बाजरे की उन्नत खेती कैसे करें – पूरी जानकारी यहाँ लें

बाजरे की खेती खरीफ के टाइम उगाई जाने वाली फसल है. बाजरे को मोटे दाने वाली फसलों में गिना जाता है. भारत में इसकी खेती राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात में सबसे ज्यादा की जाती है. इनके अलावा और भी कई राज्यों में बाजरे की खेती की जा रही है. बाजरे का इस्तेमाल खाने के रूप में किया जाता है. जिससे रोटी और खिचड़ी बनाई जाती है. राजस्थान में बाजरे की खिचड़ी बहुत पसंद की जाती है.

बाजरे की खेती

खाने के अलावा बाजरे का इस्तेमाल पशुओं के हरे चारे के रूप में भी बड़ी मात्रा में किया जा रहा है. बाजरे का इस्तेमाल व्यापारिक तौर पर भी किया जा रहा है. व्यापारिक तौर पर बाजरे का सबसे ज्यादा इस्तेमाल बीयर बनाने में किया जा रहा है. इसके अलावा बाजरे का इस्तेमाल मुर्गियों के दाने के रूप में भी हो रहा है.

बाजरे की खेती में मेहनत कम होती और लागत भी नही के बराबर आती है. जिससे किसानों को अच्छी बचत मिल जाती है. बाजरे की खेती शुष्क प्रदेशों में की जाती है. इसकी खेती को ज्यादा पानी की जरूरत भी नही होती. बाजरे की फसल वर्षा पर ज्यादा निर्भर करती है. बाजरे की खेती उस जगह भी आसानी से हो जाती है जहाँ मिट्टी में अम्लीय गुण ज्यादा होता है.

अगर आप भी इसकी खेती करना चाह रहे है तो आज हम आपको इसके बारें में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले हैं.

उपयुक्त मिट्टी

बाजरे की खेती के लिए रेतीली बलुई मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. लेकिन आज बाजरे की खेती लगभग सभी तरह की मिटटी में की जा रही हैं. इसके लिए ध्यान रखे की मिट्टी में पानी ज्यादा दिनों तक भरा ना रहे. ज्यादा दिनों तक पानी भरे रहने की वजह से पौधे को रोग लग जाते है. जिसका असर पैदावार पर पड़ता है.

जलवायु और तापमान

बाजरे की खेती शुष्क और अर्धशुष्क जलवायु वाली जगहों पर की जाती है. बाजरे को वर्षा ऋतू के शुरू होने के साथ ही खेतों में उगा दिया जाता है. और शरद ऋतू से पहले काट लिया जाता है. बाजरे की खेती के लिए 400 से 600 मिलीलीटर बारिश काफी होती है. जब पौधे पर सिरे (सिट्टे) आ रहे हों तब पौधे को नमी की जरूरत नही होती. ऐसे टाइम बारिश होने पर दाना कमजोर हो जाता है.

बाजरे के पौधे को अंकुरित होने के लिए 25 डिग्री तापमान की जरूरत होती है. जबकि बड़ा होने के लिए 30 से 35 डिग्री तापमान की जरूरत होती है. लेकिन 40 डिग्री तापमान में भी इसका पौधा अच्छी पैदावार दे सकता है.

उन्नत किस्में

बाजरे की कई उन्नत किस्में प्रचलन में हैं. जिन्हें संकरण के माध्यम से बनाया गया है. लेकिन कुछ किस्में ऐसी हैं जिन्हें लोग पशुओं के चारे के लिए उगाते हैं.

एचएचबी 299

एचएचबी 299 बाजरे की संकर किस्म है. इस किस्म को चारे की आपूर्ति के लिए उगाया जाता है. इस किस्म से एक हेक्टेयर में 30 से 35 क्विंटल अनाज और 70 क्विंटल से ज्यादा चारा मिलता है. इस किस्म के बीज को खेत में उगने के 80 दिन बाद ही फसल पककर तैयार हो जाती है.

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बाजरे की उन्नत किस्म

बाजरे की इस किस्म के पौधों को पकने में 85 दिन का टाइम लगता है. बाजरे की इस किस्म का पौधा ज्यादा फुटाव लेता है. एक हेक्टेयर में इसकी पैदावार 30 क्विंटल से ज्यादा होती है. जबकि चारा 80 क्विंटल से भी ज्यादा होता है.

हाइब्रिड पूसा 415

बाजरे की इस किस्म के सिरे (सिट्टे) की लम्बाई 30 सेंटीमीटर से ज्यादा होती है. एक हेक्टेयर में इसकी पैदावार 25 से 30 क्विंटल तक हो जाती है. इसको पकने में 75 दिन का टाइम लगता है. इसे राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में ज्यादा उगाया जाता है.

