मुर्गी पालन कैसे शुरू करें – Poultry Farming

आज खेती के साथ साथ कई ऐसे उद्योग धंधे विकसित हो गये है. जो किसान भाई की आजीविका को लगातार बढ़ा रहे हैं. उन्ही में से एक मुर्गी पालन का व्यवसाय भी है. जो लगातार लोगों के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय हो रहा है. आज मुर्गी पालन का व्यवसाय बहुत बढ़ चुका है. इस व्यवसाय ने लोगों को काफी ज्यादा फायदा पहुंचाया है. जिससे इसका व्यापार लगातार बढ़ता जा रहा है. मुर्गी पालन के व्यवसाय ने एक और जहाँ लोगों को खेती के साथ साथ व्यापार करने का रास्ता दिया है, वहीं लोगों को रोजगार भी दे रहा है. आज मुर्गी पालन व्यवसाय से बहुत सारे लोग जुड़े हुए हैं. मुर्गी  पालन कई उद्देश्यों के आधार पर किया जाता है. आज हम आपको मुर्गी पालन के बारें में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले हैं.

मुर्गी पालन

जानकारी देने वाले हैं.

मुर्गी पालन के तरीके

मुर्गी पालन का कार्य मुख्य रूप से तीन तरीकों से किया जाता हैं. जिनको अलग अलग उद्देश्यों के आधार पर अलग अलग बाँटा गया हैं. इनमें से किसी एक उद्देश्य के आधार पर मुर्गी पालन कर अच्छी कमाई की जा सकती हैं. वर्तमान में काफी कंपनियाँ है जो उत्पाद पर मार्जिन के हिसाब से भी इनका पालन कराती हैं.

अंडा उत्पादन

जो किसान भाई मुर्गी पालन अंडा उत्पादन के रूप में करना चाहते हैं वो एक हजार मुर्गियों से इसे व्यवसाय के रूप में शुरू कर सकते हैं. इससे जब मुर्गी अंडे देना शुरू करती है तो हर रोज़ एक हजार अंडे प्राप्त हो जाते हैं. जिससे कारोबारी हर रोज़ तीन हजार तक की कमाई कर सकता हैं. अंडा उत्पादन के रूप में व्यवसाय शुरू करने के लिए अधिक अंडे देने वाली मुर्गियों का पालन करना चाहिए. जिनमें व्हाई लेग हार्न अपने जीवनकाल में 200 से 300 अंडे देती है.

मांस उत्पादन

दुनिया में मुर्गियों के माँस की बढती मांग को देखते हुए माँस उत्पादन के लिए वर्तमान में सबसे ज्यादा मुर्गी पालन किया जा रहा है. माँस के रूप में मुर्गी पालन के दौरान अधिक मेहनत की जरूरत नही होती. क्योंकि माँस के लिए मुर्गी लगभग डेढ़ महीने में ही तैयार हो जाती है. वर्तमान में ऐसी काफी कंपनियाँ है जो प्रति किलो के हिसाब से लाभ देकर इसका पालन कराती हैं. जिससे किसान भाइयों को इसे बेचने की आवश्यकता भी नही होती.

चूजे उत्पादन

वर्तमान में चूजे उत्पादन का काम सबसे बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. क्योंकि माँस और अंडे दोनों के उत्पादन के लिए चूजे की आवश्यकता होती है. एक चूजा लगभग एक महीने में तैयार हो जाता है. जिसको तैयार करने के लिए मशीनों की जरूरत होती हैं. चूजे उत्पादन का व्यापार सबसे ज्यादा मुनाफा देने वाला होता हैं.

मुर्गी पालन के साथ साथ किसान भाई इनके लिए भोजन और मुर्गी खाद से कम्पोस्ट तैयार कर भी बेच सकता हैं. जिससे वो मुर्गी पालन के साथ साथ दो अन्य व्यापार कर सकता हैं.

मुर्गी पालन शुरू करने के लिए आवश्यक चीजें

किसी भी तरीके या उद्देश्य के लिए मुर्गी पालन शुरू करने के लिए काफी मुलभुत चीजों की जरूरत होती हैं. जिनके बिना मुर्गी पालन का व्यवसाय नही किया जा सकता.

