प्याज की उन्नत किस्में और उनकी उपज

प्याज का इस्तेमाल ज्यादातर सब्जी में किया जाता है. प्याज के अंदर विटामिन की बड़ी मात्र पाई जाती है.  जो शरीर के लिए लाभदायक होती है. प्याज का इस्तेमाल औषधियों के रूप में पीलिया, कब्ज, बवासीर और यकृत संबंधित रोगों में बहुत लाभकारी होती है. सब्जी के अलावा प्याज़ का इस्तेमाल लोग सलाद, सूप और अचार के रूप में भी करते हैं. प्याज को खाने से गर्मियों में लू नही लगती है.

प्याज की उन्नत किस्में

प्याज की खेती भारत में ज्यादातर मैदानी भागों में की जाती है. मौसम के आधार पर प्याज की खेती खरीफ और रबी दोनो मौसम में की जाती है. लेकिन मुख्य रूप से इसे सर्दियों के मौसम में उगाया जाता है. प्याज की रंग के आधार पर कई तरह की उन्नत किस्में हैं. जिन्हे रंग और पैदावार के आधार पर बनाया गया है.

आज हम आपको प्याज की कुछ उन्नत किस्मों के बारें में बताने वाले हैं जिन्हे उगाकर किसान भाई अच्छा उत्पादन हासिल कर सकता है.

भीमा सुपर

प्याज की इस किस्म को ज्यादातर उत्तर भारत में उगाया जाता है. इसे खरीफ के मौसम में पछेती पैदावार लेने के लिए उगाया जाता. इसके पौधे रोपाई के लगभग 120 से 130 दिन बाद पककर तैयार हो जाती है. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 40 टन के आसपास पाया जाता है. इसके कंद गोलाकार होते है. जिनका रंग हल्का लाल पीला होता है.

भीमा गहरा लाल

प्याज की इस किस्म को सम्पूर्ण भारत में उगाया जाता है. इस किस्म के कंद आकर्षक गहरे लाल रंग के पाए जाते हैं. जिनका आकार  चपटा और गोलाकार होता है. इसके कंदों में कड़वाहट की मात्रा ज्यादा पाई जाती है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 100 से 110 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 से 25 टन के बीच पाया जाता है.

एग्रीफाउंड लाइट रेड

प्याज की इस किस्म को रबी के मौसम में रोपाई के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के कंद गोलाकार और हल्के लाल रंग के पाए जाते हैं. इसके पौधे रोपाई के लगभग 110 से 120 दिन बाद पककर तैयार हो जाते है. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन  30 से 37 टन के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधों पर कई तरह के जीवाणु जनित रोगों का प्रभाव काफी कम देखने को मिलता है.

पूसा व्हाइट राउंड

प्याज की इस किस्म को खरीफ के मौसम में उगाया जाता है. इसके पौधे रोपाई के 135 से 140 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 28 से 30 टन तक पाया जाता है. इस किस्म के कंदों का रंग सफ़ेद पाया जाता है. इसके कंदों पर कई तरह के रोगों का प्रभाव काफी कम देखने को मिलता है.

पूसा रेड

प्याज की इस किस्म को रबी के मौसम में रोपाई के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के कंद आकार में गोलाकार पाए जाते हैं. जिनका रंग गहरा लाल दिखाई देता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 125 से 140 दिन बाद पककर तैयार हो जाते है. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 25 से 30 टन के बीच पाया जाता है. इस किस्म के पौधों पर कई तरह के जीवाणु जनित रोगों का प्रभाव काफी कम देखने को मिलता है.

भीमा लाल

प्याज की इस किस्म को खरीफ के मौसम में सम्पूर्ण भारत के मैदानी इलाकों में उगाया जाता है. इस किस्म के पौधे पछेती पैदावार के रूप में अधिक उत्पादन देते हैं. जो पौधे रोपाई के लगभग 110 से 125 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका पछेती पैदावार के रूप में प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 40 से 50 टन के बीच पाया जाता है. इस किस्म के कंदों का रंग गहरा लाल दिखाई देता है. इसके कंदों का भंडारण किसान भाई अधिक समय तक कर सकता है.

