 100 किलो गाय का गोबर, 100 लीटर गोमूत्र और आधा किलो गुड को 500 लीटर पानी की क्षमता वाले किसी भी ड्रम में भर दें. उसके बाद उक्त मिश्रण में लगभग 300 लीटर पानी डालकर 10 दिन तक सड़ने के लिए छोड़ दें. लेकिन इस दौरान मिश्रण को दिन में दो दो से तीन बार हिलाते रहें. मिश्रण के सड़ने के बाद उसमें 20 गुना अधिक पानी में मिलाकर खेत में छिडकाव कर दें या सिंचाई के माध्यम से पौधों को दे. इससे पौधा अच्छे से विकास करने लगता है. और उसे किसी भी तरह के रासायनिक उर्वरक की जरूरत नही होती.
जीवामृत
जीवामृत अपने नाम से ही जाना जाता है की ये पौधों को एक नया जीवन प्रदान करता है. इसको बनाने के लिए 10 किलो गाय का गोबर, 10 किलो गोमूत्र, दो किलो गुड, पीपल या बरगद के पेड़ के नीचे की एक किलो मिट्टी जिसे संजीवनी मिट्टी कहा जाता है और किसी भी तरह की दाल का एक किलो पाउडर (आटा) की आवश्यकता होती है. इन सभी की उक्त मात्रा को 200 लीटर पानी में डालकर एक मिश्रण तैयार कर लें. इस मिश्रण को 7 से 8 दिन तक सड़ने के लिए किसी छायादार जगह में छोड़ दें. मिश्रण के सड़ने के दौरान उसे हर रोज़ दिन में तीन बार हिलाते रहे. उसके बाद तैयार हुए इस मिश्रण को प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में सिंचाई या छिडकाव के माध्यम से दें. इसके देने पौधे अच्छे से विकास करने लगते हैं. और उनमें रोग लगने की संभावना भी काफी कम हो जाती है.
अमृत जल
अमृत जल पौधों में जैविक खाद के साथ साथ जैविक कीटनाशक का भी काम करता है. अमृत जल खेत की उर्वरक क्षमता को भी बढाता है. अमृत जल को तैयार करने के लिए 10 लीटर पानी, एक किलो गाय का गोबर, एक लीटर गोमूत्र और लगभग 100 ग्राम गुड की आवश्यकता होती है.
अमृत जल बनाने के लिए पहले 10 लीटर पानी में एक लीटर गोमूत्र को मिला लें. उसके बाद उसमें गाय के गोबर की एक किलो मात्रा को डालकर मिला दें. फिर उसमें 100 ग्राम गुड को डालकर उसके मिलने तक मिश्रण को हिलाते रहे. तैयार किये हुए इस मिश्रण को तीन दिन तक दिन में तीन बार घड़ी की दिशा और विपरीत दिशा में 12-12 बार हिलाएं. तीन दिन बाद मिश्रण में 100 लीटर पानी डालकर अमृत जल तैयार कर लें. इस तरह तैयार अमृत जल को सिंचाई के साथ या छिडकाव के माध्य से प्रति एकड़ पौधों को देना चाहिए.
घन जीवामृत
घन जीवामृत का इस्तेमाल किसान भाई डी.ए.पी. और एन.पी.के. की जगह कर सकते हैं. घन जीवामृत का इस्तेमाल खेत की जुताई के वक्त किया जाता है. इसको तैयार करने के लिए 100 किलो गाय का छायादार जगह में सूखा गोबर, एक किलो गुड, दो किलो किसी भी दाल का आटा, 50 ग्राम जंगल की मिट्टी और एक लीटर गोमूत्र की आवश्यकता होती है.
घन जीवामृत को तैयार करने के लिए उक्त सभी चीजों को आपस में मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें. उसके बाद तैयार मिश्रण को दो दिन तक जूट के माध्यम से तैयार किसी भी बोर से ढककर छायादार जगह में रखा दें. 48 घंटे बाद मिश्रण को छायादार जगह में अच्छे से सूखा लें. उसके बाद उसे कूटकर पैकिंग बनाकर रख लें. जिसका इस्तेमाल किसान भाई लगभग 6 महीने तक कर सकता है.
