फूलगोभी की उन्नत किस्में और पैदावार

फूल गोभी एक बहुत ही लोकप्रिय सब्जी है. जिसको बड़े फूल वाली सब्जी फसलों की श्रेणी में गिना जाता है. सम्पूर्ण भारत वर्ष में किसान भाई इसे नगदी फसल के रूप में उगाता है. फूल गोभी का इस्तेमाल सब्जी के अलावा अचार, पकोड़े और सलाद के रूप में भी किया जाता है. फूल गोभी के पौधे सामान्य रूप से एक फिट के आसपास ऊंचाई वाले होते हैं. फूल गोभी कम समय की फसल होने के कारण किसानों के लिए बहुत ही लाभदायक फसल मानी जाती है.

फूलगोभी की उन्नत किस्में

फूल गोभी के फूल सफ़ेद, पीली और बैंगनी रंग के पाए जाते हैं. फूल गोभी की खेती मुख्य रूप से सर्दी के मौसम में ही की जाती है. क्योंकि गर्मी के मौसम में इसके फूलों में तीखापन आ जाता है, जिससे वो खाने योग्य नही रहते. लेकिन वर्तमान में कई ऐसी किस्में भी बन गई है. जिन्हें हल्की गर्मी के मौसम में आसानी से उगा सकते हैं.

आज हम आपको फूल गोभी की अधिक पैदावार देने वाली उन्नत किस्मों के बारें में बताने वाले हैं. जिनके माध्यम से किसान भाई कम समय में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकता है.

पूसा दीपाली

फूल गोभी की इस किस्म को पहाड़ी क्षेत्रों में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधों की रोपाई जुलाई माह में की जाती है. जिसके बाद इसके पौधे 60 दिन के आसपास पककर कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 10 से 15 टन के बीच पाया जाता है. इस किस्म के फूल सफ़ेद रंग के ठोस गुथे हुए होते हैं.

पूसा स्नोबॉल के – 1

फूल गोभी की इस किस्म को अधिक सर्दी के मौसम में उगाने के लिए तैयार किया गया है. जिसको हिमालय की तराई वाले राज्यों में अधिक उगाया जाता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 100 दिन के आसपास कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 17 से 21 टन के बीच पाया जाता है. इस किस्म के फूल बर्फ की तरह सफ़ेद और गुथे हुए पाए जाते हैं.

समर किंग

फूल गोभी की इस किस्म को निचली भूमि में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इसकी पछेती पैदावार लेने के लिए इसके पौधों की खेतों में जनवरी माह के आखिर से फरवरी माह के मध्य तक लगाया जाता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 50 से 55 दिन बाद पैदावार देना शुरू कर देते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 28 टन के आसपास पाया जाता है. इस किस्म के पौधों पर लगने वाले फूल हलके सफ़ेद रंग के होते हैं.

अर्ली कुंवारी

फूल गोभी की इस किस्म को ठंडे प्रदेशों में अगेती पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधों को बरसात के मौसम में उगाया जाता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 60 से 70 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके फूलों का आकार छोटा और रंग हल्का सफ़ेद पाया जाता है. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 8 टन के आसपास पाया जाता है.

हिमरानी

इस किस्म के फूलों का आकार बड़ा और रंग बर्फ की तरह सफ़ेद दिखाई देता है. इसके एक फूल का वजन तीन किलो के आसपास पाया जाता है. इसके पौधे रोपाई के लगभग तीन महीने बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 25 टन के आसपास पाया जाता है. इस किस्म का सबसे ज्यादा उत्पादन उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में किया जाता है.

पुष्पा

फूल गोभी की इस किस्म को मध्यम समय में पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे की पत्तियां नीलापन लिया हरी दिखाई देती हैं. इसके फूल गुम्बद की तरह माध्यम आकार वाला दिखाई देता है. जिसका रंग सफ़ेद दिखाई देता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 85 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 22 टन के आसपास पाया जाता है.

पूसा स्नोबॉल – 1

फूल गोभी की इस किस्म को अधिक सर्दी के मौसम में उगाने के लिए तैयार किया गया है. जिनकी रोपाई सितम्बर माह में की जाती है. रोपाई के लगभग तीन महीने बाद इसके पौधे कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 15 से 20 टन तक पाया जाता है. इस किस्म के पौधों पर बनने वाले फूल गठे हुए मध्यम आकार के होते हैं. जिनका रंग एकदम बर्फ की तरह सफ़ेद दिखाई देता है.

पूसा अर्ली सिंथेटिक

फूल गोभी की इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 75 से 80 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 12 से 15 टन के बीच पाया जाता है. इसके पौधों की पत्तियां नीलापन लिए सीधी दिखाई देती हैं. इसके फूल सफ़ेद और ठोस पाए जाते हैं.

कल्यानपुर अगेती

फूल गोभी की इस किस्म को शाक-भाजी अनुसंधान केंद्र, कल्याणपुर द्वारा अगेती पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 65 दिन के आसपास पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 से 25 टन से आसपास पाया जाता है. इस किस्म के फूल सफ़ेद रंग के और संगठित पाए जाते हैं. जिनकी कटाई अक्टूबर माह के आखिरी तक कर ली जाती है.

पालम उपहार

फूल गोभी की इस किस्म को निचले और कम ऊंचाई वाले पर्वतीय प्रदेशों में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 65 से 70 दिन के आसपास पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 22 से 25 टन के बीच पाया जाता है. इस किस्म फूल गुथे हुए सफ़ेद रंग के होते हैं. इसके पौधों पर ब्लैक रॉट और डाऊनी मिल्ड्यू रोग का प्रभाव देखने को नही मिलता.