हिसार 2

प्याज की इस किस्म को हरियाणा के आसपास के इलाकों में अधिक उगाया जाता है. इस किस्म के कंद आकार में चपटे और गोलाकार दिखाई देते हैं. जिनका रंग लालिमा लिए हल्का सफ़ेद दिखाई देता है. इसके कंदो का स्वाद मीठा होता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 150से 160 दिन बाद पककर तैयार हो जाते है. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 25 से 30 टन के बीच पाया जाता है. इस किस्म के कंदों की भण्डारण क्षमता अधिक पाई जाती है

एग्री फाउंड लाईट रेड

प्याज की इस किस्म को महाराष्ट्र के आसपास के मैदानी इलाकों में उगाया जाता है. इसके कंद हल्के लाल रंग  के दिखाई देते हैं. इस किस्म के पौधे रोपाई के 150 से 165 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 30 टन के आसपास पाया जाता है. इसके कंदों पर कई तरह के रोगों का प्रभाव काफी कम देखने को मिलता है.

अर्का प्रगति

प्याज की इस किस्म को ज्यादातर दक्षिण भारत के राज्यों में अधिक उगाया जाता है. इस किस्म के पौधे मध्यम समय में रोपाई के दौरान अधिक उत्पादन देने के लिए जाने जाते हैं.  इस किस्म के कंद आकार में गोल दिखाई देते हैं. जिनका रंग लाल गुलाबी होता है. इसके कंदों का स्वाद हल्का मीठा होता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 140से 145 दिन बाद पककर तैयार हो जाते है. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 से 25 टन के बीच पाया जाता है. इस किस्म के कंदों में कई तरह के जीवाणु जनित रोगों का प्रभाव काफी कम देखने को मिलता है.

अम्पायर

प्याज की ये एक संकर किस्म है. जिसको अधिक उत्पादन देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के 130 से 160 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 50 टन के आसपास पाया जाता है. इसके कंदों पर कई तरह के रोगों का प्रभाव काफी कम देखने को मिलता है.

बीएल 67

प्याज की इस किस्म के कंद लाल रंग के पाए जाते हैं. जिसकी हर परत के छिलके पतले होते है. इसके कंदों का स्वाद तीखा होता है. जिनका इस्तेमाल ज्यादा सब्जी में ही किया होता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के 150 से 180 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 30 टन के आसपास पाया जाता है.

क्रिस्टा

प्याज की ये एक संकर किस्म है. जिसको अधिक उत्पादन लेने के लिए सम्पूर्ण भारत में उगाया जाता है. इसके पौधे रोपाई के 135 से 165 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 45 से 50 टन के बीच पाया जाता है. इसके कंदों पर कई तरह के रोगों का प्रभाव काफी कम देखने को मिलता है.

उदयपुर 102

प्याज की इस किस्म को रेतीली भूमि में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के कंद गोल और सफ़ेद रंग के पाए जाते हैं. जिनका स्वाद हल्का मीठा होता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 140से 145 दिन बाद पककर तैयार हो जाते है. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 से 25 टन के बीच पाया जाता है. इस किस्म के कंदों में कई तरह के जीवाणु जनित रोगों  का प्रभाव काफी कम देखने को मिलता है.

वी एल 76

प्याज की ये एक संकर किस्म है. जिसको अधिक उत्पादन लेने के लिए सम्पूर्ण भारत में उगाया जाता है. इसके कंद बड़े तथा लाल रंग के दिखाई देते हैं.  इसके पौधे रोपाई के 170 से 180 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 40 से 45 टन के बीच पाया जाता है.

अर्का निकेतन

प्याज की इस किस्म को खरीफ और रबी दोनों मौसम में उगाया जा सकता है. इसके कंद लाल रंग के पाए जाते हैं. इसके कंदों का स्वाद हल्का तीखा होता है. जिनका इस्तेमाल ज्यादा सब्जी में ही किया होता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के 130 से 140 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 30 टन के आसपास पाया जाता है.

ब्राउन स्पेनिश

प्याज की इस किस्म को पर्वतीय भू-भागों में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इसके कंद गोल लम्बे तथा लाल भूरे रंग के पाए जाते हैं. इनके कंद स्वाद में कम तीखे और गंध युक्त होते हैं जिनका इस्तेमाल सलाद के रूप में अधिक किया जाता है. इस किस्म के कंद रोपाई के 160 से 170 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 से 30 टन के बीच पाया जाता है. लेकिन पौधों की अच्छी देखभाल कर उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है.