जमीन

मुर्गी पालन शुरू करने के लिए सबसे पहले जमीन की जरूरत होती हैं. किसी भी जगह की जमीन का चुनाव करने से पहले उस जगह की मिट्टी की जांच करा लेनी चाहिए. क्योंकि मुर्गी पालन के दौरान मिट्टी का पी.एच. मान सामान्य होना चाहिए. क्योंकि पी.एच. मान के कम या ज्यादा होने की स्थिति में मुर्गियों में कई तरह के रोग लग जाते हैं. जिससे व्यवसाय में नुकसान देखने को मिलता है. मुर्गी पालन के व्यवसाय के लिए अधिक जगह की आवश्यकता नही होती. इसका व्यवसाय कम से कम एक हजार वर्ग फिट में भी शुरू कर सकते हैं.

मुर्गी घर का निर्माण

मुर्गी पालन के दौरान मुर्गियों के रहने के लिए बनाए जाने वाले मकान का निर्माण मौसम को ध्यान में रखकर किया जाता हैं. जहां गर्मियों में पक्षियों को कम तापमान को खुली हवा की जरूरत होती हैं. वहीं सर्दियों में पक्षियों को बंद कमरे की जरूरत होती है. इसके लिए मकान लंबा और चौड़ा होना चाहिए. ताकि पक्षीयों को घुमने के लिए पूरी जगह मिल सके. मकान को जालीनुमा बनाया जाता है. जिससे उसे मौसम के आधार पर परिवर्तित किया जा सकता है. अगर आप घर का निर्माण अंडे उत्पादन के लिए कर रहे हैं तो इसके लिए घर के निर्माण में काफी और भी चीजों की जरूरत होती हैं. जिनमें पक्षियों के रहने का जाल और अण्डों के बाहर निकालकर रखने की जगह की भी जरूरत होती हैं. जो सभी कृत्रिम रूप से मिलती हैं.

मुर्गी पालन के दौरान मुर्गियों के लिए घर को बनाते वक्त कई तरह की सावधानी भी रखनी होती हैं.

  1. घर हमेशा ऊंचाई वाले स्थान पर ही बनाए. और अंदर से घर की मिट्टी समतल से दो से तीन फिट ऊँची होनी चाहिए.
  2. मुर्गियों के रहने के लिए घर के निर्माण के दौरान घर की दो दीवार खुली हुई होनी चाहिए. और घर की दीवारें मजबूत होना चाहिए.
  3. अगर हो सके तो घर की फर्श पक्की ही बनाए. जिससे जमीन खोदकर पक्षियों को नुक्सान पहुंचाने वाले जानवर अंदर ना आ पाए.

पानी की व्यवस्था

मुर्गी पालन के दौरान पक्षियों को ताज़ा पानी देना चाहिए. इसके लिए उसी स्थान का चुनाव करें जहां पानी की उत्तम व्यवस्था हो. इसके अलावा पानी की जांच भी करा लें पानी का पी.एच. मान सामान्य होना चाहिए. अगर पानी का पी.एच. मान सामान्य नही हो तो उसे उपचारित कर सामान्य पी.एच. वाला बना लें.

पक्षियों के लिए आहार

पक्षियों के जल्दी और उत्तम विकास के लिए उन्हें उचित मात्रा में पोषक तत्व की जरुरत होती हैं. मुर्गियों को अच्छे से विकास के लिए शर्करा, चिकनाई, प्रोटीन, खनिज पदार्थ तथा विटामिन की जरूरत होती है. जिसे लोग अपने घर पर भी आसानी से बना सकते हैं. जबकि इसको बनाने में जिनको परेशानी आती है. वो इसे बाजार से भी खरीद सकता हैं. वर्तमान में काफी कंपनियाँ है जो पक्षियों के लिए आवश्यक पोष्टिक खाना उपलब्ध कराती हैं. जो बाजार में आसानी से मिल जाता हैं. पोष्टिक आहार पक्षियों को विकास के साथ साथ रोगों से लड़ने की क्षमता भी प्रदान करता है.

दाना और पानी देने के लिए आवश्यक चीजें

मुर्गी पालन के दौरान पक्षियों को दाना ओर पानी विशेष तरह के बर्तनों के माध्यम से दिया जाता हैं. जिससे पक्षियों को दिया जाने वाला आहार खराब नही होता और खर्च कम आता है. ये सभी उपकरण आसानी से बाजार में मिल जाते हैं. जो प्लास्टिक से बने होते हैं.

