प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की आय दुगनी करने के लिए कई योजना शुरू कर चुके हैं. जिनका उद्देश्य प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से किसानों की आय को बढ़ाना ही है. हाल में प्रधानमंत्री ने किसान सामान निधि और किसान पेंशन योजना की शुरुआत की है. जिनका लाभ प्रत्यक्ष रूप से किसानों को दिया जा राह है. इस तरह राष्ट्रीय कृषि विकास योजना है. जिसके माध्यम से सरकार किसान भाइयों की आर्थिक स्थिति को सूधारकर किसानों के सशक्तिकरण को बढ़ावा देना चाहती है.
इस योजना की शुरुआत 11वीं पंचवर्षीय योजना में की गई थी. 11वीं और 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान इसके लगभग 1300 प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन राज्य कृषि विभाग के द्वारा किया जा रहा है. इस योजना के माध्यम से राज्य के कृषि क्षेत्र में व्यय को प्रोत्साहित करने के लिए योजनाओं के निर्माण और उनके क्रियान्वयन की स्वतंत्रता दी हुई है. जिसके तहत प्राकृतिक संसाधनों, कृषि जलवायु की दशाओं और प्रौद्योगिकियों पर ध्यान देते हुए जिला कृषि योजना (डीएपी) बनाते है. जो स्थानीय फसल की आवश्यकताओं और उसके लिए आवश्यक प्राथमिकताओं को सुनिश्चित करता है.
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के माध्यम से राज्य की स्वायत्तता में छेड़छाड़ के बिना उप स्कीमों के माध्यम से केंद्र सरकार राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को किसानों को प्रदान करवाती है. इन राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में हरति क्रांति, मृदा सुधार योजना, फसल विवधीकरण योजना, मृदा सुधार योजना, फुट एंड माउथ रोग नियंत्रण प्रोग्राम, केसर मिशन, त्वरित चारा विकास कार्यक्रम जैसी उप स्कीम शामिल हैं. जिनके माध्यम से सरकार किसानों को जागरूक बनाने और विकास करने का अवसर प्रदान करती है. वर्तमान में इस योजना को आरकेवीवाई-रफ्तार के नाम से तीन साल के लिए लागू किया है.
आरकेवीवाई-रफ्तार योजना क्या है.
आरकेवीवाई योजना की शुरुआत 11वीं पंचवर्षीय योजना में की गई थी. लेकिन वर्तमान सरकार ने इसमें और भी परिवर्तन करते हुए इसे आरकेवीवाई-रफ्तार के नाम से लागू किया किया है. इसके माध्यम से सरकार किसानों कई सुविधा मुहैया करवा रही है. जिन पर 70 प्रतिशत तक मानदेय निर्धारित किया गया है. जिसका 60 प्रतिशत केंद्र सरकार और 40 प्रतिशत राज्य सरकार देती है. जबकि पहाड़ी राज्यों में केंद्र सरकार 90 और राज्य सरकार 10 प्रतिशत हिस्सेदारी देती है.
आरकेवीवाई-रफ्तार योजना में सरकार मूल्य श्रृंखला, फसल बाद आवश्यक बुनियादी ढांचे और कृषि उद्यम विकास पर अधिक ध्यान केन्द्रित कर रही है. जिससे कृषि के क्षेत्र में नई संभावना को बल मिलेगा. वर्तमान सरकार ने इस योजना के लिए 15772 करोड़ का बजट आवंटन किया गया है.
आरकेवीवाई योजना के उद्देश्य
आरकेवीवाई योजना के माध्यम से सरकार कृषि क्षेत्र में 4 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि हासिल करना चाहती थी. जिसके लिए सरकार ने कई उद्देश्यों को इसमें शामिल किया था.
- राज्यों को इस योजना के लिए प्रोत्साहित करना ताकि हर राज्यों के कृषि और कृषि से संबंधित क्षेत्रों में सार्वजनिक निवेश बढ़ाया जा सके.
- राज्यों को कृषि संबंधित योजना बनाने और लागू करने के लिए स्वायत्तता प्रदान करना.
- कृषि योग्य जलवायु की परिस्थितियों और प्रकृतिक संसाधनों की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए राज्य और जिला के लिए कृषि योजना बनाना.
- स्थानीय आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं को राज्य की योजना में शामिल किया गया या नही इसको सुनिश्चित करना.
- महत्वपूर्ण फसलों के उपज के अंतर को कम करने के लक्ष्य को प्राप्त करना.
- कृषि से जुड़े किसानों की आय को बढ़ाना.
- कृषि संबंधित छोटे व्यवसाय को बढ़ावा देना.
आरकेवीवाई योजना से संबंधित छेत्र
- मुख्य खाद फसलों (गेहूँ, धान, छोटे कदन्न, दालों, मोटे अनाज ) के साथ तिलहन फसलों का समेकित विकास करना. इसके लिए प्रमाणित बीजों का उत्पादन, खरीद, उपलब्धता और वितरण सुनिश्चित करना.
- कृषि यंत्रों को बढ़ावा देना और कृषि यंत्रो को महिलाओं के इस्तेमाल के लिए उपयोगी बनाना. साथ ही कृषि यंत्रो के लिए सहायता प्रदान करना.
- मृदा स्वास्थ्य संबंधित घटक योजनाओं के माध्यम से सहायता प्रदान करना.
- पनधारा क्षेत्रों के अंदर और बाहर वर्षा आधारित कृषि प्रणाली का विकास कर गरीबी रेखा से नीचे जिंदगी जीने वाले किसानों के लिए समेकित खेती प्रणाली को बढ़ावा देना.
- जैव उर्वरकों के बारें में जानकारी देना ओर उनको बढ़ावा देना.
- बागवानी खेती को बढ़ावा देकर उसके लिया सहायता प्रदान करवाना.
- मंडियों का विकास करना
- फसल में समेकित कीट प्रतिबंध करना
- किसान भाइयों को रेशम पालन व्यवसाय की जानकारी देना.
- केसर की खेती के प्रति जागरूक करना और इसकी जानकारी देना.
- खेती से जुड़े पशुपालन, मछली पालन, चमड़ा, दूध उत्पादन जैसे व्यवसायों के विकास के लिए सहायता प्रदान करवाना.
आरकेवीवाई योजना अप्रत्यक्ष तौर पर किसान भाइयों के लिए एक उपयोगी योजना है.
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