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कॉफी की उन्नत खेती कैसे करें

2019-09-06T17:14:09+05:30Updated on 2019-09-06 2019-09-06T17:14:09+05:30 by bishamber 4 Comments

कॉफी की खेती नगदी फसल के रूप में की जाती हैं. जिसका इस्तेमाल ज्यादातर पेय पदार्थ के रूप में किया जाता है. कॉफी को भारत में कई जगह कहवा के नाम से भी जाना जाता है. कॉफी से कई तरह की चीज़े बनाकर पीने और खाने में इस्तेमाल किया जाता है. कॉफी का सीमित सेवन मानव शरीर के लिए लाभकारी होता है. अधिक मात्रा में इसका सेवन करना शरीर के नुकसानदायक होता है.

Table of Contents

  • उपयुक्त मिट्टी
  • जलवायु और तापमान
  • उन्नत किस्में
    • अरेबिका
      • केंट
      • एस 795
      • बाबाबुदन गिरीज
    • रोबेस्टा
      • कावेरी
      • वायनाड रोबस्टा
  • खेत की तैयारी
  • पौध तैयार करना
  • पौध रोपाई का तरीका और टाइम
  • पौधों की सिंचाई
  • उर्वरक की मात्रा
  • खरपतवार नियंत्रण
  • पौधों की देखभाल
  • पौधों में लगने वाले रोग
    • पेलीकुलारिया कोले-रोटा
  • फलों की तुड़ाई
  • पैदावार और लाभ
कॉफी की खेती कैसे करें

भारत कॉफी उत्पादन की दृष्टि से दुनिया के टॉप 6 देशों में शामिल है. भारत में कॉफी का ज्यादातर उत्पादन कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु राज्य में किया जाता है. कॉफी के पौधे एक बार लगाने के बाद कई सालों तक पैदावार देते हैं. भारत में उत्पन्न हुई कॉफी की मांग दुनिया में सबसे ज्यादा है. क्योंकि भारतीय कॉफी की गुणवत्ता सबसे बेहतर होती है.

कॉफी की खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु सबसे उपयुक्त होती है. तेज़ धूप में कॉफी की खेती करने पर कॉफी की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों प्रभावित होता है. कॉफी की खेती के लिए अधिक वर्षा की जरूरत नही होती. और सर्दी का मौसम इसकी खेती के लिए नुकसानदायक होता है. कॉफी की खेती के लिए अधिक गर्मी का मौसम भी उपयुक्त नही होता.

अगर आप भी कॉफी की खेती करने का मन बना रहे हैं तो आज हम आपको इसकी खेती के बारें में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले हैं.

उपयुक्त मिट्टी

कॉफी की खेती के लिए अच्छे कार्बनिक पदार्थों से भरपूर उपजाऊ दोमट भूमि की जरूरत होती है. इसके अलावा ज्वालामुखी के विष्फोट से निकलने वाली लावा मिट्टी में भी इसे उगाया जा सकता है. इसकी खेती के लिए भूमि का पी.एच. मान 6 से 6.5 के बीच होना चाहिए.

जलवायु और तापमान

कॉफी की खेती के लिए कम शुष्क और आद्र मौसम की जरूरत होती है. कॉफी की खेती के लिए छायादार जगह सबसे उपयुक्त होती है. इसकी खेती के लिए 150 से 200 सेंटीमीटर वर्षा काफी होती है. अधिक समय तक वर्षा होने की वजह से इसकी पैदावार काफी कम प्राप्त होती है. इसकी खेती के लिए सर्दी का मौसम उपयुक्त नही होता. सर्दी के मौसम में इसका पौधा विकास करना बंद कर देता है.

कॉफी की खेती में तापमान का एक खास महत्व है. कॉफी की पौधा 18 से 20 डिग्री तापमान पर अच्छे से विकास करता है. लेकिन इसका पौधा गर्मियों में अधिकतम 30 डिग्री और सर्दियों में न्यूनतम 15 डिग्री तापमान को भी सहन कर सकता है. तापमान में परिवर्तन होने की स्थिति में पौधों के विकास के साथ साथ पैदावार भी कम प्राप्त होती है.