बिजली का प्रबंध

मुर्गी पालन के दौरान बिजली का प्रबंध होना काफी जरूरी होता है. क्योंकि सर्दियों में पक्षियों को ठंड से बचाने के लिए बिजली से निर्मित यंत्र अंदर से तापमान को नियंत्रित करते हैं. और गर्मियों में अंदर का तापमान सामान्य बनाए रखते है. जिससे पक्षियों पर विपरीत मौसम का प्रभाव नही पड़ता हैं.

मुर्गी की उन्नत नस्लें

सभी चीजों की व्यवस्था होने के बाद नंबर आता हैं मुर्गी की नस्लों के चुनाव का जिसमें इसकी नस्लों का चुनाव करना सबसे महत्वपूर्ण होता हैं. वर्तमान में अलग अलग जरूरत के हिसाब से मुर्गियों की काफी सारी किस्में मौजूद हैं.

अंडे उत्पादन के लिए

अगर आप व्यवसाय अंडों के उत्पादन के लिए करना चाहते हैं तो आपको अधिक अंडे देने वाली नस्लों का चयन करना चाहिए. जिनमें व्हाइट लेग हार्न और मिनार्का प्रमुख नस्लें हैं. जो हर रोज़ एक अंडा देती हैं. जो अपने जीवन काल में 200 से 300 तक अंडे दे सकती हैं. इनके अलावा रोड आइलैंड रेड और अस्ट्रॉलॉर्प भी हैं. लेकिन ये दोनों ही नस्लें अंडे के साथ साथ मांस उत्पादन के लिए भी अच्छी होती हैं.

मांस उत्पादन के लिए

मांस उत्पादन के लिए असील, व्हाइट राक और कार्निस नस्ल की मुर्गियां सबसे बेहतर होती हैं. व्हाइट कार्निस और व्हाइट रॉक दोनों नस्ल की मुर्गी अंडे से निकलने के बाद लगभग दो महीने में ही एक किलो के आसपास वजन वाली तैयार हो जाती हैं.

मुर्गियों की देखरेख और आहार की मात्रा

मुर्गी पालन के दौरान पक्षियों की देखरेख सबसे अहम हिस्सा होता है. मुर्गियों की उचित देखरेख कर उनका उत्पादन बढ़ाया जा सकता है. मुर्गियों की देखरेख के दौरान पक्षियों को दिए जाने वाले खाने और पानी की व्यवस्था उचित होनी चाहिए. इस दौरान ध्यान रखे कि सभी मुर्गियों को खाना उचित रूप में मिलता रहे. चुजें को अंडे से निकलने के लगभग दो दिन बाद आहार दिया जाना चाहिए. माँस के रूप में पाली गई मुर्गी अपने दो महीने के जीवनकाल में लगभग चार किलो के आसपास आहार ग्रहण करती हैं.

मुर्गी पालन के दौरान मुर्गी घर की सफाई नियमित अंतराल पर करते रहना चाहिए. अगर घर के अंदर अधिक मात्रा में नमी मौजूद हो तो घर में सूखी बालू मिट्टी बिछानी चाहिए. इससे पक्षियों में गीली मिट्टी की वजह से लगने वाले रोग नहीं लगते.

मुर्गियों में लगने वाले रोग और उनकी रोकथाम

मुर्गियों में कई तरह के रोग पाए जाते हैं. जो पक्षियों में शुरुआत में अधिक देखने को मिलते हैं. अगर मुर्गियों में कोई संक्रामक बिमारी लग जाती हैं. तो उन्हें बचाना काफी मुश्किल हो जाता हैं. मुर्गियों में मुख्य रूप से चेचक, कोराइजा, खूनी दस्त, टुनकी, कृमि रोग, रानीखेत और परजीवी जन्य रोग रोग देखने को मिलते हैं. इसके अलावा पोष्टिक भोजन ना मिल पाने की वजह से भी पक्षियों में रोग दिखाई देते हैं.

