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सरसों की उन्नत किस्में और उत्पादन

2019-10-03T18:49:59+05:30Updated on 2019-10-03 2019-10-03T18:49:59+05:30 by bishamber Leave a Comment

सरसों की खेती मुख्य रूप से तिलहन फसल के रूप में की जाती है. इसके अलावा इसके कच्चे पौधों का इस्तेमाल सब्जी बनाने में भी किया जाता है. सरसों की खेती रबी की फसल के रूप में मध्य अक्टूबर से नवम्बर माह के शुरूआती सप्ताह तक उगाई जाती है. लेकिन इसे उगाने का सबसे उत्तम टाइम 10 अक्टूबर से 25 अक्टूबर में मध्य का समय होता है. इसका बाज़ार भाव चार हज़ार रुपये प्रति क्विंटल के आसपास पाया जाता है. जिस कारण इसकी उपज से किसानों की अच्छी कमाई होती है. सरसों की अधिक पैदावार लेने के लिए हमेशा उन्नत और रोग रहित किस्मों का ही चयन करना चाहिए.

Table of Contents

  • पायोनियर 45S46
  • पूसा जय किसान
  • श्रीराम 1666
  • आर एच 725
  • प्रोएग्रो 5222 (बायर 5222)
  • माहिको MRR 8020
  • माहिको उल्लास (MYSL 203)
  • पूसा 30
  • पायोनियर 45S42
  • कालिया 92
  • आर. एच 30
  • प्रोएग्रो 5121 (बायर 5121)
  • आर.बी. 50
  • लक्ष्मी
  • आर एच 9304
  • स्वर्ण ज्योति
  • एन.पी.जे. 113
  • पूसा विजय
  • सौरभ
  • आर एच 749
  • आर बी 9901
  • पूसा आदित्य
  • पूसा महक
  • आशीर्वाद
सरसों की उन्नत किस्में

आज हम आपको सरसों की कुछ बेहतरीन उन्नत किस्मों के बारें में बताने वाले हैं. जिन्हें उगाकर आप अपनी फसल से अधिक उत्पादन हासिल कर सकते हैं.

पायोनियर 45S46

सरसों की ये एक संकर किस्म है. जिसको उत्तर भारत के मैदानी प्रदेशों में अधिक उगाया जाता है. इस किस्म के बीजों की रोपाई मध्य अक्टूबर में की जाती है. एक हेक्टेयर में इसकी खेती के लिए तीन से चार किलो बीज काफी होता है. इस किस्म के पौधों को विकास करने के लिए दो से तीन सिंचाई की ही जरूरत होती है. इसके पौधे की लम्बाई पांच फिट के आसपास पाई जाती है. इसमें बालियों की संख्या काफी ज्यादा होती है. इस किस्म के पौधे प्रति एकड़ 12 से 15 क्विंटल तक पैदावार दे सकते है.

पूसा जय किसान

सरसों की इस इस किस्म के पौधे सामान्य ऊंचाई के पाए जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 130 से 135 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते है. इस किस्म के दानो में तेल की मात्रा 38 से 40 प्रतिशत के बीच पाई जाती है.

श्रीराम 1666

सरसों की ये भी एक संकर किस्म है. इस किस्म का उत्पादन मध्य और उत्तर भारत में ही किया जाता है. इस किस्म के बीजों की रोपाई के लिए मध्य अक्टूबर का समय उपयुक्त माना जाता है. इस किस्म के पौधे पांच फिट के आसपास लम्बाई के पाए जाते है. इसके पौधों पर बालियों की संख्या ज्यादा पाई जाती है. इसके पौधे रोपाई के चार महीने बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 35 क्विंटल के आसपास पाया जाता है.

आर एच 725

सरसों की इस किस्म का निर्माण चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किया गया है. जिसको उत्तर भारत के मैदानी भागों में अधिक मात्रा में उगाया जाता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के 135 से 140 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 25 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इस किस्म के दानो का आकार बड़ा पाया जाता है. जिसमें तेल की मात्रा 40 प्रतिशत तक पाई जाती है. इस किस्म के पौधों को पककर तैयर होने के लिए दो से तीन सिंचाई की ही जरूरत होती है.

प्रोएग्रो 5222 (बायर 5222)

सरसों की ये एक संकर किस्म है. इस किस्म का उत्पादन राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और गुजरात में अधिक किया जाता है. एक एकड़ में इसकी खेती के लिए लगभग एक से सवा किलो के आसपास बीज की जरूरत होती है. इस किस्म के पौधों की लम्बाई पांच से सात फिट के बीच पाई जाती है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 130 से 140 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 37 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इस किस्म के दानो में तेल की मात्रा 42 प्रतिशत तक पाई जाती है.