उन्नत किस्में

कॉफी की मुख्य रूप से दो प्रजाति पाई जाती हैं. जिनकी विभिन्न किस्मों को भारत के अलग अलग भू-भाग में उगाया जाता है.

अरेबिका

इस प्रकार की कॉफी (कहवा) की गुणवत्ता उच्च पाई जाती है. इस किस्म के कहवा का उत्पादन भारत में किया जाता है. भारत में इसकी कई किस्में मौजूद हैं. इस प्रजाति की किस्मों को समुद्र तल से 1000 से 1500 मीटर की ऊंचाई वाली जगहों पर पैदा किया जाता है. भारत में इस प्रजाति का उत्पादन दक्षिण भारत में किया जाता है.

केंट

कॉफी की इस किस्म को भारत की सबसे प्राचीन किस्म माना जाता है. इस किस्म का उत्पादन केरल में ज्यादा किया जाता है. इस किस्म के पौधों का उत्पादन सामान्य पाया जाता हैं.

एस 795

उन्नत किस्म का पौधा

एस 795 कॉफी की एक संकर किस्म है. जिसको अधिक पैदावार देने के लिए तैयार किया गया था. इस किस्म को केंट और S.288 के संकरण के माध्यम से तैयार किया गया है. इस किस्म को भारत और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में अधिक मात्रा में उगाया जाता हैं. कॉफी की यह किस्म अपने अनोखे स्वाद के लिए जानी जाती हैं.

बाबाबुदन गिरीज

कॉफी की इस किस्म को कर्नाटक राज्य में अधिक उगाया जाता है. इस किस्म की कॉफी सुहाने मौसम में तैयार की जाती है. इस किस्म की कॉफी का स्वाद और गुणवत्ता काफी अच्छी पाई जाती है.

रोबेस्टा

इस प्रजाति की किस्मों के पौधों में रोग काफी कम मात्रा में लगते हैं. जिस कारण इस प्रजाति की किस्मों का उत्पादन अधिक प्राप्त होता है. वर्तमान में भारत के कुल कॉफी उत्पादन में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी इसी प्रजाति की किस्मों की है. जिन्हें भारत के बाहर सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है.

कावेरी

कॉफी की इस किस्म को केटिमोर के नाम से भी जाना जाता है. जो कॉफी की एक संकर किस्म है. इस किस्म के पौधों को कतुरा और हाइब्रिडो डे तिमोर के संकरण के माध्यम से तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे अधिक उत्पादन देने के लिए जाने जाते हैं.

वायनाड रोबस्टा

वायनाड रोबस्टा कॉफी अपनी ख़ास खुशबू की वजह से जानी जाती है. इस किस्म को भारत के बाहर सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. इस किस्म का अधिक उत्पाद केरल के उतरी भाग में किया जाता है.

इनके अलावा और भी कई किस्में बाज़ार में उपलब्ध हैं. जिन्हें अलग अलग स्थानों पर उगाया जाता है. जिनमे कूर्ग अराबिका, चिंकमंगलूर, अराकू बैली और सलेक्शन 9 जैसी किस्में शामिल हैं.

खेत की तैयारी

कॉफी की खेती ज्यादातर पहाड़ी भूमि पर की जाती है. इसके लिए शुरुआत में खेत की अच्छे से जुताई कर कुछ दिन के लिए खुला छोड़ देते हैं. उसके बाद खेत में रोटावेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें. मिट्टी को भुरभुरा बनाने के बाद खेत में पाटा लगाकर भूमि को समतल बना दें. इसके पौधे खेतों में गड्डे तैयार कर उनमें लगाए जाते हैं. इसके लिए खेत की जुताई के बाद खेत में पंक्तियों में चार से पांच मीटर के आसपास दूरी रखते हुए गड्डे तैयार कर लें. इस दौरान प्रत्येक पंक्तियों के बीच चार मीटर के आसपास दूरी बनाकर रखे.

