मूंगफली की खेती प्रमुख तिलहन फसल के रूप में की जाती है. मूंगफली को गरीबों का काजू कहा जाता है. क्योंकि मुगफली के अंदर प्रोटीन की मात्रा काफी ज्यादा पाई जाती है. मूंगफली का इस्तेमाल खाने में इसको भुनकर, गज्जक, नमकीन और भी कई तरह के व्यंजन बनाकर किया जाता है. इसके अलावा इसके दानो का इस्तेमाल तेल निकालने में किया जाता है. उत्तर भारत में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है.
Table of Contents
मूंगफली की खेती खरीफ के मौसम में की जाती है. इसकी खेती के लिए शुष्क और आद्र जलवायु और उपयुक्त माना जाता है. मूंगफली पौधे की जड़ों में लगती है. जिनको भूमि से निकालने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है. मूंगफली का पौधा जमीन के लिए उपयुक्त माना जाता है. यह मिट्टी के कटाव को रोकता है और भूमि की उर्वरक क्षमता को बनाए रखता है. मूंगफली की खेती किसानों के लिए बचत वाली खेती है. लेकिन इसकी उन्नत किस्मों को उन्नत तरीके से लगाकर किसान भाई और भी अधिक कमाई कर सकता है.
आज हम आपको मूंगफली की कुछ उन्नत किस्म और उनकी पैदावार के बारें में बताने वाले हैं. जिन्हें किसान भाई उगाकर अधिक उत्पादन हासिल कर सकता है.
गंगापुरी
मूंगफली की इस किस्म को कम समय में अधिक उत्पादन देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधों की ऊंचाई डेढ़ फिट के आसपास पाई जाती है. इस किस्म के पौधे की पत्तियां गहरी हरी और तना बैंगनी रंग का दिखाई देता है. इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग 95 से 100 दिन के आसपास खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 से 22 क्विंटल तक पाया जाता है. इसके दानो में तेल की मात्रा 50 प्रतिशत तक पाई जाती है.
एम ए – 10
मूंगफली की इस किस्म को उत्तर प्रदेश में चित्रा के नाम से भी जाना जाता है. जिसको मध्यम समय में अधिक पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे सामान्य ऊंचाई के पाए जाते हैं. जिनकी पत्तियां हरे रंग की और फूल पीले रंग के होते हैं. इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग 125 से 130 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 25 से 30 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इसके दानो में तेल की मात्रा 48 प्रतिशत के आसपास पाई जाती है.
टी जी 37 ए
मूंगफली की इस किस्म के पौधे सामान्य आकार के होते हैं. जिनकी जड़ों में लगने वाली गाठों का फैलाव कम पाया जाता है. इसकी गाठों में दानो का आकार छोटा पाया जाता है. जिनमें तेल की मात्रा 51 प्रतिशत तक होती है. इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग 125 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 30 से 35 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधों की सही वक्त पर खुदाई नही करने पर इसके दाने जल्द ही फिर से अंकुरित हो जाते हैं.
सी.एस.एम.जी. 884 (प्रकाश)
मूंगफली की ये एक फैलने वाली किस्म है, जिसको उत्तर प्रदेश में अधिक उगाया जाता जाता है. इस किस्म के पौधों पर मूंगफली की गाठें दूरी पर बनती हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इसके पौधे सामान्य ऊंचाई वाले होते हैं. जो बीज रोपाई के लगभग 115 से 120 दिन बाद पककर खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं.
एम 548
मूंगफली की इस किस्म को खासकर रेतीली भूमि में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधों की रोपाई बारिश के मौसम में की जाती है. इसके पौधे रोपाई के लगभग 120 से 125 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 25 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इस किस्म के दानो में तेल की मात्रा 52 प्रतिशत से भी ज्यादा पाई जाती है.
ज्योति
मूंगफली की इस किस्म के पौधे सामान्य ऊंचाई के पाए जाते हैं. इस किस्म के पौधे पर गांठे गुच्छे के रूप में पाई जाती है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 110 से 115 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 क्विंटल से ज्यादा पाया जाता है.
जी 201
मूंगफली की इस किस्म को कौशल के नाम से भी जाना जाता है. जिसको सिंचित और असिंचित दोनों जगहों पर उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधों पर गाठें गुच्छों के रूप में दिखाई देती हैं. इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग 110 से 120 दिन के बीच खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन सिंचित क्षेत्रों में 20 क्विंटल से ज्यादा और असिंचित क्षेत्रों में 20 क्विंटल से कम पाई जाती है.