अर्का प्रगति

प्याज की इस किस्म को रबी और खरीफ दोनो मौसम में उगाया जा सकता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 140  से 150  दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 टन के आसपास पाया जाता है.

कल्याणपुर रैड राउंड

प्याज की इस किस्म के कंद लाल रंग के पाए जाते हैं. इस किस्म के पौधों की खेती रबी के मौसम में की जाती है. जिसको उत्तर प्रदेश में अधिक उगाया जाता है. इसके कंद रोपाई के लगभग 130 से 150 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं .

भीमा शुभ्रा

प्याज की इस किस्म को छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान और तमिलनाडु में अधिक उगाया जाता है. जिसकी रोपाई खरीफ के मौसम में अगेती और पछेती पैदावार लेने के लिए की जाती है. इसके कंद रोपाई के लगभग 120 से 130दिन बाद पककर तैयार हो जाते है. इसके कंद गोल और सफ़ेद रंग के पाए जाते हैं. जिनका स्वाद हल्का मीठा होता है. इसके कंदों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 30 से 45 टन के बीच पाया जाता है. इस किस्म के कंदों में कई तरह के जीवाणु जनित रोगों  का प्रभाव काफी कम देखने को मिलता है.

एन- 53

प्याज की इस किस्म को खरीफ और रबी दोनों मौसममें उगाने के लिए तैयार किय गया है. इस किस्म के कंद गोल और हल्के लाल रंग के होते हैं. जो स्वाद में कम तीखे पाए जाते हैं. इसके कंद शुरुआत में हल्के बैंगनी रंग के दिखाई देते हैं. जो बाद में लाल रंग में बदल जाते हैं.  इसके पौधे रोपाई के 170 से 180 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 से 25 टन के बीच पाया जाता है. इसके कंदों पर कई तरह के रोगों का प्रभाव काफी कम देखने को मिलता है.

अर्ली ग्रेनो

प्याज की इस किस्म के कंद गोल और पीले रंग के पाए जाते हैं. इसके कंदों का स्वाद कम तीखा होता है. इसके कंदों में हल्की गंध आती हैं. जिनका इस्तेमाल ज्यादा सलाद के रूप में ही किया होता है. इस किस्म के पौधे रोपाई के 130 से 140 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 40 से 50 टन के बीच पाया जाता है. इस किस्म के कंदों की भंडारण छमता अधिक पाई जाती है.

पूसा व्हाईट फ़्लैट

प्याज की इस किस्म को मैदानी भूभागों में उगाने के लिए तैयार किया गया है. इसके कंद सामान्य से बड़े आकार के पाए जाते हैं. जो चपटे और गोल दिखाई देते हैं . जिनका रंग सफ़ेद भबूरा दिखाई देता हैं. इनके कंद सवाद में काम तीखे होते हैं. जिनका इस्तेमाल सलाद और सब्जी दोनों रूप में किया जाता है. इस किस्म के कंद रोपाई के 120 से 125 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं जिनका प्रति हैक्टेयर औसतन उत्पादन 200  से 300 किवंटल के आसपास पाया जाता है. लेकिन पौधों की अच्छी देखभाल कर उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है. इस किस्म के कंदों की भंडारण क्षमता अधिक पाई जाती है.

एन- 257-1

प्याज की इस किस्म को राजस्थान और महाराष्ट्र में अधिक उगाया जाता है. इसके कंद का रंग सफ़ेद दिखाई देता है. जो रोपाई के 120 से 125 दिन बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 से 30 टन के बीच पाया जाता है. इस किस्म को रबी के मौसम में उगाया जाता है.

अर्का लाइम

प्याज की ये एक संकर किस्म है. जिसको उत्तर भारत में अधिक उगाया जाता है. इसके कंदों का रंग लाल दिखाई देता है. जिनका प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 25 से 40 टन के बीच पाया जाता है. इस किस्म के कंदों की भंडारण क्षमता अधिक पाई जाती है.

प्याज की ये वो उन्नत किस्में हैं जिन्हें लगभग सभी जगह उगाया जाता है. इनके अलावा और भी कुछ किस्में हैं. जिन्हें किसान भाई क्षेत्रीय हिसाब से अलग अलग समय पर अधिक उत्पादन लेने के लिए उगाते हैं.

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