गड्डों के तैयार होने के बाद उनमें उचित मात्रा में जैविक और रासायनिक खाद को मिट्टी में मिलाकर वापस गड्डों में भर दें. गड्डों को भरने के बाद उनकी गहरी सिंचाई कर दें. ताकि गड्डों की मिट्टी अच्छे से बैठकर कठोर हो जाए. उसके बाद गड्डों को पुलाव से ढक दें. इन गड्डों को पौध रोपाई से एक महीने पहले तैयार किया जाता हैं.

पौध तैयार करना

कॉफी के पौध बीज और कलम के माध्यम से तैयार की जाती है. बीज से पौध तैयार करने के काफी मेहनत और वक्त लगता है. इसलिए इसकी पौध कलम के माध्यम से तैयार की जाती है. कलम के माध्यम से पौध तैयार करने के लिए दाब, गूटी और ग्राफ्टिंग विधि का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा किसान भाई सरकार द्वारा रजिस्टर्ड किसी भी नर्सरी से इसकी पौध खरीद सकते है. नर्सरी से पौध खरीदते वक्त ध्यान रखे की पौधा स्वस्थ और लगभग एक से डेढ़ साल की उम्र का होना चाहिए.

पौध रोपाई का तरीका और टाइम

कॉफ़ी के पौधे

कॉफी के पौधों को खेत में तैयार किये गए गड्डों में लगाया जाता है. इसके लिए पहले से खेत में तैयार गड्डों के बीचों बीच एक छोटा सा गड्डा तैयार करते हैं. उसके बाद पौधे की पॉलीथीन को हटाकर उसे तैयार किये गए गड्डे में लगाकर चारों तरफ अच्छे से मिट्टी डालकर दबा देते हैं. इसके पौधों को विकास करने के लिए छाया की जरूरत होती है. इसके लिए प्रत्येक पंक्तियों में चार से पांच पौधों पर किसी एक छायादार वृक्ष की रोपाई करनी चाहिए.

कॉफी के पौधे को खेत में लगाने का सबसे उपयुक्त टाइम शरद ऋतू के समाप्त होने और ग्रीष्म ऋतू के शुरू होने का होता है. इस दौरान इसके पौधे को फरवरी और मार्च के महीने में लगा देना चाहिए. इसके पौधे खेत में लगाने के लगभग तीन से चार साल बाद पैदावार देते हैं.

पौधों की सिंचाई

कॉफी के पौधों को सिंचाई की ज्यादा जरूरत नही होती. इसके पौधों को खेत लगाने के तुरंत बाद उनकी पहली सिंचाई कर देनी चाहिए. कॉफी के पौधों को सर्दियों में मौसम में पानी की कम जरूरत होती है. इस दौरान पौधों को 10 से 15 दिन के अंतराल में पानी देना चाहिए. और बारिश के मौसम में पौधों को पानी आवश्यकता के अनुसार देना अच्छा होता है. गर्मी के मौसम में पौधों को पानी की काफी आवश्यकता होती है. गर्मी के मौसम में इसके पौधों को सप्ताह में एक बार पानी देना चाहिए.

उर्वरक की मात्रा

कॉफी के पौधों को उर्वरक की ज्यादा जरूरत होती है. इसकी खेती के लिए जैविक उर्वरकों का इस्तेमाल अच्छा होता है. इसके लिए शुरुआत में गड्डों की तैयारी के वक्त प्रत्येक पौधों को 25 किलो के आसपास पुरानी गोबर की खाद देनी चाहिए. इसके अलावा रासायनिक खाद के रूप में आयरन तत्व से भरपूर रासायनिक खादों के साथ साथ प्रति पौधा 100 ग्राम एन.पी.के. की मात्रा पौधे को देनी चाहिए. पौधों को दी जाने वाली उर्वरक की इस मात्रा को पौधों के विकास के साथ साथ बढ़ा देनी चाहिए. पूर्ण विकसित पौधे को उचित मात्रा में उर्वरक नही मिल पाने की वजह से पैदावार कम देता हैं.

