बीज रोपाई के तीन तरीके!

किसी भी पेड़, पौधे या पादप को उगाने के लिए बीज की जरूरत होती है. इसके अलावा कुछ पेड़ो को उनकी शाखाओं से भी लगाया जा सकता है. लेकिन कुछ अनाज और सब्जी फसल ऐसी हैं जिन्हें सिर्फ बीज के माध्यम से ही उगाया जाता है. इन अनाज और सब्जी के बीजों को अच्छी फसल लेने के लिए अलग अलग तरीके से उगाया जाता है. आज हम आपको बीज रोपाई की इन्ही तरीकों ( विधियों ) के बारें में बताने वाले हैं.

बीज रोपाई के तरीके

छिडकाव विधि

इस विधि को ज्यादातर छोटी खेती करने वाले किसान भाई अपनाते हैं. इस विधि का इस्तेमाल भुरभुरी नमी युक्त मिट्टी में करना अच्छा होता है. छिडकाव विधि से बीज रोपाई के लिए खेत को जुताई के वक्त समतल कर देना अच्छा होता है. समतल बनाए गए खेत में बीजों की रोपाई करते टाइम किसान भाई फसल के आधार पर बीज का छिडकाव खेत में करते हैं. बीज का छिडकाव करने के बाद बीज को मिट्टी में मिला दिया जाता है. बीज को मिट्टी में मिलाने के लिए कल्टीवेटर का इस्तेमाल किया जाता है. कल्टीवेटर के पीछे हल्के वजन का पाटा बांधकर बीज छिड़कने के बाद खेत को दो बार तिरछा जोत दिया जाता है. ऐसा करने से बीज जमीन के अंदर तीन से चार सेंटीमीटर की गहराई में चला जाता है.

इस विधि के दो बड़े नुक्सान भी है. पहला ये कि इस विधि में किसान भाई का बीज पर होने वाला खर्च ज्यादा होता है. क्योंकि इस विधि से बीज का अधिक मात्रा में इस्तेमाल होता है. और दूसरा ये कि इसमें मेहनत ज्यादा करनी पड़ती है. क्योंकि बीज के अधिक गिरने की वजह से जब बीज अधिक मात्रा में अंकुरित होता है तो पौधों के बीज सही दूरी बनाने के लिए उन्हें उखाड़ना पड़ता है.

ड्रिल विधि

ड्रिल विधि से बीजों की रोपाई अधिक और कम भूमि रखने वाले दोनों ही तरह के किसान भाई कर सकते हैं. ड्रिल विधि से बीजों की रोपाई करने से छिडकाव विधि में होने वाले दोनों बड़े नुकसानों से बचा जा सकता है. क्योंकि इस विधि में बीज उचित मात्रा में इस्तेमाल होता है. जिससे किसान भाइयों को बाद में किसी भी अनावश्यक पौधों को उखाड़ना नहीं पड़ता.

ड्रिल विधि से रोपाई करते वक्त कल्टीवेटर के साथ मशीन लगाकर उससे रोपाई की जाती है. वर्तमान में कई तरह की ड्रिल मशीने आ रही है, जिनका इस्तेमाल अलग अलग तरह के बीजों की रोपाई के लिए किया जाता है. ड्रिल विधि से बीजों की रोपाई करते वक्त बीजों को पंक्तियों में उगाया जाता है. इन पंक्तियों के बीच एक सामान दूरी होती है. और पंक्तियों में बीजों की रोपाई भी एक समान दूरी पर ही होती है. ड्रिल विधि से रोपाई करने पर पौधों में बीज गुड़ाई करने या खरपतवार निकालने में काफी सुविधा होती है.

हाथों से रोपाई

कई फसलें ऐसी होती है, जिनकी रोपाई ना ही तो छिडकाव विधि से की जाती है. और ना ही मशीनों की सहायता से क्योंकि ऐसी फसलों को हाथों से लगाना सबसे उचित होता है. जिनमें कुछ सब्जी फसलों के साथ साथ कंद वाली ज्यादातर औषधीय और मसाला फसल आती है. इसकी रोपाई के लिए खेत की मिट्टी भुरभुरी और नमी युक्त रखी जाती है. जिसमें तैयार की गई मेड़ों पर इनकी रोपाई की जाती है.

इस विधि से बीजों की रोपाई करने पर भी किसान भाइयों को कई तरह के फायदे होते हैं. इस विधि से रोपाई करते वक्त बीजों को अपनी फसल के आधार पर आवश्यक उचित दूरी और गहराई में लगा सकते हैं. इस तरह की रोपाई वाली खेती में खेतों के बीच घूमकर आसानी से पौधों की गुड़ाई और दवाइयों का छिडकाव भी कर सकते हैं.

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