ए के 12-24
मूंगफली की इस किस्म के पौधे सामान्य ऊंचाई के पाए जाते हैं. जिनकी पत्तियां हल्के हरे रंग की और तना बैंगनी रंग का दिखाई देता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 105 से 110 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 15 से 20 क्विंटल के बीच पाया जाता है. जिसके दानो में तेल की मात्रा 48 प्रतिशत से ज्यादा पाई जाती है.
आर जी 382
मूंगफली की ये भी एक फैलने वाली किस्म है. जिसको खरीफ के समय में पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के 115 से 120 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 18 से 22 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इसके दानो का आकार बड़ा पाया जाता है.
नंबर 13
मूंगफल ये एक गुच्छेदार किस्म है, जिसको रेतीली भूमि में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 125 से 130 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 30 क्विंटल से ज्यादा पाया जाता है. इस किस्म के पौधों की फलियों में दानो की मात्रा 66 प्रतिशत पाई जाती है. जिनमें तेल की मात्रा 49 प्रतिशत तक पाई जाती है.
एम 522
मूंगफली की ये एक फैलने वाली किस्म है, जिसको सिंचित भूमि में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 115 से 120 दिन बाद खुदाई के लिया तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 25 से 30 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इस किस्म के दानो का आकर मोटा होता है. जिनमें तेल की मात्रा 50 प्रतिशत से ज्यादा पाई जाती हैं.
एम 197
मूंगफली की ये एक सामान्य फैलने वाली किस्म है. इसके पौधे रोपाई के लगभग 115 से 120 दिन बाद खुदाई के लिया तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 22 से 28 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधे की फलियों में 77 प्रतिशत तक दाने पाए जाते हैं. जिनमें तेल की मात्रा 51 प्रतिशत से ज्यादा पाई जाती है.
अम्बर
मूंगफली की ये एक फैलने वाली किस्म है जिसको सम्पूर्ण उत्तर भारत के मैदानी भागों में उगाया जाता है. जिसके पौधे मध्य समय में अधिक पैदावार देने के लिए जाने जाते हैं. इसकी फलियों में दानो की मात्रा 72 प्रतिशत तक पाई जाती है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 115 से 120 दिन बाद पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 25 से 30 क्विंटल के बीच पाया जाता है.
प्रकाश
मूंगफली की ये एक फैलने वाली किस्म है. इस किस्म के पौधे पर गाठें दूरी पर बनती हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 20 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इस किस्म के पौधे सामान्य ऊंचाई के पाए जाते हैं. जो बीज रोपाई के लगभग 115 दिन के बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इसकी फलियों में दानो की मात्रा 70 प्रतिशत से ज्यादा पाई जाती है. और दानो में तेल की मात्रा 50 प्रतिशत तक पाई जाती है.
टी जी – 26
मूंगफली की इस किस्म के पौधों की ऊंचाई डेढ़ फिट के आसपास पाई जाती है. जिसकी पत्तियों का रंग गहरा हरा और तना हरापन लिए हल्का बैंगनी रंग का होता है. इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग 110 से 120 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 23 से 27 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इसके दानो में तेल की मात्रा 49 प्रतिशत तक पाई जाती है.
एस जी 84
मूंगफली की ये एक गुच्छेदार किस्म है. जिसके पौधे सामान्य ऊंचाई के पाए जाते हैं. इस किस्म के पौधे रोपिया के लगभग 120 से 130 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 28 से 30 क्विंटल तक पाया जाता है. इस किस्म की गाठों में दानो की मात्रा 66 प्रतिशत पाई जाती है. इसके दानो की गिरी भूरे रंग की होती हैं. जिसमें तेल की मात्रा 50 प्रतिशत तक पाई जाती है.
राज दुर्गा
मूंगफली की ये एक कम फैलने वाली किस्म है. जिसके पौधे रोपाई के लगभग 120 से 130 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म को सिंचित और असिंचित दोनों तरह की भूमि में उगाने के लिए तैयार किया गया है. जिनका असिंचित और सिंचित दोनों तरह की भूमि में प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन क्रमशः 17 से 33 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इस किस्म के पौधों पर कॉलर रॉट का रोग काफी कम देखने को मिलता है.
उत्कर्ष
मूंगफली की ये एक देरी से पैदावार देने वाली किस्म है. इसके पौधे रोपाई के लगभग 130 दिन के बाद पककर तैयार होते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 23 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इसकी फलियों में दानो की संख्या एक या दो पाई जाती है, जिनकी मात्रा 72 प्रतिशत होती है.
एच एन जी 10
मूंगफली की ये एक कम फैलने वाली अर्द्ध विस्तारित किस्म है. जिसको सिंचित भूमि में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग 115 से 120 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 15 से 20 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इसके दानो में तेल की मात्रा 50 प्रतिशत के आसपास पाई जाती है.