इन सभी रोगों से बचाव के लिए पक्षियों की नियमित जांच करवाते रहना चाहिए. अगर मुर्गियों में किसी तरह का रोग दिखाई दे तो उन्हें तुरंत पशु चिकित्सक को दिखाना चाहिए. और उनकी सलाह के अनुसार ही पक्षियों को दवाई देनी चाहिए. इसके अलावा पक्षियों को रोगों से बचाने के लिए उन्हें समय समय पर खाने के साथ में ही दवाई देनी चाहिए. इससे पक्षियों में रोग ज्यादा नही फैलते और रोग होने की संभावना भी काफी कम हो जाती हैं.

अगर किसी पक्षी को रोग लग जाये तो उसे तुरंत मुर्गी घर से बाहर निकालकर उसका उपचार करवाना चाहिए. रोग ग्रस्त मुर्गी को हाथ लगाने वाले व्यक्ति अगर स्वस्थ मुर्गियों के पास जाता हैं तो उसे अपने कपड़े बदल देने चाहिए. और हाथों को अच्छे से साफ़ कर लेना चाहिए. उसके बाद ही स्वस्थ मुर्गियों को खाना पानी देना चाहिए.

मुर्गी पालन शुरू करने के लिए सरकारी सहायता

मुर्गी पालन के कारोबार में सरकार की तरफ से भी सहायता प्रदान की जाती है. इस व्यवसाय में सरकार की तरफ से जनरल, एससी, एसटी. और ओबीसी केटेगरी के आधार पर सब्सिडी देने का प्रावधान है. जिसमें सरकार एससी और एसटी वाले लोगों को 35 प्रतिशत और बाकी केटेगरी वाले लोगों को 25 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान करती हैं. इसके अलावा बड़े स्तर पर करने के लिए बैंकों को जीरो प्रतिशत की दर से लोन भी दिया जाता हैं.

लोन के लिए कैसे अप्लाई करें

मुर्गी पालन का कारोबार बड़े स्तर पर करने के लिए लोन की जरूरत होती है. जिसके लिए कारोबारी नजदीकी किसी भी बैंक में इसको शुरू करने के लिए अप्लाई कर सकता हैं. अप्लाई करने के दौरान आवश्यक दस्तावेजों की जरूरत होती है. जिसके बाद बैंक की तरफ से 25 प्रतिशत मार्जिन के आधार पर कुल राशि का 75 प्रतिशत लोन के रूप में दिया जाता हैं. और बाकी की 25 प्रतिशत राशि खुद कारोबारी को अपने पास से लगानी होती है.

मुर्गी पालन के दौरान रखी जाने वाली सावधानियां

मुर्गी पालन के दौरान कई तरह की सावधानियां रखी जानी जरूरी हैं. ताकि कम खर्च में अधिक लाभ कमाया जा सके.

  1. मुर्गी पालन का कारोबार हमेशा छोटे स्तर पर शुरू करें. जिसके बाद लाभ के अनुसार इसे बढ़ाएं.
  2. मुर्गी पालन के दौरान फार्म में नमी ना होने दें.
  3. चूजे बनाने के दौरान बच्चों को एक सप्ताह तक पंख नही बनते इसलिए कृत्रिम रूप से चूजों को गर्मी दी जाती हैं.
  4. अंडे या पक्षी को बेचने में अधिक खर्च ना हो इसके लिए शहर के नजदीक फार्म लगाना चाहिए.
  5. पक्षियों का रखरखाव अच्छे से हो इसका ध्यान रखना चाहिए. और समय समय पर फार्म की सफाई कर उसकी मिट्टी बदल देनी चाहिए.
  6. मुर्गियों को रखने के लिए हमेशा उन्नत तकनीकी का इस्तेमाल करना चाहिए.
  7. चूजे खरीदने के दौरान अपने कारोबार के आधार पर उन्नत नस्ल का चयन करें.
  8. अगर आप मुर्गी पालन किसी कंपनी के साथ मिलकर कर रहे हैं तो अपनी आय और खर्च का हिसाब रखे.
  9. पक्षियों को दावा और खाना उचित समय पर उचित मात्रा में दें. क्योंकि संतुलित मात्रा में आहार देने पर पक्षी बहुत तेजी से विकास करते हैं.
  10. पक्षियों में रोग की संभावना को कम करने के लिए उन्हें उचित समय पर टीका जरुर लगवाएं.

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