माहिको MRR 8020

सरसों की इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 125 से 130 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके पौधों की लम्बाई पांच फिट से ज्यादा पाई जाती है. जिस पर बालियों की मात्रा काफी ज्यादा होती है. इसकी एक बाली में 18 के आसपास दानो की संख्या पाई जाती है. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 25 से 30 क्विंटल तक पाया जाता है. इस किस्म की सरसों के दानो में तेल की मात्रा काफी ज्यादा पाई जाती है.

माहिको उल्लास (MYSL 203)

सरसों की इस किस्म का उत्पादन पश्चिमी उत्तर भारत में अधिक किया जाता है. इस किस्म के पौधों को शुष्क भूमि में भी आसानी से उगाया जा सकता है. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 25 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 130 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधों की लम्बाई 6 फिट के आसपास पाई जाती है. इस किस्म के दानो में तेल की मात्रा 38 से 40 प्रतिशत तक पाई जाती है.

पूसा 30

सरसों की इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग 135 से 140 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधों की ऊंचाई साढ़े पांच फिट से ज्यादा पाई जाती है. सरसों की इस किस्म का उत्पादन भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा किया गया है. इस किस्म के पौधे सिंचित जगहों में उगाने पर अधिक पैदावार देते है. इस किस्म के दानो में तेल की मात्रा 37 से 38 प्रतिशत तक पाई जाती है. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 क्विंटल के आसपास पाया जाता है.

पायोनियर 45S42

सरसों की इस किस्म को उत्तर पश्चिमी राज्यों में अधिक उगाया जाता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 125 से 130 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 28 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इस के पौधों की लम्बाई पांच फिट के आसपास पाई जाती है. इसके दानो में तेल की मात्रा 38 से 40 प्रतिशत तक पाई जाती है.

कालिया 92

इस किस्म को उचित समय और समय से देरी की रोपाई के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधों की लम्बाई 6 फिट के आसपास पाई जाती हैं. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 125 से 130 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते है. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 से 25 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधे पर आने वाली फलियों में बीजों की संख्या 14 से 20 तक पाई जाती है. इस किस्म के दानो में तेल की मात्रा 40 प्रतिशत तक पाई जाती है.

आर. एच 30

सरसों की इस किस्म को समय और समय से देरी होने के बाद नवम्बर माह के मध्य तक रोपाई के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 130 से 140 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते है. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 25 से 30 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधों की रोपाई बारानी और सिंचित जगहों पर करना उपयुक्त होता हैं. इस किस्म के दानो में तेल की मात्रा 40 प्रतिशत तक पाई जाती है.

प्रोएग्रो 5121 (बायर 5121)

सरसों की इस किस्म के पौधों की रोपाई अक्टूबर के आखिरी तक कर देनी चाहिए. इस किस्म के पौधों की लम्बाई 6 से 7 फिट तक पाई जाती है. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 33 से 38 क्विंटल तक पाया जाता है. इस किस्म के पौधे दो सिंचाई में ही पककर तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधों की कटाई बीज रोपाई के लगभग 130 दिन बाद की जा सकती है. जिसके दानो में तेल की मात्रा 40 से 42 प्रतिशत तक पाई जाती है.

आर.बी. 50

सरसों की इस किस्म के पौधों की रोपाई हरियाणा, उत्तरप्रदेश, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली में अधिक की जाती है. इसके पौधे रोपाई के लगभग 145 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 क्विंटल के आसपास पाया जाता हैं. इस किस्म के पौधों की लम्बाई सात फिट के आसपास पाई जाती है. इसके दानो में तेल की मात्रा 39 प्रतिशत के आसपास पाई जाती है. इस किस्म के पौधों की फलियाँ मोटी और लम्बी दिखाई देती है.

लक्ष्मी

सरसों की इस किस्म को आर.एच. 8812 के नाम से भी जाना जाता हैं. इस किस्म का निर्माण समय पर रोपाई के लिए किया गया है. सरसों की इस किस्म के पौधों की लम्बाई सामान्य पाई जाती है. इसके पौधे की फलियाँ और दानों का आकार मोटा दिखाई देता है. इसके दानो में तेल की मात्रा 40 प्रतिशत तक पाई जाती है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 140 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 30 क्विंटल के आसपास पाया जाता है.