खरपतवार नियंत्रण

कॉफी की खेती के खरपतवार नियंत्रण प्राकृतिक तरीके से किया जाता है. इसके लिए पौधों की रोपाई के लगभग 20 से 25 दिन बाद पौधों की हल्की गुड़ाई कर दें. उसके बाद जब भी पौधों के आसपास खरपतवार दिखाई दे तभी पौधों की हल्की गुड़ाई कर देनी चाहिए. इसके पूर्ण रूप से तैयार पौधे को साल में तीन से चार बार खरपतवार नियंत्रण की जरूरत होती है.

पौधों की देखभाल

कॉफी के पौधों को खेत में लगाने के लगभग तीन से चार साल बाद पैदावार देना शुरू करते हैं. इसके लिए पौधों की शुरुआत में अच्छी देखभाल की जानी आवश्यक है. शुरुआत में पौधो पर एक मीटर ऊंचाई तक किसी भी तरह की कोई नई शाखा को जन्म ना लेने दे. इससे पौधे का आकार अच्छा बनता है. और पेड़ का तना मजबूत बनता है. उसके बाद जब पेड़ अच्छे से बड़े हो जाएँ तब फलों की तुड़ाई के बाद उनकी कटाई छटाई कर देनि चाहिए. इस दौरान वृक्षों की सूखी और रोग ग्रस्त डालियों को काटकर निकाल दें. जिससे पौधे पर और नई शाखाएं जन्म लेती है. जिससे पौधे का उत्पादन भी बढ़ता है.

पौधों में लगने वाले रोग

कॉफी के पेड़ों पर ज्यादातर कीट रोग का प्रभाव देखने को मिलते है. इसके अलावा कोबरा सांप भी इसके उत्पादन को प्रभावित करते हैं.

कॉफी के पौधे में सामान्य कीट रोग ज्यादा देखने को मिलते हैं. जिनकी रोकथाम के लिए पौधों पर नीम के तेल या नीम के काढ़े का छिडकाव करना चाहिए.

पेलीकुलारिया कोले-रोटा

कॉफ़ी के पौधों पर ये रोग बारिश के मौसम में ज्यादा दिखाई देता है. जिससे पौधे की पत्तियों का रंग काला पड़ने लग जाता है. जिससे प्रभावित फल और पत्तियां टूटकर नीचे गिर जाती है. जिससे पौधों की पैदावार को नुक्सान पहुँचता है. इस रोग की रोकथाम के लिए अभी कोई प्रभावी औषधि नही बन पाई हैं. वैसे जैविक औषधियों का इस्तेमाल इसके लिए लाभदायक होता है.

फलों की तुड़ाई

कॉफी के पौधे फूल लगने के 5 से 6 महीने बाद पैदावार देना शुरू कर देते है. इसके फल शुरुआत में हरे दिखाई देते है. जो धीरे धरे अपना रंग बदलते है. इसका पूर्ण रूप से तैयार फल लाल रंग का दिखाई देता है. देश की ज्यादातर जगहों पर इसके फलों की तुड़ाई अक्टूबर से जनवरी में की जाती है. जबकि निलगिरी की पहाड़ियों में इसकी तुड़ाई जून महीने के आसपास की जाती है.

पैदावार और लाभ

कॉफी की पैदावार

कॉफी की खेती किसानों के लिए बहुत लाभदायक होती है. इसकी अरेबिका प्रजाति के पौधों का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 1000 किलो के आसपास पाया जाता है. जबकि रोबस्टा प्रजाति के पौधों का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 870 किलो के आसपास पाया जाता है. जिसका बाज़ार भाव काफी अच्छा मिलता है. जिससे किसान भाइयों अच्छी खासी कमाई हो जाती है.

Filed Under: पौधे

Comments

  1. Shama says

    August 29, 2020 at 7:40 pm

    पौधे कहां मिलेंगे कॉफी के

    Reply
  2. Manoj says

    September 7, 2020 at 12:19 pm

    Arabica coffee ka bhav kitna h or robsta ka bhav kitna h per kg

    Reply
  3. Manoj says

    September 7, 2020 at 12:21 pm

    Arabica coffee ka bhav kitna h or robsta ka bhav kitna h per kg

    Reply
  4. Brajesh Kumar says

    December 6, 2020 at 10:11 pm

    Coffe plant kanha milenge

    Reply

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