एम एच 143

बाजरे की इस किस्म की पैदावार 50 क्विंटल से भी ज्यादा होती है. जबकि इसके सूखे हुए चारे की पैदावार 80 क्विंटल के लगभग होती है. इस किस्म के बाजरे को पकने में 70 से 80 दिन का टाइम लगता है.

एएचबी 1200

एएचबी 1200 बाजरे की संकर किस्म है, जो 78 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म से अनाज की प्रति हेक्टेयर पैदावार 35 क्विंटल तक होती है. जबकि सूखे चारे की पैदावार 70 क्विंटल के आसपास होती है.

इनके अलावा और भी कई किस्में है जिनको बड़ी मात्रा में अलग अलग प्रदेशों में उगाया जाता है. जिनमें पायनियर की किस्में, पूसा 322, राज 171, सी जेड पी 9802, एच एच बी 67-2, जी एच बी 719 और नंदी- 70 जैसी कई किस्में शामिल हैं.

खेत की जुताई

बाजरे की खेती के लिए ज्यादा जुताई की जरूरत नही होती. इसकी खेती के लिए शुरुआत में खेत की 2 जुताई कर उसमें कुछ मात्रा में गोबर की खाद डाल दें. जिसके बाद फिर से खेत की जुताई कर दें. और जब बारिश हो तभी खेत की एक जुताई कर उसमें बीज उगा दें.

बाजरे की बुवाई का तरीका और समय

बाजरे का बीज पहली बारिश के साथ ही खेतों में उगाया जाता है. लेकिन बारिश होने में ज्यादा दिनों का टाइम लगे तो खेत में पानी छोड़कर टाइम पर बीज उगा देना चाहिए. बाजरे की खेत में बुवाई का सबसे अच्छा टाइम मई और जून का महीना है.

बाजरे की खेती

बाजरे की बुवाई दो तरीकों से की जाती है. बाजरे के बीज को खेत में छिड़ककर उसके बाद हलकी जुताई कर बीज को मिट्टी में मिला दिया जाता है. इस दौरान ध्यान रखे कि बीज ज्यादा गहराई में ना जा पाए. बीज 2 से तीन सेंटीमीटर नीचे जाना चाहिए.

दूसरे तरीके से इसकी बुवाई मशीन द्वारा की जाती है. जिससे इसकी बुवाई कतारों में होती है. प्रत्येक कतारों के बीच आधा फीट की दूरी होती है. जबकि दानो के बीच 8 से 10 सेंटीमीटर की दूरी होती है. इसमें भी बीज को 2 सेंटीमीटर नीचे ही बोया जाता है. बाजरे की बुवाई के लिया एक बीघा में एक से सवा किलो बीज काफी होता है.

बाजरे की सिंचाई

बाजरे की खेती को सिंचाई की जरूरत नही होती है. बाजरे की फसल पूरी तरह से बारिश के मौसम पर निर्भर करती है. लेकिन अगर बाजरे को खेत में उगाने के बाद लम्बे टाइम तक बारिश ना हो और फसल सूखने लगे तो सिंचाई कर देनी चाहिए. उसके बाद भी बारिश ना हो और सिचाई की आवश्यकता हो तो सिंचाई कर देनी चाहिए.

अगर बाजरे की बुवाई सिर्फ हरे चारे के लिए की गई हो तो उसमें सप्ताह में दो से तीन पानी देना चाहिए. इससे पौधे में ज्यादा पानी की मात्रा बनी रहती ही और पशुओं के लिए खाने के रूप में अच्छा होता है.

उर्वरक की मात्रा

बाजरे की फसल को काफी कम मात्रा में उर्वरक की जरूरत होती है. बाजरे की बुवाई से पहले अगर हो सके तो 10 गाडी देशी गोबर का खाद प्रति एकड़ के हिसाब से डाल दें. उसके बाद बुवाई से पहले एन.पी.के. की उचित मात्रा खेत में डालें. जिसके एक से डेढ़ महीने बाद खेत में 20 किलो नाइट्रोजन का छिडकाव करें.

कई ऐसी जगह हैं जहाँ एन.पी.के की जगह डी.ए.पी. का इस्तेमाल किया जाता है. जहाँ डी.ए.पी. का इस्तेमाल किया जाता है. उन जगहों पर एक से डेढ़ महीने बाद 20 से 25 किलो यूरिया प्रति एकड़ के हिसाब से देना चाहिए. लेकिन अगर बाजरे की बुवाई हरे चारे के लिए की गई हो तो उसमें हर कटाई के बाद हल्का हल्का उर्वरक देना चाहिए. इससे पौधा अच्छे से वृद्धि करता है.