पंचगव्य
पंचगव्य का निर्माण गाय से प्राप्त होने वाली पांच चीजों के मिश्रण से तैयार किया जाता है. जो फसल के लिए बहुत ही उपयोगी जैविक तरल खाद है. इसका इस्तेमाल उर्वरक के साथ साथ कीटनाशक के रूप में भी किया जा सकता है. इसको बनाने के लिए गाय के दही, घी, दूध, गोमूत्र और गोबर की आवश्यकता होती है.
इसकी बनाने के लिए पहले 10 किलो गाय के गोबर में एक किलो गाय का घी डालकर एक मिश्रण तैयार कर लें. इस मिश्रण को लगभग चार दिन के लिए छोड़ दें. इस दौरान मिश्रण को दिन दो से तीन बार मिला दें. इसके अलावा एक अन्य 30 से 40 लीटर पानी की क्षमता वाले ड्रम में तीन लीटर गोमूत्र, दो लीटर गाय का दूध और दही, तीन लीटर कच्चे नारियल का पानी, एक दर्जन अच्छे पके हुए केले का गुदा और 250 ग्राम गुड को मिलकर एक मिश्रण तैयार कर लेते हैं. इस मिश्रण को भी चार दिनों तक ढककर रख देते हैं. इन चार दिन के दौरान मिश्रण को दिन में दो से तीन बार हिलाते रहें.
चार दिन बाद उक्त दोनों मिश्रण को आपस में मिला दें. दोनों के मिलाने से तैयार मिश्रण को लगभग 15 दिन तक सड़ने के लिए छायादार जगह में ढककर रख देते हैं. लेकिन इस दौरान मिश्रण को हर रोज़ दिन में दो से तीन बार घडी की दिशा और विपरीत दिशा में 12-12 बार हिलाएं. 15 दिन बाद मिश्रण को सूती कपडे से छानकर अलग कर लें. इस मिश्रण की 30 लीटर मात्रा को एक हज़ार लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर छिडकाव करना चाहिए. एक एकड़ भूमि में पंचगव्य के छिडकाव के लिए लगभग 20 लीटर मात्रा काफी होती है.
जैविक तरल खाद से जुड़े प्रश्नोत्तर
1. जैविक तरल खाद क्या है?
जैविक तरल खाद, प्राकृतिक सामग्री जैसे कि गोबर, किचन वेस्ट, गोमूत्र, जैविक कचरा आदि से बनाया गया एक प्रकार का उर्वरक है। यह पौधों को जरूरी पोषक तत्व प्रदान करता है और मिट्टी की उर्वरता में सुधार करता है।
2. जैविक तरल खाद बनाने के तरीके क्या हैं?
जैविक तरल खाद बनाने के लिए विभिन्न तरीके हैं, जिसमें जीवामृत, पंचगव्य, वर्मीवॉश, और बनाना पील एंजाइम शामिल हैं। ये सभी तरीके प्राकृतिक सामग्री के जैविक किण्वन और अपघटन पर आधारित हैं।
3. जैविक तरल खाद के लाभ क्या हैं?
जैविक तरल खाद से पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं, मिट्टी की जैविक सक्रियता बढ़ती है, मिट्टी का पीएच संतुलित होता है, और मिट्टी की उर्वरता में सुधार होता है। यह पर्यावरण के अनुकूल भी है।
4. जैविक तरल खाद का प्रयोग कैसे किया जाता है?
जैविक तरल खाद को पानी में मिलाकर सीधे पौधों पर छिड़काव किया जाता है या मिट्टी में मिलाया जाता है। इसकी मात्रा और उपयोग की आवृत्ति पौधों की प्रजाति और उनकी आवश्यकता पर निर्भर करती है।
5. जैविक तरल खाद बनाते समय सावधानियां क्या हैं?
जैविक तरल खाद बनाते समय सावधानी बरतना जरूरी है, जैसे कि सही अनुपात में सामग्री का उपयोग करना, सही तापमान और आर्द्रता की स्थिति सुनिश्चित करना, और नियमित रूप से मिश्रण को हिलाना।
6. जैविक तरल खाद का भंडारण कैसे करें?
जैविक तरल खाद को ठंडे, छायादार स्थान पर एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करना चाहिए ताकि इसकी पोषक तत्वों की गुणवत्ता बनी रहे।
7. जैविक तरल खाद के निर्माण में कितना समय लगता है?
जैविक तरल खाद के निर्माण का समय इसके तैयार करने के तरीके और सामग्री पर निर्भर करता है। सामान्यतः, यह 7 दिनों से लेकर कुछ महीनों तक का समय ले सकता है
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