पूसा कार्तिकी

फूल गोभी की इस किस्म को कम समय में उत्तम पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग दो महीने बाद ही पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 15 टन के आसपास पाया जाता है. इस किस्म के फूल छोटे और गुथे हुए होते हैं. जिनका रंग सफ़ेद पाया जाता है.

एस 234

फूल गोभी की इस किस्म का निर्माण गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय पंतनगर, उत्तराखंड द्वारा अगेती पैदावार लेने के लिए किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 80 से 100 दिन के बीच कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके फूल सामान्य आकार के और सफ़ेद दिखाई देते हैं. इस किस्म के पौधों को पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक उगाया जाता है. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 25 से 30 टन के बीच पाया जाता है.

पटना मध्यकालीन

फूल गोभी की ये एक क्षेत्रिय किस्म है. जिसको बिहार में अधिक उगाया जाता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग ढाई महीने बाद पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके फूलों की कटाई मध्य नवम्बर से मध्य दिसम्बर तक की जाती है. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 15 से 20 टन के बीच पाया जाता है. इस किस्म के फूल आकार में बड़े और अच्छे से गुथे हुए होते हैं.

जापानी इम्प्रूव्ड

फूल गोभी की ये एक विदेशी किस्म है. जिसको सम्पूर्ण भारतवर्ष में उगाया जा सकता है. इस किस्म के पौधे आकार में काफी छोटे होते हैं. जो रोपाई के लगभग 100 से 110 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के फूल हल्के पीले और ठोस गुथे हुए होते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 18 से 20 टन के बीच पाया जाता है.

पूसा अगहनी

फूल गोभी की इस किस्म के पौधे सबसे ज्यादा समय में पककर तैयार होते हैं. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 120 से 130 दिन बाद पैदावार देना शुरू कर देते है. इस किस्म के फूल बड़े आकार वाले और ठोस गुथे होते हैं. जिनका रंग सफ़ेद दिखाई देता है. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 17 टन के आसपास पाया जाता है.

पूसा शुभ्रा

फूल गोभी की इस किस्म के पौधे सीधे और लम्बे तने वाले होते हैं. इसके पौधे की पत्ति नीली और हरी दिखाई देती हैं. इसका फूल सफ़ेद रंग का पाया जाता है. जो पौध रोपाई के लगभग 90 दिन बाद पककर कटाई के लिए तैयार हो जाता है. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 से 25 टन के आसपास पाया जाता है.

पंत गोभी 2

फूल गोभी की ये एक बहुत जल्द तैयार होने वाली किस्म है. जीसको मध्यम समय में पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग दो महीने बाद नवम्बर से दिसम्बर माह तक पैदावार देते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 10 टन से ज्यादा पाया जाता है.

केटी 25

फूल गोभी की इस किस्म को पहाड़ी क्षेत्रों में उगाने के लिए तैयार किया गया है. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 17 से 20 टन के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग तीन महीने बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं.

पंजाब जायंट

फूल गोभी की इस किस्म को पछेती पैदावार के रूप में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 80 दिन के आसपास कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनकी प्रति हेक्टेयर पैदावार 30 से 35 टन के बीच पाई जाती है.

कासी अगहनी

फूल गोभी की इस किस्म का निर्माण कम समय में अधिक पैदावार लेने के लिए किया गया था. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग दो से ढाई महीने कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 30 से 35 टन के बीच पाया जाता है. इस किस्म पौधों पर लगने वाले फूल मध्यम आकार वाले ठोस गुथे होते हैं. जिनका रंग सफ़ेद दिखाई देता है.

जाइंट स्नोबाल

फूल गोभी की इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 85 से 90 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधों पर पाए जाने वाले फूल का रंग हल्का सफ़ेद दिखाई देता है. जो आकार में बड़े और ठोस पाए जाते हैं. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 17 से 20 टन के बीच पाया जाता है.

सलेक्शन 7

फूल गोभी की इस किस्म को पछेती पैदावार के रूप में उगाया जाता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग तीन महीने के आसपास पैदावार देना शुरू कर देते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 15 से 17 टन के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधे की पत्तियां सफ़ेद दिखाई देती हैं. जो इसके फूलों को ढके रहती हैं. जिस कारण इसके फूल काफी ज्यादा सफ़ेद पाए जाते हैं.

हिसार नं. 1

फूल गोभी की इस किस्म का निर्माण चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा मध्यम समय में अधिक पैदावार लेने के लिए किया गया है. इस किस्म के पौधों की रोपाई मध्य अगस्त माह में की जाती है. इसके पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 23 से 25 टन के बीच पाया जाता है. इस किस्म के फूल मध्यम आकार के ठोस गुथे हुए होते हैं. जिनका रंग सफ़ेद दिखाई देता है. इस किस्म को हरियाणा के आसपास वाले राज्यों में अधिक उगाया जाता है.

इसके अलावा कुछ और छेत्रीय किस्में हैं जिन्हें किसान भाई उचित समय उगाकर उनसे अच्छा उत्पादन लेता है. जिनमें  पंचमढ़ी मध्यकालीन, पूसा हिम ज्योति, दानियाँ कलिंपोंग और पूसा पौशज जैसी और कई किस्में शामिल हैं.

1 thought on “फूलगोभी की उन्नत किस्में और पैदावार”

  1. सर मि महाराष्ट्र राज्यातील बुलढाणा जिल्ह्यातील आहे. मला फूलगोभी च्या माझ्या साठी कोणत्या जाती योग्य राहतील

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