नीलाई गुड़ाई

बाजरे को नीलाई गुड़ाई की ख़ास जरूरत नही होती है. लेकिन फिर भी कोई इसकी नीलाई करता है तो पौधे की वृद्धि अच्छी होती है. और इसका असर पैदावार पर भी देखने को मिलता है. अगर खेत में ज्यादा खरपतवार हो तो इसके लिए खरपतवार नाशक दवाइयों का भी छिडकाव कर सकते हैं. इसके लिए एट्राजिन का इस्तेमाल सबसे अच्छा होता है.

बाजरे को लगने वाले रोग

बाजरे की फसल में प्राय काफी कम ही रोग देखने को मिलते हैं. लेकिन कुछ रोग होते हैं जो कीटों की वजह से पौधों पर लग जाते हैं.

दीमक और सफेद लट

ये दोनों तरह के कीट फसल की जड़ को ज्यादा नुक्सान पहुँचाते है. ये पौधों की जड़ों को काट देते हैं. जिससे पौधा जल्दी ही सुखकर नष्ट हो जाता है. इनकी रोकथाम के लिए क्लोरोपाइरीफॉस को बारिश के टाइम पौधों की जड़ों में डालना चाहिए. इसके अलावा एक से दो किलो फॉरेट खेत में बीज बोने से पहले छिड़क देनी चाहिए.

टिड्डियों का आक्रमण

टिड्डी का रोग

पौधों पर टिड्डियों का आक्रमण पौधे के बड़े होने के साथ देखा जाता हैं. टिड्डि पौधे की सभी पत्तियों को खा जाती है. जिससे पैदावार पर काफी ज्यादा असर पड़ता है. इसकी रोकथाम के लिए खेत में फॉरेट का हल्का छिडकाव करें.

मृदु रोमिल आसिता रोग

बाजरे में ये रोग काफी कम ही देखने को मिलता है. पौधों में ये रोग फफूंदी की वजह से फैलता है. इसके लगने पर पौधा पीला होने लगता है. और पौधे की वृद्धि भी रुक जाती है. इसके अलावा नीचे वाली पत्तियों पर सफ़ेद पाउडर जैसा पदार्थ दिखाई देने लगता है. इसकी रोकथाम के लिए बीज को बोने से पहले रिडोमिल एम जेड- 72 से उपचारित कर लेना चाहिए. और सही प्रमाणित बीज ही खेत में उगाना चाहिए.

अर्गट

बाजरे की खेती में अर्गट रोग अक्सर देखने को मिल जाता है. लेकिन आज कई किस्में आ गई है जिन पर इस रोग का असर नही होता है. अर्गट रोग जब पौधे पर सिट्टे आते हैं उस टाइम लगता है. इसके लगने पर बाजरे के सिट्टे पर चिपचिपा पदार्थ दिखाई देता है. जो सुखकर गाढ़ा हो जाता है. यह मनुष्य और पशुओं के लिए हानिकारक होता है. इसकी रोकथाम के लिए फसल की अगेती बुवाई करनी चाहिए. और प्रमाणित बीज ही खेत में उगाने चाहिए.

बाजरे की कटाई

बाजरे की कटाई जब दाना पूरी तरह से पककर तैयार हो जाये उसके बाद करनी चाहिए. बाजरे का दाना बुवाई के 70 से 80 बाद पक जाता है. दाना पकने के बाद कठोर हो जाता है और भूरे रंग का दिखाई देने लगता है. बाजरे की कटाई दो बार की जाती है. पहले इसके पौधे को काटा जाता है. उसके बाद इसके सिट्टों को काटकर अलग किया जाता है.

पैदावार और लाभ

बाजरा

बाजरे की खेती से किसान भाइयों को 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से अनाज मिल जाता है. जबकि 70 क्विंटल तक सुखा चारा मिल जाता है. जिसको किसान भाई अपनी आवश्यकता के अनुसार रखकर बाकी को बेचकर लाभ कमा सकते है.

1 thought on “बाजरे की उन्नत खेती कैसे करें – पूरी जानकारी यहाँ लें”

  1. Mere khet m thodi balu or hlki kali miti mix h usme kon beej kam lu jisse mujhe chara bhi achaa mile or bajra bhi lekin mere pass extra pani nhi h fasal ko dene ke liye only barish hi aadhar h………hank you

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