दिव्या
मूंगफली की ये एक कम फैलने वाली किस्म है. जिसके पौधे रोपाई के लगभग 125 से 130 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 26 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इस किस्म के पौधे सामान्य ऊंचाई के पाए जाते हैं. इसकी फलियों में दानो की संख्या एक या दो ही पाई जाती है. इस किस्म को राजस्थान, उत्तर प्रदेश और गुजरात में अधिक उगाया जाता है.
एस जी 99
मूंगफली की इस किस्म को रेतीली भूमि में गर्मी के मौसम में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इसके पौधों की ऊंचाई अधिक पाई जाती हैं. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 120 से 125 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 27 क्विंटल से ज्यादा पाया जाता है. इसकी फलियों में दानो की मात्रा 66 प्रतिशत पाई जाती है. और दानो में तेल की मात्रा 52 से 53 प्रतिशत तक पाई जाती हैं. इस किस्म के पौधों पर पत्ती धब्बा रोग का प्रभाव काफी कम देखने को मिलता है.
एच एन जी 69
मूंगफली इस किस्म को उत्तर प्रदेश में अधिक उगाया जाता है. इसके पौधे बीज रोपाई के लगभग 120 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 से 25 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधों पर पत्ती धब्बा, तना गलन और कलर रोट जैसे रोग काफी कम देखने को मिलते हैं.
जी जी 20
मूंगफली की ये एक कम फैलने वाली किस्म है. जिसको मध्य समय में अधिक उत्पादन देने के लिए तैयार किया गया है. इसकी फलियों में दो से तीन दाने पाए जाते हैं. जिनमें तेल की मात्रा 48 प्रतिशत तक पाई जाती है. इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग 115 से 120 बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 25 से 30 क्विंटल के बीच पाया जाता है.
वर्जीनिया
मूंगफली की ये एक फैलकर बढ़ने वाली किस्म है. जिसको देरी से पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 130 से 140 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 25 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इस किस्म के पौधों में सुषुप्तावस्था पाई जाती है.
राज मूंगफली – 1
मूंगफली की ये एक फैलने वाली किस्म है. इस किस्म के पौधे पर पत्तियां गहरे हरे रंग और छोटे आकार की पाई जाती है. इसके पौधे बीज रोपाई के लगभग 125 से 128 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 28 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इस किस्म के पौधों में कई तरह के कीट रोग देखने को नही मिलते.
आई सी जी एस 1
मूंगफली की ये एक जल्द पैदावार देने वाली विदेशी किस्म है. जिसके पौधे पर गाठें गुच्छे के रूप में पाई जाती हैं. इस किस्म के पौधे रोपाई के 110 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 30 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इस किस्म की फलियों में दानो की मात्रा 77 प्रतिशत और दानो में तेल की मात्रा 51 प्रतिशत पाई जाती है.
सी 501
मूंगफली की ये एक मध्यम फैलने वाली किस्म है. जिसको सिंचित रेतीली भूमि में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 120 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इस किस्म के दानो में तेल की मात्रा 48 प्रतिशत तक पाई जाती है.
जी जी 7
मूंगफली की इस किस्म को बारानी और असिंचित जगहों पर उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे सामान्य ऊंचाई के पाए जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन पैदावार 25 से 30 क्विंटल के बीच पाई जाती है. इसके दानो का रंग गुलाबी और आकर बड़ा होता है. जो बीज रोपाई के लगभग 100 से 110 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं.
पी जी 1
मूंगफली की ये एक फैलने वाली किस्म है. जिसको बरानी क्षेत्रों में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग 125 से 130 दिन बीच पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इसके दाने सामान्य आकार के होते हैं. जिनमें तेल की मात्रा 49 प्रतिशत तक पाई जाती है.
आर जी 425
मूंगफली की ये एक मध्यम फैलने वाली किस्म है. इस किस्म के पौधे सूखे के प्रति सहनशील पाए जाते हैं. इस किस्म को राजस्थान में सबसे ज्यादा उगाया जाता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 120 से 125 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 से 35 क्विंटल तक पाया जाता है. इस किस्म के पौधों पर कलर रोट का प्रभाव कम देखने को मिलता है.
ये मूंगफली की कुछ प्रमुख किस्में हैं, जिन्हें अधिक उत्पादन के लिए सम्पूर्ण भारत में उचित मौसम में आधार पर उगाया जा सकता है. लेकिन इसके अलावा और भी कुछ किस्में हैं जिन्हें क्षेत्रीय आधार पर किसान भाई अधिक उत्पादन के लिए उगाते हैं. जिनमें जी जी – 20, जी जे जी – 31, टी पी जी- 41, रत्नेश्वर, अजेया, हरीचंद्रा, कादिरी, प्रताप मूंगफली, विजेता, टी जी – 38 बी और वी एल मूंगफली – 1 जैसी काफी किस्में शामिल हैं.