भारत प्राचीन काल से ही कृषि प्रधान देश रहा है. कृषि यहाँ के लोगों की जीविका का मुख्य साधन हैं. भारत की ज्यादातर आबादी आज भी कृषि पर ही निर्भर हैं. बदलते समय के साथ साथ कृषि के क्षेत्र में भी काफी बदलाव देखने को मिले हैं. जिस कारण इस क्षेत्र में प्रगति देखने को मिली हैं. आज कई प्रकार से खेती की जाती है. आज के हमारे इस आर्टिकल में हम आपको भारत में होने वाली कृषि के अलग अलग प्रकार के बारें में बताने वाले हैं.
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कृषि के प्रकार
भूमि से जुड़े सभी तरह के उत्पादन को कृषि की संज्ञा दी गई है. आज लगभग सभी तरह के व्यवसाय किसी ना किसी तरीके से कृषि पर ही निर्भर हैं. क्योंकि इन सभी व्यवसायों के लिए कच्चा माल कृषि के माध्यम से ही प्राप्त होता हैं. भारत में कई तरह की कृषि की जाती हैं. जिनके बारें में हम बात करने वाले हैं.
मिश्रित कृषि
मिश्रित कृषि और मिश्रित फसल दोनों अलग अलग होती हैं. मिश्रित कृषि, कृषि का वो प्रकार है जिसमें फसल की पैदावार के साथ अन्य आय के स्रोत भी शामिल होते हैं. आज भारत के लगभग सभी किसान मिश्रित कृषि करते हैं. मिश्रित कृषि के रूप में किसान भाई खेती के साथ साथ पशु पालन जैसे काम करता हैं. इससे फसल के खराब होने की स्थिति में किसान भाई पशु पालन से अपनी आजीविका चला सकता हैं. वहीं मिश्रित फसल की बात करें तो इसमें मुख्य फसल के साथ कई फसलों को उगाया जा सकता है.
व्यापारिक कृषि
व्यापारिक कृषि सिर्फ व्यापारिक उद्देश्यों के लिए की जाती है. व्यापारिक कृषि करना किसानों के लिए बहुत फायदेमंद होती है. व्यापारिक कृषि खाद पदार्थों के रूप में नही की जाती हालांकि कुछ खाद् पदार्थ इसमें जरुर आते हैं. व्यापारिक कृषि मुख्य रूप से उद्योग धंधों के विकास के लिए की जाती है. जैसे रबड़ की खेती, रेशम की खेती और वानस्पतिक पेड़ो की खेती इसमें शामिल हैं.
बागवानी कृषि
वर्तमान में बागवानी कृषि में ज्यादा प्रगति देखने को मिली है. बागवानी कृषि के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के फूल और फलों का उत्पादन किया जाता है. इससे किसान भाइयों को काफी फायदा मिल रहा है. बागवानी कृषि के माध्यम से किसान भाई एक ही खेत से कई तरह की फसलों का उत्पादन भी ले रहे हैं. जिससे उन्हें अपनी भूमि से अधिक लाभ मिलता हैं.
गहन कृषि
गहन कृषि को सघन और बहु फसली के नाम से भी जाना जाता हैं. यह कृषि उत्पादन की वह तकनीकी है जिसमें कम भूमि में अधिक मेहनत कर एक वर्ष में कई फसलों से ज्यादा उत्पादन लिया जाता हैं. इसमें सभी फसलों को उर्वरक एक बार ही देना पड़ता हैं. इस तरह की कृषि में किसान भाइयों को ज्यादा मेहनत की जरूरत होती है.
जीविका कृषि
जीविका कृषि परिवार के भरण-पोषण के उद्देश्य से की जाती है. इस तरह की खेती में किसान उतना ही अनाज उगाता है जिससे वो अपने परिवार के खाने की पूर्ति कर पाता है. आज काफी किसान हैं जो अनाज फसलों की जीविका कृषि ही कर रहे हैं.
विस्तृत कृषि
विस्तृत कृषि बड़ी जोत वाले खेतों में की जाती है. जिसमें एक ही फसल को बड़े पैमाने पर उगाया जाता है. विस्तृत कृषि ज्यादातर मशीनों के माध्यम से की जाती है. भारत में इस तरह की खेती बहुत कम होती है. लेकिन बाहरी देशों में कई किसान आपस में मिलकर इस तरह की खेती करते हैं. जिससे प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि होती है.
सीढ़ीनुमा कृषि
सीढ़ीनुमा कृषि पर्वतीय भागों में की जाती हैं. पर्वतीय प्रदेशों में मैदानी भाग नही पाए जाते जिस कारण ऐसे स्थानों पर छोटी जोत के खेत सीढ़ीनुमा रूप में बनाकर की जाती है. सीढ़ीनुमा कृषि से मृदा अपरदन और बारिश के पानी के बहाव को रोका जा सकता हैं. जिसका इस्तेमाल फसल की सिंचाई के रूप में होता है.
स्थानांतरित कृषि
स्थानांतरित कृषि अधिक जंगल वाली जगहों पर की जाती है. इस प्रकार की कृषि में किसी भी भू-भाग को एक निश्चित समय तक खेती करने के लिए चुना जाता है. जिसकी वनस्पति को काटकर उस जगह खेती की जाती है. और जब भूमि का उपजाऊपन कम हो जाता है तब दूसरे स्थान को चुन लिया जाता है. जिसके बाद पहले वाली जगह पर फिर से कुछ साल बाद वनस्पति उगना शुरू हो जाती है.
झूम कृषि
झूम कृषि भी एक तरह से स्थानांतरित कृषि का ही हिस्सा है. इसमें किसी भी स्थान की वनस्पति और पेड़ पौधों को काटकर जला दिया जाता है. जिसके बाद उस जगह की जुताई कर उसमें खेती की जाती है. और जब उस जगह की उर्वरक क्षमता कम हो जाती है तो उस जगह को छोड़कर दूसरी जगह खेती शुरू कर देते हैं. भारत के पूर्वोत्तर पहाड़ी राज्यों में इस तरह की खेती की जाती है. लेकिन अब इस तरह की खेती बहुत कम हो चुकी है.
जैविक कृषि / वैज्ञानिक कृषि
जैविक खेती पूरी तरह जैव उत्पादों के माध्यम से की जाती हैं. इसमें किसी भी तरह के रासायनिक उत्पादों को शामिल नही किया जाता. वर्तमान में जैविक कृषि का प्रचार काफी ज्यादा बढ़ गया है. जैविक खेती के लिए सरकार की तरफ से भी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. जैविक खेती को जीरो बजट में अधिक उत्पादन देने वाली खेती माना जाता है. जिसकी तरफ देश के किसानों का रुझान बढ़ने लगा हैं.