आर एच 9304

सरसों की इस किस्म को वसुंधरा के नाम से भी जाना जाता है. सरसों की इस किस्म का उत्पादन राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तरांचल में अधिक मात्रा में किया जाता है. इस किस्म के पौधे मध्यम समय में अधिक उत्पादन देने के लिए जाने जाते है. इसके पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 30 से 35 क्विंटल के बीच पाया जाता हैं. इस किस्म के पौधों की लम्बाई 6 फिट के आसपास पाई जाती है. इसके पौधे रोपाई के लगभग 130 से 140 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. इसके दानो में तेल की मात्रा 40 प्रतिशत तक पाई जाती है.

स्वर्ण ज्योति

सरसों की ये एक संकर किस्म है. जिसको आर.सी. 1670 के संकरण से तैयार किया गया है. सरसों की ये एक पछेती किस्म है, जिसको देरी से रोपाई के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 125 से 130 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 25 से 30 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इस किस्म के दानो में तेल की मात्रा 40 प्रतिशत तक पाई जाती है.

एन.पी.जे. 113

सरसों की इस किस्म का निर्माण पछेती रोपाई के लिए किया गया है. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 16 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इसके पौधे बीज रोपाई के लगभग 125 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधों की लम्बाई पांच फिट के आसपास पाई जाती है. इसके दानो में तेल की मात्रा 37 प्रतिशत तक पाई जाती है. इस किस्म के पौधे पकने के समय अधिक गर्मी को आसानी से सहन कर लेते हैं.

पूसा विजय

सरसों की इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग 140 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 35 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. पकाई के दौरान इस किस्म के पौधे अधिक तापमान को आसानी से सहन कर लेते हैं. इस किस्म के दानो में तेल की मात्रा 38 प्रतिशत तक पाई जाती है.

सौरभ

सरसों की इस किस्म के पौधे पकने में अधिक समय लेते हैं. इसके पौधे बीज रोपाई के लगभग 150 दिन बाद पककर तैयार होते हैं. इस किस्म के पौधों पर सफेद रतुआ और डाऊनी मिल्ड्यू जैसे रोग देखने को नही मिलते. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 27 से 30 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इस किस्म के दानो का आकार सामान्य होता है. जिनमें तेल की मात्रा 40 प्रतिशत तक पाई जाती है. इस किस्म के पौधों की लम्बाई अधिक होती है, जिसमें शाखाएं काफी ज्यादा दिखाई देती है.

आर एच 749

सरसों की इस किस्म के पौधे की रोपाई सिंचित जगहों में की जाती है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 145 से 150 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधोंकी लम्बाई अधिक पाई जाती हैं. जिन पर बनने वाली फलियों की संख्या अधिक पाई जाती है. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 35 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इस किस्म के दाने बड़े आकार के होते हैं. जिनमें तेल की मात्रा 39 से 40 प्रतिशत के बीच पाई जाती है.

आर बी 9901

सरसों की इस किस्म को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में उगाया जाता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 140 से 150 दिन बाद पककर तैयार होते हैं. इसके पौधों की फलियों में दाने चार पंक्तियों में पाए जाते हैं. जिनका आकार काफी बड़ा होता हैं. इस किस्म के पौधों की लम्बाई सामान्य पाई जाती है. इसके पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 25 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इस किस्म के पौधों में सफ़ेद रतुआ का रोग देखने को कम मिलता हैं. इस किस्म के दानो में तेल की मात्रा 40 प्रतिशत तक पाई जाती है.

पूसा आदित्य

सरसों की इस किस्म के पौधे सबसे देरी से पककर तैयार होते हैं. सरसों की इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 160 दिन बाद कटाई के लिए तैयार होते हैं. इस किस्म को कम उपजाऊ भूमि में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इसके पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 15 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इस किस्म के पौधों पर कई तरह के रोग देखने को नही मिलते. इसके दानो का आकार बड़ा दिखाई देता है. जिनमें तेल की मात्रा 40 प्रतिशत तक पाई जाती है.

पूसा महक

सरसों की ये एक बहुत जल्द पककर तैयार होने वाली किस्म है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 120 दिन के आसपास पककर तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधे की रोपाई धान की फसल के बाद की जाती है. इस किस्म को ज्यादातर पूर्वी राज्यों में ही उगाया जाता है. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 18 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इसके दानो में तेल की मात्रा 40 प्रतिशत तक पाई जाती है.

आशीर्वाद

सरसों की इस किस्म को देरी से रोपाई एक लिए तैयार किया गया है. इसके पौधों की लम्बाई चार से पांच फिट के बीच पाई जाती है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 120 से 130 दिन में पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 15 क्विंटल के आसपास पाया जाता है. इस किस्म के पौधे मजबूत होते हैं. इस किस्म के दानो में तेल की मात्रा 42 प्रतिशत तक पाई जाती है.

Filed Under: उन्नत किस्में

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